झारखंड के विधायकों को लाखों में मिलती है सैलरी !

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31 जुलाई को झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का दूसरा दिन है. माना जा रहा है कि मानसून सत्र के दौरान राज्य के मंत्रियों और विधायकों के वेतन बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा जाएगा, ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस सत्र में यह प्रस्ताव पास भी कर दिया जाएगा.

वैसे तो आपने हमेशा पक्ष-विपक्ष के विधायक और मंत्रियों को एक दूसरे का विरोध करते ही देखा होगा लेकिन वेतन बढ़ोत्तरी के मामले में सबके सुर एक-दूसरे से मिलने लगते हैं. पक्ष-विपक्ष की सहमति के बाद यह प्रस्ताव पास हो सकता है.

विधायक अपनी वेतन बढ़त्तरी की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. इस साल मार्च में बजट सत्र के दौरान विधायकों का वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन तब सरकार की ओर से इस विषय पर स्पष्ट उत्तर नहीं आया था.

इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट विधानसभा को सौंप दी है. बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए बजट सत्र के दौरान विधायकों ने वेतन बढ़ाने की मांग उठाई गई थी. इसका सभी दलों के विधायकों ने समर्थन किया. विधानसभा समिति ने अपनी रिपोर्ट में विधायकों का मूल वेतन बढ़ाकर 60 हजार रुपये मासिक करने की अनुशंसा की है.

बजट सत्र के दौरान कई विधायकों ने विधायक फंड की राशि 4 करोड़ से बढ़ाकर 7 करोड़ तक करने की मांग उठायी थी. बजट पर सरकार की ओर से जवाब देने के दौरान संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड विधानसभा में विधायकों ने कई बार विधायक निधि बढ़ाने की मांग की है. मधु कोड़ा सरकार के समय विधायक फंड बढ़कर 3 करोड़ किया गया था. इसके बाद रघुवर सरकार के समय 4 करोड़ हुआ था.

वहीं पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने इस पर कहा था कि अभी जो विधायक निधि के तहत राशि मिल रही है उससे कुछ होने जाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि विधायकों को सरकारी आवास तो दे दिया गया है, लेकिन बिजली का बिल एक-डेढ़ लाख रुपये आ रहा है. विधायकों की जितनी तनख्वाह नहीं है, उतना तो बिजली बिल आ रहा है. इसलिए विधायक फंड की राशि बढ़ायी जाए.

कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा था कि इस बार सरकार ने बड़ा बजट बनाया है. 1 लाख 1 हजार 101 करोड़ का बजट है. हर विभाग के बजट से एक-एक करोड़ लेकर विधायक निधि में लगाया जाए. विधायक निधि की राशि कम से कम 8 करोड़ करना चाहिए. बता दें कि अभी विधायकों को मासिक 40 हजार रुपये मूल वेतन के अतिरिक्त भत्ते का भुगतान किया जाता है, जो लगभग दो लाख के करीब होता है.

इसके साथ ही हम आपके यह भी जानकारी दें दे कि मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स के अनुसार झारखंड में लगभग 44 प्रतिशत आबादी गरीब है. बीबीसी की रिपोर्ट ने सामाजिक संगठनों का हवाला देते हुए बताया कि पिछले तीन सालों में झारखंड में भूख की वजह से 22 लोगों की मौत हो गई है. किसी भी राज्य में भूख से मौत होना सरकार के लिए बेहद ही शर्म की बात होती है. जहां एक ओर राज्य में लोगों को दो जून की रोटी तक नसीब नहीं हो रही वहीं इन विधायक सिर्फ अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग पर डटे हैं.

2017 में रघुवर सरकार के काल में विधायकों और मंत्रियों को सांतवे वेतन मान का लाभ दिया गया था. 2017 में अगर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री को मिलने वाले मासिक वेतन की विस्तृत रुप से बात करें तो रिपोर्ट से प्राप्त आपको हैरान कर देंगे.
2017 में वेतन संशोधन के बाद विधायकों का मासिक वेतन 40,000 रुपये किया गया. इसके अलावा क्षेत्रीय भत्ते 50,000 रुपये दैनिक भत्ते लगभग 70,000 रुपये ,निजी सहायक भत्ते 35,000 रुपये ,वहीं चिकित्सा, भत्ता 10,000 रुपये, सवारी भत्ता 3000 रुपये, सत्कानर भत्ता 30,000 रुपये, पत्रिका के लिए 2000 रुपये और अनुसेवक भत्ता 25000 रुपये मिलता है. इस प्रकार वेतन और सभी भत्ते मिलाकर झारखंड में विधायकों को हर महिने 2,79,500 रुपये मिलते हैं.

इसी प्रकार मंत्रियों को वेतन के रुप में 65,000 रुपये मिलते है. वहीं क्षेत्रीय भत्ता 80,000 रुपये. सत्का5र भत्ता 45,000 रुपये, प्रभारी भत्ता 70,000 रुपये .चिकित्सा भत्ता 10,000 रुपये मिलते हैं. इन सब के अलावा मंत्रियों को वे सभी भत्ते भी मिलेंगे जो विधायकों को मिलते हैं.

अब राज्य के मुख्यिमंत्री के वेतन की बात करें तो झारखंड में सीएम का वेतन 80,000 रुपए है. इसके साथ क्षेत्रीय भत्ता 80,000 रुपये, सतकार भत्ता 60,000 रुपये, प्रभारी भत्ता लगभग 70,000 रुपये और इसके साथ ही चिकित्साा भत्ता 10,000 रुपये है यानी झारखंड के मुख्यमंत्री को महिने में कुल 3 लाख रुपए के आस पास मिलते हैं.

इतना ही नहीं झारखंड में विधायक और मंत्रियों के पेंशन के बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में एक बार विधायक बनने के बाद यदि कोई नेता पूर्व विधायक हो गये तो उन्हें झारखंड सरकार के खजाने से हर महीने 50 हजार रुपया पेंशन मिलता है. साथ ही हर महीने दस हजार रुपया हेल्थ सिक्योरिटी के रूप में भी मिलता है. पूर्व विधायकों को हर साल चार लाख रुपये का अतिरिक्त कूपन भी मिलता है. चार लाख रुपया कैश में नहीं बल्कि उन्हें पेट्रोल – डीजल और रेलवे का कूपन साथ ही हवाई यात्रा के लिए पैसे मिलते हैं.

इतनी बड़ी अमाउंट में पैसे मिलने के बावजूद विधायक लगातार अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उन्हें इस बात पर जरुर चिंतन करना चाहिए कि जितना इन विधायकों का एक महिने का सैलरी और भत्ता बनता है उतना एक आम आदमी का साल भर का सैलरी भी नहीं होता. और अगर विधायक और मंत्री महंगाई का हवाला दे रहे हैं तो उन्हें ये भी सोचना चाहिए कि महंगाई का असर आम आदमी के जीवन में सबसे अधिक पड़ता है. इन्हें राज्य की जनता के बारे में जरुर सोचना चाहिए.

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