झारखंड में आयुष्मान घोटाला, मृत लोगों का भी हुआ इलाज

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नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था कि मेरी डिक्सनरी में इंपोसिबल शब्द नहीं है. और झारखंड वो राज्य है जहां कुछ इंपोसिबल नहीं है. यहां सब पोसिबल है. ऐसे कहने के पीछे एक कारण है. दरअसल  भारत में कैग ने एक रिपोर्ट जारी किया है. जिसमें ये खुलासा किया गया है कि 2018 में शुरू हुए आयुष्मान भारत योजना के तहत जो गरीब मरीजों का इलाज होता है. उसमें कई राज्यों में गड़बड़ी पाई गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में ऐसे 250  मरीजों का इलाज हुआ है जो मर चुके हैं.

झारखंड में इस योजना के तहत 323 मामले में क्लेम का भुगतान हुआ है. लेकिन इन्हीं 323 मरीजों में पहले 250 को मृत बताया गया. लेकिन फिर इन मरीजों का इलाज भी किया गया. आपको बता दें इन 323 मरीजों के लिए सरकार ने अस्पतालों को 30 लाख 37 हजार 440 रुपए का भुगतान किया है.

कैग की रिपोर्ट के अनुसार मृत व्यक्ति के नाम पर क्लेम के अलावा भी कई गड़बडियां हैं जो सामने आई हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति का इलाज एक ही समय में दो अस्पतालों में चल रहा था. झारखंड में ऐसे 1325 मरीजों का नाम लिस्ट में है जो एक ही समय में कई अस्पतालों में इलाज करा रहे थे. इसमें 652 पुरुष और 673 महिलाएं हैं. आपको बता दें इस तरह के भ्रष्टाचार में राज्य के कुल 148 अस्पताल शामिल हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया कि जो भी क्लेम हुए थे उनका जांच किये बिना ही  राज्य के एसएचए ने भुगतान करवा दिया था.

इसके अलावा कई ऐसे मामले हैं जहां बच्चे का जन्म एक अस्पताल में हुआ है. वहीं उसकी मां की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आइडी का इस्तमाल करके नवजात बच्चे की देखभाल के लिए दूसरे अस्पताल में भेज दिया गया.

कैग ने अपने रिपोर्ट में  बोकारो के सात अस्पतालों की जांच की थी. जिसमें पाया गया  कि जितने अस्पताल में बेड हैं उससे अधिक मरीजों का इलाज किया गया . एक अस्पताल में तो जितने बेड हैं उससे दोगुना मरीजों का इलाज कर दिया गया. इस रिपोर्ट में अलग- अलग तारीख पर अस्पतालों की क्षमता से अधिक मरीजों की एंट्री दिखाई गई है. बोकारो जिला के एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर में 22 मार्च 2021 को 16 बेड पर 24 मरीज थे. महालक्ष्मी नर्सिंग होम में 19 मार्च 2021 को 15 बेड के बदले 18 मरीज थे. वहीं आरएनबी हॉस्पिटल एंड पाल आई रिसर्च सेंटर में 06 मार्च 2021को 20 बेड के बदले 38 मरीजों का इलाज हुआ था.

बोकारो के अलावा गोड्डा में भी ऐसा फर्जीवाड़ा हुआ है. जो बीमा कंपनी पैसे का भुगतान करती है, उसने 26 दिंसबर 2019 में एसएचए से शिकायत की थी लाइफलाइन नर्सिंग होम गोड्डा ने बिना फेको मशीन के ही 92 ऑपरेशन कर दिया. इसको लेकर एसएचए ने  बीमा कंपनी से सारा रिपोर्ट मांगा था. लेकिन बीमा कंपनी ने लाभार्थी ऑडिट और दावा राशि का विवरण प्रदान नहीं किया. लेकिन हैरानी की बात है कि एसएचए  ने ना तो बीमा कंपनी और ना ही अस्पताल पर कोई कार्यवाई की है.

झारखंड में आए दिन कोई न कोई ऐसी खबर आते रहती है जहां घोटाला, गबन, घूस, अवैध खनन,हत्या, लेवी, स्नैचिंग. और भी कई अपराध हो रहे हैं. लेकिन इसको कम करने या पूरी तरह से खत्म करने में ना तो प्रशासन की और ना ही सरकार की दिल्चस्पी देखने को मिल रही है.

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