झारखंड के रामगढ़ में एक बार फिर क्यों शुरू हुआ चिपको आंदोलन?

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5 जून को पूरी दुनिया ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया और देश के प्रबुध लोगों ने पेड़ लगाने और पर्यावरण को बचाने की बात कही. लेकिन ठीक उसके एक दिन बाद यानी 6 जून को झारखंड के रामगढ़ के कुजू ओपी क्षेत्र अंतर्गत बूढ़ाखाप में चिपको आंदोलन देखने को मिला. महिलाएं पेड़ से चिपक कर खड़ी हो गई और पेड़ काटने का विरोध करने लगीं.

मामला क्या है समझिए?

दरअसल, रामगढ़ के कुजू ओपी क्षेत्र अंतर्गत बूढ़ाखाप में आलोक स्टील इंडस्ट्रीज नामक एक फैक्ट्री है. फैक्ट्री के पास वन भूमि और ग्रामीणों की जमीन है. फैक्ट्री के विस्तार को लेकर फैक्ट्री के पदाधिकारी वन विभाग के पास गए थे. जिसके बाद वन विभाग की टीम पेड़ों की गिनती के लिए गांव पंहुची. इस मामले की जानकारी जैसे ही गांववालों को हुई, सैकड़ों लोग वहां जमा हो गए. ग्रामीणों के बीच पेड़ काटे जाने की बात को लेकर नाराजगी थी. इसी बीच महिलाएं पेड़ से चिपक कर खड़ी हो गईं, और ये ऐलान किया गया कि एक भी पेड़ काटने की कोशिश की गई तो पहले उनकी जान लेनी पड़ेगी.

फैक्ट्री को उस जमीन पर प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र यानी pollution control machine लगानी थी. जिसको लेकर पहले पेड़ों की गिनती की जानी थी. जिसके बाद पेड़ों की कटाई शुरू होती. लेकिन विरोध के बाद वन विभाग के टीम को पेड़ों की गिनती रोकनी पड़ी. मौके पर ग्रामीणों ने फैक्ट्री प्रबंधन और वन विभाग के खिलाफ नारे भी लगाए.

आपको बता दें कि फैक्ट्री के प्रदूषण से गांव वाले पहले से ही परेशान हैं. गांव वालों ने बताया कि फैक्ट्री के धुएं के कारण उनकी फसल खराब हो जाती है. गांव में बीमारियां फैल रही है. और अब जंगल काटने की बात की जा रही है. ये वो होने नहीं देंगे.

इस पर रामगढ़ के डीएफओ मनीष कुमार ने बताया कि फैक्ट्री के द्वारा उस स्थान पर प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र लगाया जाना है. जिससे फैक्ट्री से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके. इसी संदर्भ में विभाग की टीम पेड़ों की गिनती करने गई थी. जिसका विरोध किया जा रहा है.

ये सोचने वाली बात है कि प्रदूषण को रोकने के लिए पेड़ काट कर वहां मशीन लगाया जाना था, जिसके मदद से प्रदूषण के रोका जाना है. किसी भी तरीके से ये बात आपको समझ में आ रहा है. पहले पेड़ को काटकर मशीन से प्रदूषण नियंत्रण किया जाएगा. विकास इतना भी जरुरी नहीं हो सकता है कि अब पेड़ों को मशीनों से रिप्लेस कर दिया जाए. वैसे भी गर्मी के मौसम में आपको हमको सबको पेड़ों का महत्व ज्यादा समझ आता है.

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