विधानसभा चुनाव से पहले लोबिन,चमरा और कुणाल षाड़ंगी इस दल में हो सकते हैं शामिल ?

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Ranchi : साल के अंत में झारखंड विधानसभा का चुनाव होना है.  घोषणा से पहले और घोषणा होने के बाद कई नेताओं के पाला बदलने की खबरें आनी शुरू हो जाती है. खासतौर पर झारखंड की राजनीति में यह समझ से परे है कि यहां कौन सा नेता कब किस दल में शामिल हो जाएगा.

कई नेता तो इस गफलत में पाला बदल लेते है कि शयाद दूसरे दल में शामिल होने से उनकी किस्मत चमक जाएगी. या यूं कहे कि बेहतर संभावनाओं की तालाश में अन्य दलों की ओर देखना शुरू कर देते है. खैर झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है. आशंका है कि इस बार भी कई नेता-विधायक चुनाव से पहले अपना पाला बदल सकते हैं.

राजनीतिक गालियारों में ये चर्चा तेज है कि कई ऐसे विधायक हैं जो चुनाव से पहले शायद अपना पाला बदल सकते है.  इनमें बोरियो से झामुमो के विधायक रहे लोबिन हेम्ब्रम, विशुनपुर विधायक चमरा लिंडा और झामुमो के पूर्व विधायक व भाजपा प्रवक्ता रहे कुणाल सारंगी, भाजपा के पूर्व विधायक जेपी पटेल समेत कई नाम शामिल है.

पिछला चुनाव में इन नेताओं ने बदल लिया था पाला 

आपको बता दें कि पिछली बार भी कई नेताओं ने अपना पाला बदल कर चुनाव लड़ा था, मीडिया रिर्पोट्स की मानें तो उस वक्त 16 नेताओं ने पाला बदला था. सबसे पहले भाजपा से बगावत करने वाले नेताओं की बात करते हैं.

इनमें ताला मरांडी, फूलचंद मंडल, शालिनी गुप्ता और उमाशंकर अकेला के नाम शामिल हैं. हालांकि इनमे से एक उमाशंकर अकेला ने बरही सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता था.

वहीं झामुमो की बात करें तो शशिभूषण मेहता, अंतु तिर्की, जय प्रकाश भाई पटेल, कुणाल षाडंगी शामिल थे, इनमें से एक जेपी पटेल को मांडू सीट से जीत हासिल हुई थी.

जबकि कांग्रेस से प्रदीप बालमुचू, मनोज यादव, सुखदेव भगत के नाम शामिल हैं. इन नेताओं को पिछला चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा झाविमो से प्रकाश राम, सत्यानंद भोक्ता और आजसू के विकास मुंड़ा ने अपना पाला बदला था.

वहीं आरजेजी से जनार्दन पासवान ने दल बदल कर जनता दल की टिकट पर चतरा से चुनाव लड़ा था हालांकि वे चुनाव हार गए थे. ये तो हो गई पिछला चुनाव में दल बदलने वाले नेताओं की.

अब आते है मुद्दे पर, इस बार भी विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो के कई नेता है जो दल बदल सकते है. बता दें कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में झामुमो के 2  विधायक ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी लाइन से हटकर चुनाव लड़ा था लेकिन जीत हासिल नहीं हुई.

ये थे लोबिन हेम्ब्रम और चमरा लिंडा. पार्टी ने लोबिन हेम्ब्रम और चमरा लिंडा पर बड़ा एक्शन लेते हुए छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है.

इनमें से लोबिन हेम्ब्रम की विधानसभा सदस्यता भी जा चुकी है. इसलिए कहा जा रहा है कि ये दोनों दल बदल कर चुनाव लड़ सकते है या फिर निर्दलीय. इसी कड़ी में आगे बढ़ते है भाजपा के प्रवक्ता रहे कुणाल सारंगी की. कुणाल सारंगी ने हाल ही में बीजेपी के प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया है. पार्टी भी छोड़ दी है.

अब सियासी गालियारों में चर्चा है कि शायद चुनाव से पहले कुणाल की झामुमो में घर वापसी हो सकती है या फिर किसी दूसरे दल से चुनाव लड़ सकते है. हालांकि इन नेताओं ने इसे लेकर अपनी ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है.

मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो भाजपा अपने प्रतिद्वंद्दी को झटका देने के लिए उस खेमे से कुछ प्रमुख नेताओं को अपनी ओर ला सकती है. बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ऐसा कर चुकी है.

मालूम हो कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा  सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन और कांग्रेस से तात्कालीन सांसद गीता कोड़ा  को अपने पाले में लाने में सफल रही. हालांकि दोनो ही नेत्रियों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

BJP की चंपाई सोरेन पर है खास नजर !

खबर है कि भाजपा इस बार दिग्गज झामुमो नेता व पूर्व मुख्यमंत्री पर नजर बनाए हुए है. यही वजह है कि भाजपा के कई बड़े दिग्गज नेता उनकी तरीफों के पुल बांध रहे. वैसे नेता जो हमेशा झामुमो को अपने आड़े हाथ लिये रहते है, बाबूलाल मरांडी हो अमर बाउरी हो, यहां तक की असम के मुख्यमंत्री हिंमता बिस्वा सरमा जैसे दिग्गज नेता हो ये अब तक चपांई सोरेन की तारीफ ही करते आए है.

वहीं जानकारों का मानना है कि ये पार्टी की रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है अपने प्रतिद्वंद्वी को परास्त करने के लिए. हालांकि भाजपा नेताओं की प्रशंसा के बावजूद अभी तक उन्होंने अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं दिए है. जिससे लगे कि वे पार्टी से नाराज चल रहे है.

लेकिन झारखंड की राजनीति में कब कौन कहां पाला बदल इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है. हालांकि ये तो चुनाव  की घोषणा के बाद ही पता चलेगा कौन नेता विधायक पाला बदल रहे है.

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