पर्यटकों का पसंदीदा राज्य होगा झारखंड : हेमंत सोरेन

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झारखंड प्रकृति की गोद में बसा राज्य है. झारखंड का हर जिला खुद में ही खास और रमणीय नजारों से परिपूर्ण है. झारखंड में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं लेकिन अब तक राज्य को पर्यटन के क्षेत्र में उस स्तर की पहचान नहीं मिल पाई है जितनी मिलनी चाहिए थी. यह बेहद दुखद है.

लेकिन अब झारखंड के हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड को पर्यटन प्रदेश के रुप में पहचान दिलाने के तरफ अपने कदम आगे बढ़ा रही है. इसी बीच बीते कल 26 सितंबर को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखंड मंत्रालय में अधिकारियों के साथ राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नेतरहाट इको फेस्टिवल-2023 के आयोजन की तैयारियों से संबंधित बैठक की.बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि-झारखंड को पर्यटकों का पसंदीदा राज्य के रुप में विकसित करना राज्य सरकार का लक्ष्य है. इसे लेकर न केवल पर्यटन क्षेत्रों में सुविधाएं विकसित की जा रही हैं बल्कि राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई गतिविधियां आयोजित करने का निर्णय लिया गया है.

नेतरहाट में प्रस्तावित नेतरहाट इको फेस्टिवल-2023 उसी लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास है. इस फेस्टिवल को लेकर सीएम ने कहा कि यह आयोजन पर्यटकों के लिए आकर्षक सुंदर और निवेश की संभावनाओं वाला झारखंड के बारे में जानने का एक शानदार अवसर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन राज्य में पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में भी मदद करेगा. फिलहाल इश फेस्टिवल की तिथि अभी तय नहीं है लेकिन अक्तूबर में इसका आयोजन होने की संभानाए हैं.सीएम सोरेन ने इस फेस्टिवल की तैयारी को लेकर संबंधित पदाधिकारियों को जरुरी दिशा-निर्देश भी दिए है.

इसके साथ ही सीएम ने यह भी कहा कि राज्य में वनों पर निर्भर रहने वालों लोगों को वनाधिकार पट्टा देने के लिए अगले महिने यानी अक्टूबर से अबुआ वीर दिशोम वनाधिकार अभियान शुरु होगा. इसके तहत कैंप लगा कर पात्र लोगों को वनपट्टा दिया जायेगा. सीएम ने अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारियों को अबुआ वीर दिशोम वनाधिकार अभियान के अंतर्गत तीव्र गति से बड़ी संख्या में भूमिहीन पात्र लोगों के बीच वनपट्टा वितरण करने का निर्देश दिया. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार आदिवासी, मूलवासी, दलित, गरीब तथा भूमिहीनों को उनका पूरा अधिकार दिलायेगी .इसके साथ ही सीएम ने पूर्व की झारखंड सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने वनाधिकार कानून 2006 के तहत राज्य में वन पट्टा आवंटन कार्य को उपेक्षित रखा लेकिन हमारी सरकार राज्य में वन क्षेत्र में जीवन यापन करने वाले लोगों के बीच वनपट्टा वितरण कर उनका अधिकार देने का काम कर रही है.

वैसे राज्य में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने अच्छी पहल की है. झारखंड में पर्यटन प्रदेश बनने की अपार संभावनाएं है. अब देखना होगा कि सरकार की रणनीतियां पर्यटकों को आकर्षित कर पाती है या नहीं.

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