पहले चरण की चार सीटों पर अपना चुनावी पूर्वानुमान आपके सामने रखने के बाद हम दूसरे चरण की तीन सीटों पर बात करने जा रहे हैं। ये सीटें हैं – हजारीबाग, कोडरमा और चतरा। पहले चरण की चारों सीटें रिजर्व्ड थीं, और दूसरे चरण की तीनों सीटें अनरिसर्व्ड हैं यानी कि जेनेरल हैं। आज हम दूसरे चरण की शुरुआत कर रहे हैं उस सीट से, जिसकी बहुत डिमांड हमारे यूट्यूब पन्ने पर आई है। वो सीट है हजारीबाग।
हजारीबाग यानी अब तक की दूसरी त्रिकोणीय मुकाबले वाली सीट। यहां भाजपा की तरफ से मनीष जायसवाल, कांग्रेस की तरफ से जेपी पटेल और JLKM की तरफ से संजय मेहता चुनावी मैदान में थे। इस कारण यह सीट किसी के लिए भी आसान नहीं रही। चूंकि संजय मेहता पहली बार चुनाव लड़ रहे थे और उनकी पार्टी भी नई थी, यह एक जिज्ञासा का विषय था कि वे किस तरह का प्रभाव डालेंगे और किस समुदाय से कितना वोट लेकर आएंगे।
तो फिर हजारीबाग में क्या हुआ है, क्या भाजपा का गढ़ कही जाने वाली सीट हजारीबाग भाजपा के हाथ से फिसलते फिसलते फिसल गई या फिर कांग्रेस के बॉरो प्लेयर ने जातिय गोलबंदी कर भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है ? या फिर क्या जयराम महतो के तीसरा खिलाड़ी यानी संजय मेहता हजारीबाग में भाजपा और कांग्रेस के बीच हुई राजनीतिक भिडंत में बाजी मार ले जाएंगे? इन सवालों का हमारे पास है सटीक जवाब, और हम बता रहे हैं आपको एकेजैक्टली की हजारीबाग में आखिर होने क्या वाला है।
तो फिर चलिए शुरू करते हैं झारखंड की हजारीबाग सीट पर चुनाव संभावित नतीजे का आकलन और बताते हैं आपको कि किसकी झोली में जा रहा है हजारीबाग।
हजारीबाग में हमारे अनुसार इस बार जिस प्रत्याशी की जीत होगी, वे हैं भाजपा के प्रत्याशी मनीष जायसवाल। जी हां भारतीय जनता पार्टी यहां से जीत हासिल करने में कामयाब हो जाएगी और कांग्रेस को यहां से फिर एक बार हार का सामना करना पड़ेगा। JLKM के बैनर तले निर्दलीय लड़े प्रत्याशी संजय मेहता तीसरे स्थान पर रहेंगे, ऐसा हमारा अनुमान है। सीपीआई के अनिरुद्ध कुमार और झारखंड पार्टी के राजकुमार चौथे और पांचवे स्थान पर रहेंगे। हमारे इस पूर्वानुमान के पीछे का आधार हम आपको बताएंगे, लेकिन यह बताना महत्वपूर्ण है कि हजारीबाग में इस बार मार्जिन पिछले बार से बहुत ही कम रहेगा और इस हार जीत में संजय मेहता बड़ा फैक्टर साबित होंगे। कैसे, ये हम आपको आगे बताएंगे।
फिलहाल हम बात करते हैं उन फैक्टर्स की, जिनके आधार पर हम कह रहे हैं कि हजारीबाग में भाजपा की जीत हो रही है। यूं तो कहने का कोई विशेष कारण नहीं है, चूंकि भाजपा यहां 2004 को छोड़कर 1996 से लगातार जीतती आई है, यह उनकी पारंपरिक सीट की तरह है, सबसे सुरक्षित सीट की तरह है। 2019 में यहां जीत का मार्जिन साढ़े चार लाख से भी अधिक था। 2014 में भी लगभग ढ़ाई लाख और 2009 में 40 हजार के अंतर से यह सीट भाजपा के खाते में गई थी। इससे एक सामान्य बात समझ आती है कि साढ़े चार लाख के अंतर को पाटने के लिए एक बड़ा वोट शिफ्ट चाहिए था। यह तब संभव हो पाता, जब हजारीबाग से दो लोगों के बीच सीधा मुकाबला होता। चूंकि मामला त्रिकोणीय है, ऐसा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
क्यों न हम इसे विधानसभा सीटों के आधार पर समझने का प्रयास करें। हजारीबाग में विधानसभा की पांच सीटें हैं – बरही, बड़कागांव, रामगढ़, मांडू और हजारीबाग। 2019 के चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा बड़े अंतर से आगे रही थी। यानी कि जीत हासिल करने के लिए इनमें से कम से कम तीन सीटों पर बड़े वोट शिफ्ट की जरूरत है। कांग्रेस ने प्रत्याशी के चुनाव में जातिगत समीकरण का पूरा खयाल रखा और वाकई चुनाव से ठीक पहले जेपी पटेल को टिकट देकर राजनीतिक चतुराई का भरसक परिचय दिया.
अब आप देखें कि जेपी पटेल कुड़मी समुदाय से आते हैं और जिन सीटों पर कुड़मियों की आबादी अधिक है – वे सीटें हैं – माडू, बड़कागांव और रामगढ़। इनमें से दो सीटों पर यानी मांडू और बड़कागांव में कांग्रेस के विधायक हैं। हमारे आकलन के आधार पर मांडू से तो जे पी पटेल को बढ़त मिलेगी, मांडू से इसलिए भी क्योंकि मांडू से ही जेपी पटेल विधानसभा लड़कर सदन पहुंचते हैं. लेकिन बड़कागांव से बनिया समाज का वोट जे पी पटेल के समर्थन में बहुत अधिक नहीं गया है। बाताया जा रहा है कि बड़कागांव से विधायक अंबा प्रसाद ने उस तरह से जेपी पटेल को सहयोग नहीं किया, जिस तरह से करना चाहिए था। बरही से उमा शंकर अकेला भी यादव वोटरों को कांग्रेस की तरफ लामबंद करने में नाकामयाब रहे हैं।
हमारे कहने का मतलब है कि मांडू इकलौती सीट है, जहां से जेपी पटेल को संभवतः बढ़त मिलेगी। शेष सभी सीटों पर वे मनीष जायसवाल से पीछे रहेंगे। इसमें एक बड़ी वजह होंगे JLKM के प्रत्याशी संजय मेहता।
जी हां, इस बात में सच्चाई है कि संजय मेहता के होने से कांग्रेस को वांग्छित नुकसान हुआ है, क्योंकि उन्होंने कुड़मी वोटरों में सेंध लगाई है जिसका नुकसान जे पी पटेल को ज्यादा हुआ है। इसी फैक्टर की बात हम कुछ देर पहले कर रहे थे। संजय मेहता की बात करें, तो हमारे अनुसार उन्हें 70 से 90 हजार वोट मिलेंगे, जिसका बड़ा हिस्सा कुड़मी वोटरों का होगा। दूसरी तरफ कोयरी, साहू और यादव वोटरों का एक बड़ा हिस्सा मनीष जायसवाल के साथ गए हैं। इनके अलावा यहां मोदी फैक्टर भी एक वजह है।
इस पूरे प्रकरण को थोड़ा सिंपल करें तो सामने आता है कि कुड़मी वोटरों में बिखराव जेपी पलेट के लिए नुकसान देह साबित हुआ है। इसी कारण वे बहुत अच्छा फाइट देने के बाद भी जीतते हुए नजर नहीं आ रहे हैं।
हालांकि जेपी पटेल के लिए एक फैक्टर अहम है। वो है 18 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं की संख्या। इसी कारण से हम हार का मार्जिन बहुत कम बता रहे हैं। लेकिन चूंकि पिछली बार जीत का अंतर साढ़े चार लाख था, ढ़ाई लाख मुस्लिम मतदाताओं से कोई खास फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।
यानी इन तमाम कारणों से हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि हजारीबाग में मनीष जायसवाल भले ही व्यक्तिगत रूप से प्रभावी नहीं रहे हों, लेकिन मोदी के नाम और भाजपा के सिंबल के कारण वे हजारीबाग में एक आसान जीत दर्ज कर पाने में कामयाब होंगे। हालांकि पिछली बार से जीत का मार्जिन बहुत कम हो जाएगा।