सिंहभूम वह सीट है, जहां झामुमो के पास जीत दर्ज करने की काफी हद तक संभावना थी। समीकरण का गणित इस ओर इशारा कर रहा था कि कड़े मुकाबले में झामुमो को फायदा हो सकता है। सिंहभूम से निवर्तमान सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने के बाद यह सीट कांग्रेस से झामुमो कोटे में शिफ़्ट हुई और झामुमो ने यहां से पाँच बार की मनोहरपुरा से विधायक और चार बार की कैबिनेट मंत्री जोबा मांझी को अपना प्रत्याशी बनाया। इसके पीछे का तर्क दिया गया कि एक महिला प्रत्याशी के विरुद्ध एक महिला को टिकट देकर मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा, मुक़ाबला दिलचस्प हुआ भी. लेकिन सवाल उठता है कि क्या झामुमो की कैंडिडेट जोबा मांझी भाजपा की गीता कोड़ा को हराने में कामयाब हुईं?
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर चुनावी पूर्वानुमान के कार्यक्रम में हमने पहले आपको खूंटी के संभावित परिणाम के बारे में बताया। झारखंड के पहले चरण यानी 13 मई को हुए चुनाव में अगली बारी है सिंहभूम सीट की। सिंहभूम भी खूंटी संसदीय सीट की ही तरह आदिवासी रिजर्व्ड सीट है। और यहां भी खूंटी की ही तरह भाजपा और झामुमो के बीच सीधा मुकाबला रहा है। इसका अर्थ है कि किसी भी अन्य प्रत्याशी का कोई प्रभाव यहां देखने को नहीं मिला।
तो फिर चलिए शुरू करते हैं द फोर्थ पिलर के चुनावी पूर्वानुमान का सिलसिला और बतातें हैं आपको कि हमारे आकलन के आधार पर सिंहभूम सीट किसके पाले में, और किन कारणों से जा रही है।
पहले चरण की महत्वपूर्ण आदिवासी रिजर्व्ड सीट सिंहभूम पर हमारा आकलन है कि यहां से भाजपा की कैंडिडेट गीता कोड़ा दोबारा जीत हासिल करने में कामयाब हो जाएगी और झामुमो की टिकट पर जोबा मांझी को हार से संतोष करना पड़ेगा। यानी कि जो सीट अब तक इंडिया गठबंधन के पास थी, गीता कोड़ा के भाजपा में जाने के बाद वह सीट इंडिया गठबंधन के लिए पहला नुकसान साबित होगा। हालांकि, इस बात का विवरण यहां जरूरी है कि पिछली बार की ही तरह यहां से इस बार भी हार-जीत का अंतर बहुत कम रहने वाला है।
कुल मिला कर कहें कि सिंहभूम में गीता कोड़ा अपने प्रभाव का लोहा मनवा लेंगी, कि वे कांग्रेस में थी, तब भी जीतीं और अब भाजपा में आई, तब भी जीत रही हैं। इसका अर्थ है कि कोल्हान में विशेषकर सिंहभूम लोकसभा सीट पर अभी भी मधु कोड़ा और गीता कोड़ा का व्यक्तिगत प्रभाव बड़ा फैक्टर है।
अब हम आते हैं उन कारणों पर, जिनके आधार पर हम यह कह रहे हैं कि सिंहभूम सीट पर भाजपा की जीत होगी। पहला कारण है प्रत्याशी का चुनाव। यानी जोबा मांझी को सिंहभूम से लोकसभा का उम्मीदवार बनाना झामुमो के लिए गलती साबित हुई है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जोबा मांझी मजबूत और प्रभावी लीडर रही हैं। कोल्हान में उनकी बहुत अच्छी पकड़ रही है। लेकिन सिंहभूम हो बृहुल क्षेत्र है और इस बात की उम्मीद की जा री थी कि वहां से किसी हो समुदाय के प्रत्याशी को ही टिकट मिलेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, जिसके कारण हो समुदाय के वोटर उस तरह से झामुमो के साथ गोलबंद नहीं हो पाए।
दूसरी तरफ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संथाली हैं, वर्तमान में पार्टी की कमान संभाल रही कल्पना सोरेन संथाली हैं, नए मुख्यमंत्री के तौर पर चंपाई सोरेन को जगह मिली, वे भी संथाली हैं और जिन्हें सिहंभूम से टिकट मिला, यानी जोबा मांझी वे भी संथाली हैं। इन चीजों से यह संदेश सिंहभूम के मतदाताओं के बीच गया या फिर जान बूझ कर पहुँचाया गया कि झामुमो केवल संथाल आदिवासियों को लेकर ही चलती रही है। आप जानते हैं कि चुनाव के दौरान इस तरह के मैसेज को जनता अलग तरह से इंटरप्रेट करती है।
सिंहभूम में मुस्लिमों की संख्या कम है, इसलिए पूरी लड़ाई आदिवासी वोटरों की ही रही, उसमें भी हो समुदाय के वोटर प्रभावी रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यदि यहां से दीपक बिरुआ को टिकट मिलता, तो यह मुकाबला अधिक दिलचस्प हो सकता था। हांलांकि जोबा मांझी ने टक्कर अच्छी दी है, लेकिन हो समुदाय की उदासीनता के कारण वे जीत पाने में कामयाब नहीं हो पाएंगी, ऐसा हमारा पूर्वानुमान है।
अब हम विधानसभा के सीटों के आधार पर चुनावी परिणाम का अनुमान लगाने का प्रयास करते हैं।
देखिए, सिंहभूम में विधानसभा की छह सीटें हैं। सराईकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर। 2019 के चुनाव में इनमें से पांच सीटों पर गीता कोड़ा आगे रही थीं। हालांकि चाइबासा, मझगांव और मनोहरपुर में झामुमो का कैडर वोट उन्हें मिला था, लेकिन चक्रधरपुर और जगन्नाथपुर में वे अपने व्यक्तिगत प्रभाव के कारण आगे रही थी। सराइकेला पर वे 75 हजार के बड़े अंतर से पीछे रही थी, क्योंकि यहां भाजपा के प्रभाव अच्छा है।
इस बार लगभग वही स्थिति रहेगी। गीता कोड़ा सराईकेला, चक्रधरपुर और जगन्नाथपुर से आगे रहेंगी और चाईबासा, मझगांव तथा मनोहरपुर से जोबा मांझी आगे रहेंगी। हमारे आकलन के आधार पर जोबा मांझी को चाईबासा से 20 हजार, मझगांव से 30 हजार और मनोहरपुर से लगभग 20 हजार की लीड मिल सकती है। लेकिन सराइकेला में भाजपा और गीता कोड़ा के युग्म से 80 से 90 हजार तक की लीड गीता कोड़ा को मिल सकती है। यानी कि केवल सराइकेला से भाजपा को इतनी लीड मिल जाएगी, कि वे जीत हासिल कर लें।
हालांकि अगर कोई बड़ा खेल हुआ है, जिसे देखने में हमारी नजर चूक गई है, तो बात अलग है. लेकिन एक बात और है कि अगर सराईकेला में भाजपा को 50 हजार से कम की लीड मिलती है तो फिर यही परिणाम पलट भी सकते हैं। लेकिन ऐसा हमें लगता नहीं है। इसलिए हम अपने पूर्वानुमान में यह बात कह रहे हैं कि सिंहभूम सीट भाजपा जीत पाने में कामयाब हो जाएगी।
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के बैनर तले निर्दलीय प्रत्याशी दामोदर हांसदा कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाएंगे, बमुश्किल वे 10 से 15 हजार के करीब वोट लाने में कामयाब हो सकते हैं। उन्हें वोट देने वाले हो समुदाय के लोग हैं।
अर्थात, झामुमो ने एक मौका गांव दिया, जहां हमे लगता है कि सही प्रत्याशी के चयन से जीत हासिल की जा सकती थी। हालांकि यह महज कयास है, क्या होता है, यह सिर्फ परिणाम बता सकते हैं। हम भी परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।
जाते-जाते हम फिर से यह बात दुहराते हैं कि हम यह पूर्वानुमान किसी सर्वे के आधार पर नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपनी यात्राओं, सूत्रों और बूथ लेवल की जानकारियों को इकट्ठा करके कर रहे हैं। संभावना है कि हमारा पूर्वानुमान गलत हो सकता है। लेकिन हमने पूरी कोशिश की है कि आपके सामने सही तस्वीर प्रस्तुत कर सकें।