रांची कॉलेज जब से डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी बना है, तब से किसी ना किसी मामले में फंसता ही नजर आ रहा है. पिछले कुछ दिनों से रांची का एक दैनिक अखबार शुभम संदेश बड़ी मुखरता से ये खबर छाप रही है. खबर में डीएसपीएमयू (DSPMU) में कई तरह के अनियमितताएं हुई हैं. नया मामला डीएसपीएमयू के एमबीए, बीबीए और मास्टर इन हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन (एमएचए) के निदेशक डॉ अशोक कुमार नाग पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा है. डॉ अशोक नाग पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने विभाग के निदेशक पद का गलत इस्तेमाल कर भारी वित्तीय अनियमितता की है. साफ-साफ कहें तो विभाग में रहते हुए उन्होंने पैसे की गड़बड़ी की है.
DSPMU के एमबीए, बीबीए विभाग के निदेशक डॉ अशोक नाग पर वित्तीय अनियमितता का आरोप
इस संबंध में विश्वविद्यालय को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग से पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें डॉ नाग पर वित्तीय अनियमितता, नामांकन में गड़बड़ी आदि के आरोपों के मद्देनज़र विभाग ने आंतरिक जांच करने संबंधित पत्र जारी किया था. बीते 15 सितंबर को यही खबर दैनिक अखबार प्रभात खबर और हिन्दुस्तान में भी छपी कि इस मामले में कुलपति तपन कुमार शांडिल्य ने एक इंटरनल जांच कमिटी का गठन किया है. इस पांच सदस्यीय कमिटी को जांच पूरा कर 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.
पूरे जांच प्रक्रिया पर अब उठ रहे हैं सवाल
पहला सवाल : जब जांच प्रक्रिया शुरु हो गई तो अब तक डॉ अशोक नाग को पद मुक्त क्यों नहीं किया गया?
दूसरा सवाल: जब जांच शुरु हो गई है तब डॉ अशोक नाग विभाग के अपने ऑफिस में क्या कर रहे हैं. सुत्रों के हवाले से यह खबर आई है कि जांच के आदेश के बाद भी अशोक नाग दफ्तर आ रहे हैं?
तीसरा सवाल: क्या उनके दफ्तर आने से जांच प्रभावित नहीं होगी?
चौथा सवाल: इस बात की क्या गारंटी है कि अशोक नाग पर जिन मामले की जांच होनी है उसके साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं कर रहे होंगे?
सवाल वीसी तपन कुमार शांडिल्य से भी है कि आखिर डॉ अशोक नाग को अब तक पद मुक्त क्यों नहीं किया गया?
वहीं, सवाल के घेरे में जांच कमिटी भी है लेकिन पहले आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस पांच सदस्यीय जांच कमिटी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से समंवयक डॉ पंकज कुमार बनाए गए हैं. इसके अलावा डॉ खुर्शीद अख्तर, डॉ शालिनी लाल, डॉ अभय कृष्ण सिंह और डॉ अभय मिंज शामिल हैं.
यूनिवर्सिटी के सूत्र ने बताया कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी जांच शुरू नहीं हुई है. सवाल जांच कमिटी से की जानी चाहिए कि जब दस दिनों में रिपोर्ट सौंपनी है तो जांच अब तक शुरू क्यों नहीं हुई? क्या अशोक नाग को वीसी का संरक्षण प्राप्त है? हमारे सूत्र ने बताया कि निदेशक को वीसी का संरक्षण प्राप्त है और ये जांच महज एक दिखावा मात्र है. इसलिए जांच को बड़े हल्के तरह से लिया जा रहा है.
बड़ी गड़बड़ी के आरोप के साथ-साथ चल रहा कमीशन का खेल
बड़ी अनियमितता तो शायद जांच के बाद सामने आ जाए. लेकिन एक छोटी अनियमितता हम आपको बताते हैं. किसी भी विभाग के छात्र जब दाखिला लेते हैं तब वे स्वतंत्र होते हैं कि वे अपने कॉलेज का ड्रेस कहीं से भी ले सकते हैं. लेकिन डॉ नाग के विभाग के 2023 में जिन छात्रों ने एडमिशन लिया उनके ग्रुप में एक मैसेज आता है. जिसमें एक टेलर का बिजनेस कार्ड दिख सकता है.
जिसके बाद मैसेज में यह लिखा जाता है कि “Please visit the respective tailor for your uniform. The color of the uniform has changed. Kindly get in touch with them. Please note :- The classes will begin shortly, so all of you are advised to get your uniforms done as soon as possible to avoid last minute rush. Without uniform you will not be allowed to sit in the class room.”
हिंदी अनुवाद करें तो -कृपया अपनी वर्दी के लिए संबंधित दर्जी से मिलें. वर्दी का रंग बदल गया है कृप्या उनसे संपर्क करें. कृपया ध्यान दें:- कक्षाएं शीघ्र ही शुरू होंगी, इसलिए आप सभी को सलाह दी जाती है कि अंतिम समय की भीड़ से बचने के लिए अपनी वर्दी जल्द से जल्द तैयार कर लें. बिना यूनिफॉर्म के क्लास रूम में बैठने की इजाजत नहीं मिलेगी.”
इस बात से कोई अबोध बालक भी समझ सकता है कि यह मामला सीधे तौर पर कमीशन का है.
बीबीए में एडमिशन के लिए जितनी भी परीक्षाएं हुई उसमें किसी भी परीक्षा के मेरिट लिस्ट में चयनित विधार्थियो का अंक प्राप्तांक नहीं दिया गया, ऐसे में आरोप लगा रहा है कि एडमिशन की प्रक्रिया में गलत तरीके से पैसों की उगाही की गई है. 650 स्टूडेंट्स का एमिशन लिया गया और उनके लिए कई बार लिस्ट निकाले गए. और हर लिस्ट निकालने के बाद पैसे के लिए ए़डमिशन की दलाली किया जाने का आरोप है. इस मामले में कई छात्र संगठनों ने अपनी आवाज उठाई थी. इसको लेकर राज्यपाल तक को भी पत्र लिखा गया था. जिसके बाद ये मामला प्रकाश में आया था.