TFP/DESK : क्या हेमंत सोरेन के ये विधायक अपने ही बुने हुए जाल में फंस गए हैं. आखिर झामुमो के इस विधायक को चुनाव आयोग ने क्यों थमा दिया है नोटिस. क्या है पूरा मामला. चुनाव आयोग की नोटिस में ऐसा क्या है. वह कौन विधायक हैं जिन्हें आयोग का नोटिस मिला है.
विधानसभा चुनाव से पहले बहरागोड़ा से झामुमो विधायक समीर मोहंती बुरे फंस गए है. उन्हें चुनाव आयोग ने नोटिस थमा दिया है. आखिर क्यों. कारण हम बताते हैं. चुनाव आयोग ने विधायक समीर मोहंती पर आरोप लगया है कि हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने 95 लाख रूपये से अधिक पैसे खर्च किए है.
मीडिया रिर्पोट्स के मुताबिक लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर से झामुमो के प्रत्याशी रहे समीर मोहंती ने चुनाव खत्म होने के बाद निर्वाचन आयोग को दिए हिसाब किताब में कुल 78,41,440 लाख रूपये खर्च का ब्योरा सौपां है. वहीं जमेशदपुर सांसदीय क्षेत्र में कुल 1887 बूथ हैं.
इस हिसाब से मोहंती के पत्र में लगाए गए प्रति बूथ छह हजार रूपये की दर से बांटे गए थे जो खर्च के लिहाज से 1.13 करोड़ रूपये से अधिक पहुंच जाता है.
जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो ने 69,66,820 लाख रूपये खर्च किए है, बता दें कि संसदीय चुनाव में प्रत्याशी को अधिकतम 95 लाख रुपये ही खर्च करने की अनुमति है जबकि समीर मोहंती ने तय मानक से अधिक खर्च किये है. इसलिए चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है.
बहरहाल, चुनाव आयोग के द्वारा विधायक समीर मोहंती पर लगाए लगे आरोप प्रमाणित हो जाते हैं तो ऐसे में उनका सियासी करियर मुश्किल में पड़ सकता है. या यूं कहें वे इस बार के चुनाव के लिए अयोग्य ठहराए जा सकते हैं.
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम ने इसका प्रावधान है. प्रावधान ये कहता है कि अगर किसी उम्मीदवार ने अपने चुनाव खर्च को वास्तविक चुनाव खर्च से कम दिखाया है तो उस उम्मीदवार के खिलाफ याचिका दायर की जा सकती है.
बता दें कि उम्मीदवार द्वारा खर्च की गई राशि को वास्तविक चुनाव खर्च से कम दिखाना भ्रष्टाचार है. उम्मीदवार को चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा से ज्यादा खर्च करने की अनुमति नहीं होती है. चुनाव आयोग ऐसे प्रत्याशी को तीन साल तक के लिए चुनाव लड़ने में अयोग्य ठहरा सकता है.
आपको बता दें कि चुनाव के नतीजे आने के बाद जमेशदपुर लोकसभा प्रत्याशी व बहरागोड़ा विधायक समीर मोहंती के नाम का एक लेटरपैड सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ था. जिसमें उन्होंने पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस के अध्यक्ष आनंद बिहारी दूबे के खिलाफ आरोप लगाया था कि जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में प्रति बूथ खर्च बांटने के लिए उन्होंने आंनद बिहारी को 6 हजार रूपये के हिसाब से 25 लाख रूपये दिये थे.
हालांकि दुबे ने प्रति बूथ पर केवल 4 हजार रूपये ही बांटे थे. उन्होंने यह भी कहा था कि एक राष्ट्रीय पार्टी के जिलाध्यक्ष की ऐसी ओछी हरकतें पूरे संगठन को कंलकित करने वाली है. इसी उन्होंने अपनी हार की भी बड़ी वजह बताया था.
इतना ही नहीं इसे लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक को उन्होंने कार्रवाई करने को कहा था. इस आरोप के बाद राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गई थी. वहीं बताया जाता है कि वरीय नेताओं ने जब समीर मोहंती को यह समझाया कि जो आरोप उन्होंने लगाया है, वह उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है तो उन्होंने आरोप वापस ले लिया.
यहां तक की उन्होंने अपने लेटरपैड पर लगाए गए लिखी बातों को ही फर्जी बता दिया. हालांकि ये अब उन्हीं पर भारी पड़ रहा है. यही उन्हें भेजे गए नोटिस का पुख्ता आधार भी बना गया है. अब उनके बयान के आधार पर ही चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस थमाते हुए जल्द जवाब मांगा है.
लेकिन सवाल तो ये भी है कि, अगर समीर मोहंती ने अपने आरोपों से लेकर लेटरपैंड तक को फर्जी करार दिया था तो उन्होंने इस संबंध में थाने में शिकायत अब तक क्यों नहीं किया. अब देखना ये होगा कि चुनाव आयोग के थमाये नोटिस में विधायक समीर मोहंती क्या जवाब देते है.