झारखंड मे राजनीतिक विरासत को बढ़ने के लिए तैयार है ये नेता मंत्री, क्या पार्टी देगी मौका !

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Ranchi : वो कहावत तो आपने सुनी होगी, राजा का बेटा ही राजा बनेगा, अब आप सोच रहे होंगे इस कहावत का जिक्र हम क्यों कर रहे है, दरअसल आने वाले समय में झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य में ये कहावत सच साबित हो सकती है.

इसकी भी वजह है. वजह ये है कि इस बार के चुनाव में राज्य के कई चर्चित विधायकों, पूर्व मंत्रीयों और नेताओं के बेटे बेटियों का चुनावी मैदान में उतरना, और इस लेख में आपको सिलसिलेवार ढंग से बताएंगे कि वे कौन से मंत्री विधायकों नेता है जिनके बेटे और बेटियां इस बार के झारखंड विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने वाले है.

साल के अंत में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव में कई दिग्गज नेता मंत्री और विधायक है जिनके बेटे –बेटियां चुनावी मैदान में कूदने के लिए उतारू है, इतना ही नहीं अपने अपने दल से टिकट पाने की कोशिश में भी लग गए है. इसके लिए उनके माता और पिता ने भी अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे है.

इनमे से कुछ नेता बढ़ती उम्र के कारण अपनी जहग बेटे या बेटियों को लाने की जद्दोजहद कर रहे है तो कुछ के स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के वजह से. जबकि कुछ नेताओं के लिए परिस्थिति ऐसी बन गई है कि वे अपने बेटे बेटी या फिर बहुओं को चुनावी मैदान में उतारने के लिए मजबूर है.

इन नेताओं के नाम है मंत्री रामेश्वर उरांव, नलिन सोरेन, पूर्व मंत्री आलमगीर आलम, स्टीफन मरांडी, सीता सोरेन, मंत्री सत्यानंद भोक्त समेत कई नेताओं के बेटे बेटियां चुनाव लड़ सकते है.

सबसे पहले शुरूआत करते है मंत्री सत्यानंद भोक्ता से

श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता एससी से एसटी समाज में अब आ गए है क्योंकि भारत सरकार ने भोक्ता समाज को एसटी का दर्जा दे दिया है. सत्यानंद भोक्ता चतरा से विधायक है जो कि एससी रिर्जव सीट है और अब वे यहां से चुनाव नहीं लड़ सकते है जिसके कारण वे अब यहां से अपनी बहू रश्मि प्रकाश को चुनाव लड़ा सकते है क्योंकि रश्मि एससी समाज से है.

दूसरा नाम है विश्रामपुर से भाजपा विधायक रामचंद्र चद्रवंशी का,

रामचंद्र चद्रवंशी अपनी जगह अपने बेटे ईश्वर सागार को चुनाव लड़ाना चाह रहे है. इसकी वजह है रामचंद्र चद्रवंशी का ऐज फेक्टर, उनकी उम्र 75 की हो गई है.

इसी क्रम में आगे बढ़ते है तीसरे नाम की ओर,

बढ़ती उम्र के कारण वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव अपने बेटे रोहित उरांव को लोहरदागा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे है.

चौथा नाम है दुमका से नवनिर्वाचित झामुमो के सासंद नलिन सोरेन का.

नलिन सोरेन अपने बेटे आलोक सोरेन को शिकारीपाड़ा विधानसभा से चुनाव लड़ाने की कोशिश कर रहे है.

वहीं झामुमो के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी की बेटी उपासना मरांडी भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है.जिसके बाद झामुमो खेमे से ईचागढ़ विधायक सविता महतो है जिनकी बेटी स्नेह महतो है जो मां के जगह ईचागढ़ से चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रही है.

जबकि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन इस बार विधानसभा चुनाव लडने की तैयारी में है. हालांकि चंपाई सोरेन इसके लिए तैयार नहीं है.

बात करें पूर्व मंत्री आलामगीर आलम की तो उनके जेल जाने के बाद उनके बेटे तनवीर आलम पाकुड़ का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी में है.. साथ ही कांग्रेस खेमें में भी तनवीर को पाकुड़ से टिकट मिलने की संभावना जताई जा रही है .

आगे कांग्रेस खेमे की ही बात करें तो, कांग्रेस विधायक अनूप सिंह के भाई गौरव सिंह भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पूरी जद्दोजहद में लग गए है. गौरव धनबाद या किसी ओर सीट चुनाव लड़ने की कोशिश में है. इससे पहले लोकसभा चुनाव मे भी गौरव अपनी दावेदारी कर रहे थे. हालाकिं उनकी भाभी अनुपमा सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया था.

इसी क्रम में आठंवे नाम की बात करें तो वो नाम है,

सोरेन परिवार की बड़ी बहु व झामुमो की पूर्व विधायक सीता सोरेन की बेटी जयश्री सोरेन की. जयश्री सोरेन को लेकर सीता सोरेन ने झामुमो छोड़ने से पहले भी कहा था कि आने वाले समय में जयश्री जामा से विधायकी का चुनाव लड़ेगी.

बता दें कि जयश्री सोरेन जामा क्षेत्र में सक्रिय हो गई है. बहुत संभावना है कि जयश्री सोरेन भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकती है.

बहरहाल ये तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पाएगा कि सत्तारूढ़ महागठबंधन औऱ भाजपा विधानसबा चुनाव में किन्हें टिकट देगी,

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