चंपाई सोरेन कोलकाता के रास्ते दिल्ली के लिए रवाना हो गये हैं. रविवार देर शाम को चंपई सोरेन अपने मीडिया सलाहकार चंचल गोस्वामी, बेटे बाबूलाल सोरेन और वकील सोरेन सहित पूरे काफिले के साथ कोलकाता के लिए रवाना हो गए.
सरायकेला की सीमा तक कार्यकर्ताओं और समर्थकों का हुजूम भी साथ आया. सियासी जानकारों का मानना है कि चंपाई सोरेन भारतीय जनता पार्टी के साथ आगामी विधानसभा चुनावों की खातिर डील फाइनल करने ही दिल्ली गये हैं.
उनकी कोलकाता में बंगाल बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं से मुलाकात हो सकती है. दिल्ली में चंपाई सोरेन, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलेंगे. इस बार गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हो सकती है.
हालांकि, चंपाई सोरेन इस बात से इनकार करते रहे हैं कि वह बीजेपी के संपर्क में हैं.
चंपाई सोरेन पहले भी कोलकाता गये थे
गौरतलब है कि इससे पहले भी चंपाई सोरेन 17-18 अगस्त को कोलकाता के रास्ते दिल्ली गये थे. उन्होंने 2 दिन दिल्ली में बिताए.
इससे पहले कोलकाता में भी 1 दिन का प्रवास किया. दिल्ली पहुंचने पर एयरपोर्ट में मीडिया से मुखातिब चंपाई सोरेन ने कहा था कि वह अपनी बेटी से मिलने दिल्ली आये हैं. जब वापस झारखंड लौटे तो कहा कि चश्मा बनवाने दिल्ली गया था.
यहीं सरायकेला में चंपाई ने ऐलान किया था कि वह बीजेपी में नहीं जा रहे. झारखंड मुक्ति मोर्चा में वापसी का इरादा नहीं है. वह अपना संगठन बनाएंगे और कोल्हान की 14 विधानसभा सीटों पर घूमकर लोगों को अपने साथ हुए दुर्व्यवहार और अपमान की जानकारी देंगे.
चंपाई सोरेन ने ट्वीट कर झामुमो की आलोचना की
बता दें कि चंपाई सोरेन ने 2 पन्नों का ट्वीट कर कहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उनका अपमान किया. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद उनको बतौर मुख्यमंत्री सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से रोक दिया गया.
मुख्यमंत्री आवास में उनको एजेंडा बताये बिना विधायक दल की बैठक बुलाई गई. बिना किसी पूर्व सूचना के इस्तीफा देने को कहा गया. इसके बाद भी कई अपमानजनक वाकया हुआ.
गौरतलब है कि इस विषय पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है. मुख्यमंत्री ने हमेशा चंपाई सोरेन के सवाल पर चुप्पी साध ली.
हालांकि, कल्पना मुर्मू सोरेन ने जरूर कहा कि वे वरीय सिपाही हैं. उनके मन में जो था उन्होंने सार्वजनिक मंच पर लिख दिया है. मैं उनका सम्मान करती हूं. ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहती.
चंपाई सोरेन का झामुमो से हो गया मोहभंग
गौरतलब है कि 31 जनवरी को तात्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कथित जमीन घोटाला केस में गिरफ्तारी के बाद 2 फरवरी को चंपाई सोरेन ने सीएम पद की शपथ ली थी.
कहा जाता है कि हेमंत सोरेन ने सत्ताधारी दल के सभी विधायकों से ब्लैंक पेपर पर हस्ताक्षर लिए और फिर ऐलान किया कि चंपाई सोरेन उनकी गैर-मौजूदगी में प्रदेश के नये मुख्यमंत्री होंगे.
चंपाई सोरेन को शिबू सोरेन परिवार का सबसे करीबी और भरोसेमंद व्यक्ति माना जाता था. हालांकि, सत्ता के सवाल पर उनके रिश्तों में दरार आ गई जिसे पाट पाना मुश्किल दिख रहा है.
अब भी बड़ा सवाल यही है कि चंपाई बीजेपी में जायेंगे या वाकई अलग संगठन बनाकर आगामी चुनाव में ताल ठोकेंगे.
गौरतलब की झारखंड की सियासत में इस समय काफी उथल-पुथल मची हुई है. चंपाई सोरेन के बगावती रुख से जरूर झारखंड मुक्ति मोर्चा की पेशानी पर बल हैं लेकिन वह इसे जाहिर नहीं करना चाहती. चंपाई सोरेन का कोल्हान की 14 विधानसभा सीटों पर निश्चित रूप से प्रभाव है. यदि चंपाई अलग संगठन बनाकर चुनाव लड़ते हैं तो निश्चित रूप से कुछ सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. बीजेपी यही चाहेगी. दरअसल, झारखंड की 81 में से 28 विधानसभा सीटें एसटी आरक्षित हैं. 2019 में बीजेपी महज 2 सीट जीत पाई थी.