राज्य की बेटियों को सीएम ने दिया यह बड़ा तोहफ़ा !

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झारखंड सरकार अब राज्य की बेटियों की शिक्षा व सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही हैं. अपने प्रयासों व नई नीतीयों से सरकार महिलाओं को मज़बूति प्रदान कर रही है. बीते सोमवार यानी 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस के मौके पर, झारखंड सरकार ने सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना को लेकर, एक नया एलान किया. उन्होंने कहां की  सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना जहां एक परिवार से सिर्फ दो बच्चियों को  लाभ दिया जाता था, अब परिवार की हर बच्‍ची को इससे जोड़ा जाएगा. इस खुशखबरी की घोषणा सीएम हेमंत सोरेन  ने यूनिसेफ द्बारा आयोजित मेले में झारखंड के बाल पत्रकारों से मुलाकात के दौरान किया. वहीं मौकें पर सीएम ने बच्चों के साथ, अपने शैक्षणिक अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि “परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो, पढ़ाई से नाता नहीं तोड़े। पढ़ाई से ही बेहतर भविष्य का रास्ता तय होता है.”

आईए हम जानते हैं कि सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना क्या हैं?

साल 2019 में  झारखण्ड सरकार द्वारा पारित यह योजना बालिकाओं में शिक्षा का विस्तार और उन्हें उनकी उच्च शिक्षा पूरी करने में समर्थन देने के लिए शुरू की गई थी. आपको बता दें की उस वक्त इस योजना का एलान सुकन्या योजना के नाम से किया गया था, जिसके बाद वर्ष 2022 में इस योजना का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना कर दिया गया.

इस योजना के तहत सरकार राज्य की किशोरीओं को कक्षा 8 से लेकर कक्षा 12 तक की पढ़ाई पूरी करने के लिए लगभग 6 किश्तों में 40 हजार रूपये तक की आर्थिक मदद प्रदान कर रही हैं, इसमें पहली दो क़िश्तों में कक्षा 8वीं और 9वीं में 2500 रूपये दी जाती है, वहीं 10वीं से लेकर 12वीं तक की तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं, और आखरी क़िश्त में बालिका के 18 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद बची राशी एक बार में उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती हैं.

कार्यक्रम में आगे मुख्यमंत्री ने आज की शिक्षा और प्रतियोगिता परीक्षाओं को लेकर बच्चों के बीच तनाव  भरे माहौल पर बात की. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि तनाव के कारण कई बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं और यह समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है। बच्चों को चाहिए कि वे अपने माता-पिता, अभिभावक और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हर मुद्दे पर खुलकर बात करें। संवाद में विषयों को लेकर झिझक नहीं होनी चाहिए। अच्छे सहयोगी बनाएं और स्वस्थ वातावरण में रहें। इससे निश्चित तौर पर बच्चे मानसिक रूप से मजबूत होंगे। किसी भी परिस्थिति और किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम बनेंगे।

 

 

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