झारखंड में विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो गई है. लगभग प्रत्याशियों ने अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है.राज्य में चुनाव 13 और 20 नवंबर को होंगे.वहीं नतीजे 23 नवंबर को घोषित किये जाएंगे. चुनाव के मद्देनजर हम आपके साथ झारखंड की सभी सीटों का समीकरण साझा कर रहे हैं. आज हम बात कर रहे हैं जमुआ विधानसभा सीट की और जानेंगे आखिर जमुआ में इस बार किस पार्टी का पलड़ा भारी है और कौन प्रत्याशी इस बार बाजी मारेगा.
जमुआ में केदार हाजरा और मंजू देवी के बीच मुकाबला
जमुआ विधानसभा सीट गिरिडीह जिले में पड़ता है.यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है यानी यह एससी रिजर्व सीट है. इस सीट में भाजपा और झामुमो के बीच कुर्सी के लिए फाइट होनी है. भाजपा ने जमुआ से मंजू देवी को टिकट दिया है. टिकट बंटवारे से कुछ दिन पहले ही मंजू देवी भाजपा में शामिल हुई थी और भाजपा ने उनका टिकट भी फाइनल कर दिया. वहीं झामुमो ने मौजूदा विधायक केदार हाजरा को अपना प्रत्याशी बनाया है. केदार हाजरा भी टिकट बंटवारे से कुछ दिन पहले भाजपा छोड़ झामुमो में शामिल हुए. केदार हाजरा तीन बार जमुआ से विधायक निर्वाचित हुए हैं.2005, 2014 और 2019 में केदार हाजरा भाजपा की टिकट से चुनाव जीते थे. इस बार उनका टिकट कटने के बाद उन्होंने झामुमो का दामन थाम लिया और झामुमो ने उन्हें जमुआ से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे दिया.
झामुमो का नहीं खुला खाता
हालांकि जमुआ सीट पर झामुमो ने अब तक अपना खाता नहीं खोला है. जमुआ विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करने का प्रयास झारखंड मुक्ति मोर्चा लगातार करती रही है. इस सीट पर झामुमो ने 1980, 1995, 2000, 2005, 2009 और 2014 में अपना उम्मीदवार खड़ा किया लेकिन एक भी बार झामुमो इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी. 2005 में झामुमो यहां से झामुमो के चंद्रका महथा चुनाव लड़े लेकिन दूसरे नंबर पर रहे. वहीं 2009 के चुनाव में झामुमो से अर्जुन बैठा चुनाव लड़े लेकिन वो 5वें स्थान पर रहे, 2014 के विधानसभा चुनाव में चंद्रका महथा एख बार फिर झामुमो के टिकट से चुनाव लड़े पर वो इस बार भी 5वें स्थान पर रहे .झामुमो से अच्छी स्थिति में यहां राजद भाकपा माले रही थी. इस बार केदार हाजरा झामुमो के सिंबल से चुनावी मैदान में उतरे हैं. हालांकि इस सीट पर दल बदलने वाले प्रत्याशियों की स्थिति अच्छी नहीं रही है.
पार्टी बदलने वाले हुए हैं असफल
जमुआ विधानसभा सीट पर पार्टी बदलने वाले सिटिंग एमएलए भी बुरी तरह पराजित हो चुके हैं. दरअसल 2005 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा की टिकट पर चंद्रिका महथा मैदान में उतरे थे. चंद्रिका ने भाजपा के केदार को सीधी टक्कर दी और दूसरे स्थान पर रहे. 2009 के चुनाव में चंद्रिका जेवीएम की टिकट पर मैदान में उतरे और केदार को हराकर जीत दर्ज की. जब 2014 का चुनाव आया तो एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए जेवीएम ने उम्मीदवार बदलने का फैसला लिया. ऐसे में चंद्रिका फिर से जेएमएम में चले गए लेकिन यहां इनकी हार हुई. 2014 के चुनाव में चंद्रिका पांचवे स्थान पर रहे.
उपरोक्त आंकड़े जमुआ में भाजपा को बढ़त दिलाते नजर आ रहे हैं.झारखंड अलग राज्य बनने के बाद यहां से भाजपा ने तीन बार जीत हासिल की है. जेविएम को छोड़कर जमुआ की जनता ने भाजपा के अलावा किसी पार्टी पर भरोसा नहीं किया है. जमुआ की जनता ने झामुमो को सिरे से नकार दिया है. जमुआ में झामुमो की स्थिति भाजपा के सामने काफी कमजोर नजर आ रही है. ऐसे में भाजपा एक बार फिर जमुआ में बाजी मार सकती है.
हालांकि अंतिम फैसला जनता के हाथ में है और जनादेश 23 नवंबर को आ जाएगा.