धनबाद, देश की कोयला राजधानी जहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही कोयला है. पूरे देश को 75 प्रतिशत कोयला धनबाद से ही मिलता है. लेकिन इन कोयले के बीच रह रहे लोग गोफ की समस्या से बेहद पीड़ित हैं. जिसकी कोई सुध लेने को भी तैयार नहीं है.गोफ ,गोफ कहने का मतलब है कि अचानक एक जोरदार धमाका होता है और वहां की जमीन धंस जाती है. इस तरह के गोफ धनबाद में आए दिन कहीं पर भी बनते रहते हैं और इससे जान माल की हानि भी होती है.हालांकि यह गोफ की समस्या कोई नई समस्या नहीं है बीते कई सालों से धनबाद के कई इलाकों में गोफ लगातार बनते जा रहे हैं, लेकिन इन बीते सालों से अब तक न ही बीसीसीएल, न प्रशासन और न ही सरकार ने इस पर कोई सख्त एक्शन लिया है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट की मानें तो 2019 में धनबाद के 250 से अधिक इलाकों के लोग हर पल अपनी जिंदगी खौफ में गुजार रहे हैं. ये वो इलाके हैं, जिन्हें अग्नि और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्र होने के कारण डेंजर जोन घोषित किया गया है. झरिया मास्टर प्लान के अनुसार इन डेंजर जोन में रहने वाले लोगों की संख्या 4 साल पहले लगभग 1लाख थी.
वर्तमान स्थिति की बात करें तो बीते एक सप्ताह के अंदर धनबाद में तीन गोफ बन चुके हैं. 13 अगस्त को केंदुआडीह थाना क्षेत्र के गोधार 6 नंबर रेलवे साइडिंग के पास रहने वाले विनोद विश्वकर्मा के घर में जोरदार आवाज के साथ गोफ बन गया. भू धसान के कारण बने इस गोफ से तेजी के साथ गैस रिसाव होने लगा. गैस रिसाव की चपेट में एक महिला आ गई. जिसके बाद महिला बेहोश हो गई. महिला को आनन-फानन में SNMCH में भर्ती कराया गया.
वहीं बीते 15 अगस्त को धनबाद के जोगता थाना क्षेत्र स्थित 11 नंबर में देर रात 200 मीटर के दायरे में गोफ हो गया. जिसमें हनुमान जी का मंदिर सहित एक ही परिवार के तीन लोग जमींदोज हो गये. हलांकि स्थानीय ग्रामीणों ने गोफ में समाये तीन लोगों को अपनी जान पर खेलकर बचा लिया. इसके बाद घायलों को पहले निचितपुर नर्सिंग होम ले जाया गया फिर चिकित्सकों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्होंने धनबाद रेफर कर दिया था.
धनबाद के लोग सिजुआ के घटना से उबर भी नहीं पाये थे कि गुरुवार कि सुबह 22/12 स्थित जामा मस्जिद के अंदर परिसर मे गोफ की घटना घटित हो गयी. जिससे एक बार फिर से लोगों में दहशत का महौल उतपन्न हो गया. इस गोफ में मस्जिद का सीढ़ी का आधा हिस्सा जमींदोज हो गया.
सिर्फ एक सप्ताह में तीन गोफ बनने से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बीते 5 से 10 सालों में अब तक धनबाद में बने गोफ की संख्या कितनी होगी. यह बेहद ही गंभीर समस्या है. स्थानीय लोग इससे बचने के लिए लंबे समय से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. हालांकि झरिया मास्टर प्लान के तहत भी जल्द से जल्द इन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाना था, पर 10 वर्षों में मात्र 3000 परिवार को ही सुरक्षित स्थान पर बसाया जा सका है. स्थानीय लोग सुरक्षित स्थान पर पुर्णवास की मांग पर अड़ गये हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ महिने पहले पुर्णवास की मांग को लेकर लोग सिजुआ क्षेत्रिय कार्यलय के मुख्य द्धार पर 100 से अधिक दिनों तक धरणा पर भी बैठे थे. तब जिला प्रशासन, बीसीसीएल प्रबंधन तथा ग्रामीणो की संयुक्त बैठक हुई थी. जिसमें गोफ पीड़ितों को मुआवजा के साथ सुरक्षित स्थान पर पुर्णवास कराने पर सहमति बनी थी. लेकिन एक लम्बा समय बीत जाने के बावजूद यहां के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पुर्णवास नहीं कराया गया है. जिससे लोग आज भी अपनी जान हथेली पर लेकर इन इलाकों में रहने को मजबूर है. लोगों में बीसीसीएल प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश है. लोगों ने बीसीसीएल पर आरोप लगाया है कि बीसीसीएल जानबुझकर पुर्णवास के कार्यो में लापरवाही बरत रही है. इसके पीछे उनकी मंशा है कि बार बार गोप की घटना घटित होता रहे हैं ताकि लोग डरकर स्वय ही पलायन कर जाएं. जिससे कि बीसीसीएल को पुर्णवास कराने कि जरूरत ही नहीं पड़े.
इस तरह की गंभीर समस्या पर सरकार को जल्द से जल्द एक्शन लेने की जरुरत है. बीसीसीएल को भी इस तरह की समस्या का समाधान जल्द निकालने की कोशिश करनी चाहिए.