झारखंड में अब होगी हीरों की खोज, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

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आपने नागपुर के गानों में हीरा नागपुर वाली लाइन ज़रुर सुनी होगी, जो की यूं ही नहीं जोड़ी जाती. इसका ताल्लुक झारखंड के इतिहास से हैं. नागवंश के राजाओं को हीरा राजा कहा जाता था. कोयला, लोहे के साथ ही Quartz, Kaolinite, Melanterite, Rozenite, Hematite और Pyrite जैसे बेशकीमती मिनरल्स से परिपूर्ण झारखंड की नदियों में बेहिसाब हीरे के भंडार होने की भी कई ऐतिहासिक उल्लेख पाए गए हैं। आपको ज्ञात हो की झारखंड की सुवर्णरेखा नदी, जहां आज भी सोने के कण आसानी से पाए जाते हैं, वहीं एतिहासिक तथ्यों से पता चलता हैं, कि यहां की शंख और कोयल नदियों की कोख में बेशुमार हीरे के भंडार शामिल हैं. झारखंड के नागवंशी राजा दुर्जनसाल को हीरे का पारखी कहा जाता था. और उस काल में उनके मुकुट में बहुमूल्य हीरा जड़ा हुआ करता था। British इतिहासकारों के पुस्तकों में भी इसका उल्लेख है कि शंख और कोयल नदियों में हीरा निकालने का काम एक साथ हजारों लोग किया करते थे।

रिपोर्ट्स की मानें तो इतिहास के इन्हीं तथ्यों पर नज़र हुए रखते झारखंड की कई नदियों में अब हीरा खोजा जाएगा. इस परियोजना को स्वीकृति केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने दे दी है. राज्य में रांची और पलामू प्रमणडलीय जिलों में कई नदियों के किनारे हीरा खोजा जाएगा. वहीं इतिहास के पन्नो को पलटने पर पता चलता हैं, की मुगल शासक जहांगीरनामा से लेकर 1917 तक के दर्ज़नों विश्व प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकों में झारखंड के डायमंड रिवर का नक्शे और अन्य जानकारी का वर्णण किया गया हैं. इन्हीं आधारों पर यह परियोजना भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग में 2019 में की थी. इसके अलावा फ्रांसीसी यात्री जेवी travanier के भारत यात्रा पुस्तक में भी जारी नक्श छोटानागपुर में डायमंड रिवर के पास भी खोजबीन होगी.
इस मामले में विनोबा भावे यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंदन कुमार ने बताया, कि रांची स्थित भूगर्भ संरक्षण विभाग के अधिकारियों से मुलाकात हुई और केंद्र सरकार के खान मंत्रालय के निर्णय के बाद, झारखंड में हीरा खोजने की परियोजना पर अधिकारियों से बातचीत भी की है. जहां अधिकारियों ने कहा, कि झारखंड में हीरा खोजने की परियोजना पर काम हो रहा है.

प्रोफेसर ने आगे बताया कि जहांगीरनामा के अलावा 20 विश्व प्रसिद्ध लेखकों ने अपनी पुस्तकों में झारखंड की नदियों में हीरा होने की बात लिखी है. आगे जानकारी में उन्होंने बताया की झारखंड में रांची, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा व लातेहार समेत कई जिलों की नदी विशेष कर, कोयल और शंख नदी का सर्वेक्षण होगा. नदी किनारे जहां जमीन से कीड़ा, पतंगे, मूसा व दीमक पाए जाते हैं, उन स्थानों को इसमें शामिल किया जाएगा. इसके अलावा राज्य में जहां अन्य खनिज बड़े पैमाने में निकाले जाते हैं, वहां भी सर्वेक्षण होगा.

 

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