झारखंड में 24 अफसरों को बिना काम किए ही मिल रही है सैलरी, सरकार इन पर करोड़ो रुपए कर रही है खर्च

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पैसे पानी में बहाना कोई झारखंड सरकार से सीखे, वैसे तो सरकार न ही परीक्षा लेती है और न नौकरी देती है लेकिन अब जिनकी नौकरी हो गई है उन्हें पोस्टिंग भी नहीं दे रही है लेकिन उन्हें घर बैठे अपने महीने की तनख्वाह जरुर मिल जा रही है. दैनिक अखबार प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 24 ऐसे अफसर हैं जिन्हें बिना काम किए ही सैलरी मिल रही है. और इनकी सैलरी पर झारखंड सरकार लगभग 20 लाख रुपए हर महिने खर्च कर रही है.

राज्य प्रशासनिक सेवा के छठे बैच के 24 अधिकारी बिना काम के बैठे हैं और छह महिने से सभी अधिकारी हर महिने वेतन ले रहे हैं. अधिकारियों को हर महिने करीब 80 हजार रुपये वेतन के रूप में मिलता है. इनको वेतन देने में सरकार अब तक डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है. इन 24 अधिकारियों को सरकार करीब 20 लाख रुपये बैठा कर दे रही है.

इन 24 अधिकारियों को राज्य के भू राजस्व विभाग में सेवा देनी थी.नियुक्ति के बाद इन्हें ट्रेनिंग के लिए भेजा गया. ट्रेनिंग पीडियड खत्म होने के बाद इन्हें पदस्थापित ही नहीं किया गया, हालांकि सामान्यत ट्रेनिंग के बाद अधिकारियों को उनके पदों पर पदस्थापित कर दिया जाता है. लेकिन सरकार ने इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जबकि राज्य में अंचलों की स्थिति काफी अच्छी नहीं है और अंचलों में अधिकारियों की सख्त जरुरत है. रिपोर्ट की मानें तो राज्य में 100 से अधिक अंचल में अधिकारियों के पद खाली पड़े हैं, राजधानी में ही चार अंचल में अधिकारियों के पद खाली है. इन अंचलों में नए अधिकारियों की नियुक्ति करने की जगह यहां के बीडीओ को ही सीओ का प्रभार दे दिया गया है. राज्यों के अंचलों में आम लोगों की शिकायत होती रहती है कि उनके काम काफी धीमी गति से आगे बढ़ते हैं. लोगों को अंचलों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. झारखंड के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसरों की और अंचल में अंचलाधिकारियों की लेकिन सरकार इन कमी को पूरा करने के मूड में नहीं है. राज्य के अभ्यर्थी दे रहे हैं, परीक्षा पास भी कर रहे हैं लेकिन इनकी कहीं पोस्टिंग भी नहीं हो पा रही है.

सारांश जैन, धर्मेंद्र कुमार दुबे, संतोष कुमार, शिवपूजन तिवारी, मनोज कुमार मिश्र, राज कुंवर सिंह, किशोरी यादव, नीलम कुमारी, नित्यानंद दास, घनश्याम कुमार राम, अनिल रविदास, प्रमोद कुमार, अविनाश कुजूर, कुमारी शीला उरांव, गीरेंद्र टूटी, दीपक मिंज, सुषमा सोरेन, चंचला कुमारी, अमित किस्कु, अविनाश रंजन, नवीन चंद्र झा, नइमुद्दीन अंसारी, अमर कुमार, अबीश्वर मुरमू ही वो अधिकारी हैं जिन्हें प्रोबेशन खत्म होने के बाद भी अब तक पदस्थापित नहीं किया गया है. ये सभी अधिकारी अपनी ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे हैं और इन्होंने अपने वरीय अधिकारियों से अपने पदस्थापन की गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक किसी के कान में जू तक नहीं रेंगी है.

इन अधिकारियों पर सरकार करोड़ों रुपए तो खर्च कर रही है लेकिन राज्य सरकार के वित्त विभाग के 23 अगस्त 2022 के संकल्प के अनुसार बिना काम या सेवा के वेतनादि पर भुगतान करना गंभीर वित्तीय अनियमितता है.इस संकल्प में इस तरह वेतन दिए जाने पर पाबंदी लगाने की बात कही गई थी. इसमें कहा गया था कि इस तरह बिना काम के वेतन देने अवधि 15 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए.

राज्य सरकार के संबंधित विभाग को इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की जरुरत है. अब देखना होगा कि सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता दिखाती है.

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