दिल्ली में सत्ता गंवा चुके अरविंद केजरीवाल का सियासी भविष्य क्या होगा.
सीएम पद से चुनाव पूर्व इस्तीफा दे चुके अरविंद केजरीवाल विधानसभा चुनाव भी गंवा बैठे. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं लेकिन कब तक? क्या अरविंद केजरीवाल अब राज्यसभा में जाएंगे? क्या यह संभावना भी है कि अरविंद केजरीवाल भगवंत मान से इस्तीफा दिलाकर खुद पंजाब का मुख्यमंत्री बन जाएं? 11 साल तक लगातार सत्ता सुख भोगने वाले अरविंद केजरीवाल अगले 5 साल क्या करेंगे?
सियासी गलियारों में तो चर्चा यहां तक है कि दिल्ली चुनाव में अपना पूरा थिंक टैंक गंवा चुके अरविंद केजरीवाल कहीं पार्टी में टूट-फूट की मुश्किल से तो नहीं गुजरेंगे?
अरविंद केजरीवाल के पॉलिटिकल करियर में कम से कम आगे 5 साल के लिए क्या बचा है? किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं. कभी पीएम बनने क चाहत थी अब सीएम भी नहीं रहे अरविंद केजरीवाल को लेकर उठ रहे इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने का प्रयास करेंगे.
क्या वाकई आप का दीया बुझ गया है? क्या वाकई अरविंद केजरीवाल नेपथ्य में चले जाएंगे?
महज 22 सीटों पर सिमट गई आम आदमी पार्टी
2015 में 67 और 2020 में 63 सीटों पर जीत हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 2025 में महज 22 सीटों पर सिमट गई है. भाजपा ने इसे सत्ता से बेदखल कर दिया है.
सियासी पार्टियां सत्ता में आते-जाते रहती हैं लेकिन क्या होगा यदि पार्टी का मुखिया ही चुनाव हार जाए.
दरअसल, वोटिंग के बाद अधिकांश एग्जिट पोल ने दिल्ली की सत्ता से आप की विदाई का पूर्वानुमान लगा लिया था इसलिए रुझानों में बीजेपी को बढ़त मिली तो ज्यादा अजीब नहीं लगा. सियासी पंडित से लेकर मीडिया न्यूज रूम और आम लोग भी तब चौंक गए जब अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट पर भाजपा के प्रवेश वर्मा से हार मिली.
भाजपा की लहर में मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती और सौरभ भारद्वाज जैसे दिग्गज हारे लेकिन सवाल केजरीवाल के पॉलिटिकल फ्यूचर पर उठा है.
अब इसी पॉलिटिकल फ्यूचर पर कुछ थ्योरी, कयास और अनुमान हैं. हम इन्हीं पर बात करने वाले हैं.
पंजाब के सीएम बनेंगे अरविंद केजरीवाल?
क्या अरविंद केजरीवाल अब पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं?
जी! भाजपा के कई वरीय नेताओं ने यह दावा किया है कि सत्तासीन रहने के आदी हो चुके अरविंद केजरीवाल भगवंत मान से इस्तीफा दिलाकर खुद पंजाब में सीएम की कुर्सी पर बैठ सकते हैं. कोई भरोसेमंद विधायक अपनी सीट भी कुर्बान कर देगा जहां से उपचुनाव जीतकर केजरीवाल सीएम पद बरकरार रख सकते हैं.
हालांकि, सियासी जानकार इसकी संभावना को नकारते हैं.
दरअसल, कांग्रेस पार्टी के एक शीर्ष नेता ने यह दावा किया है कि भगवंत मान, पंजाब के एकनाथ शिंदे साबित हो सकते हैं. उनका मानना है कि जैसे एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करके भाजपा के साथ सरकार बना ली थी, भगवंत मान करीब 30 आप विधायकों को लेकर पंजाब में वही दोहरा सकते हैं.
बस यहां भाजपा की जगह कांग्रेस पार्टी होगी.
कुछ कयास इस बात पर भी हैं कि यदि भगवंत मान पर दिल्ली खेमे ने इस्तीफे का दबाव बनाया तो वह भाजपा के पाले में जा सकते हैं. सत्ता किसे प्यारी नहीं होती? पहले भी कई बार दिल्ली और पंजाब आप के बीच मतभेद की खबरें आती रही हैं.
ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि अरविंद केजरीवाल पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा व्यक्त करेंगे.
केजरीवाल के राज्यसभा जाने का चांस क्या है!
चर्चा और एक्टिव संसदीय राजनीति में बने रहने के लिए अरविंद केजरीवाल के पास राज्यसभा का विकल्प भी है. सवाल है कि इसकी संभावना कितनी है? अरविंद केजरीवाल राज्यसभा जा सकते हैं.
दिल्ली और पंजाब में उनके पास पर्याप्त संख्या भी है. मुश्किल समय को लेकर है. दरअसल, दिल्ली में राज्यसभा का चुनाव 2030 में होगा. इसका मतलब है कि केजरीवाल को 5 साल तक इंतजार करना होगा.
क्या वह पंजाब से राज्यसभा सांसद बन सकते हैं. जवाब होगा नहीं!
पंजाब में 2028 में राज्यसभा का चुनाव होना है. वहां भी कम से कम 3 साल का इंतजार करना ही होगा.
विधायकी गंवा चुके अरविंद केजरीवाल के पास अभी केवल एक पद है. वह आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं. यह पद भी रहेगा इस पर संशय है. दरअसल, अरविंद केजरीवाल दिल्ली में शराब घोटाले के संगीन आरोपों में घिरे हैं. वह इस समय जमानत पर बाहर हैं.
अब दिल्ली में भाजपा की सरकार है. जाहिर है कि सियासी पंरपरा का निर्वाह करते हुए मौजूदा भाजपा सरकार, पूर्ववर्ती आप सरकार की फाइलें खोलेगी. शुक्रवार को चुनाव नतीजों के बाद दिल्ली में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इसके संकेत भी दिए. कहा कि करप्शन पर हमारी जीरो टॉलरेंस की नीति है. जिसने भ्रष्टाचार किया उसे इसका भुगतान करना होगा. जितना खाया है उसका पाई-पाई का हिसाब होगा.
ऐसे में आशंका है कि केजरीवाल के खिलाफ शराब घोटाले की जांच तेज हो सकती है.
वह यदि दोबारा जेल गए तो पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक का पद छोड़ना पड़ेगा. चूंकि, अपनी सीट भी गंवा दी है तो हो सकता है कि पार्टी के भीतर बगावत के सुर भी उठेंगे.
अरविंद केजरीवाल इन कारणों से चुनाव हार गए
2013 में जब अरविंद केजरीवाल ने झारखंड की राजनीति में विकल्प की बात कहकर आम आदमी पार्टी का गठन किया था तो उनकी चाहत कभी भी केवल सीएम बनने तक की नहीं थी. उनकी महात्वाकांक्षा प्रधानमंत्री बनने की रही है.
2014 में वह बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़े. 2019 में भी खुद को पीएम कैंडिडेट के रूप में ही प्रोजेक्ट किया.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जब इंडिया गठबंधन का गठन हुआ तो उनकी पार्टी ने उन्हें पीएम के रूप में सामने रखा. पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने तो खुलेआम इसका इजहार किया. वह पिछले 11 साल में हर मंच पर हमेशा अपनी सीधी लड़ाई केंद्र सरकार के साथ होने की बात दोहराते रहे. सीधा प्रधानमंत्री पर हमला बोला.
इस बात का इन चुनावों में आप को तगड़ा नुकसान हुआ.
सियासी जानकार कहते हैं कि दिल्ली के सीएम का केंद्र से भिड़ने का नुकसान दिल्ली की जनता को ज्यादा हुआ. अब आप की सत्ता नहीं रही. केजरीवाल खुद चुनाव हार गये. दावा किया करते थे कि पीएम नरेंद्र मोदी को उन्हें हराने के लिए दूसरा जन्म लेना पड़ेगा. खैर!
अब भी सवाल वहीं है कि अरविंद केजरीवाल अगले 5 साल क्या करेंगे.
पंजाब का सीएम या राज्यसभा सांसद. इस बार केजरीवाल के लिए वाकई दिल्ली दूर हो गई है. उनकी पार्टी कह रही है कि केजरीवाल दिल्ली में ही रहेंगे. ईमानदार और सक्रिय विपक्ष की भूमिका निभाएंगे. लोगों से मिलेंगे. उनकी समस्या सुनेंगे और निदान तलाशेंगे. सदन के भीतर न सही, बाहर से ही सरकार को आईना दिखाएंगे.