बिहार में हो रहे जाति गणना मामले में आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने फिलहाल जाति गणना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप जब तक यह साबित नहीं कर देते कि जाति गणना कराना गलत है, तब तक कोर्ट रोक लगाने का निर्णय नहीं सकती है. बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की खंडपीठ में हुई.
वहीं, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. कोर्ट ने जब कहा कि आप जाति गणना गलत क्यों है इसके पीछे का कारण बताई तब उन्होंने कोर्ट से समय मांगा. जिस पर न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने उन्हें एक हफ्ते का समय दिया. बता दें कि तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष जाति गणना से होने वाले मुश्किलों के बारे में कोर्ट को अवगत कराया लेकिन कोर्ट ने उन्हें विस्तार से होने वाले दुस्प्रभाव के बारे में बताने को कहा है.
केंद्र सरकार जातीय जनगणना के खिलाफ
बता दें कि बिहार की नीतीश कुमार की सरकार शुरू से ही जातिगत जनगणना के पक्ष में रही है. नीतीश कुमार की सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है. वहीं, इस जनगणना के खिलाफ में केंद्र सरकार हमेशा से रही है. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया था, जिसमें साफ कहा गया था कि जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी. इसके पीछे केंद्र की ओर से तर्क दिया गया था कि ओबीसी जातियों की गिनती करना लंबा और बेहद कठिन काम है.न