Ranchi : क्या इस बार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में लोकसभा चुनाव की तरह ही पेंच फंसने वाला है. विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें झटकने को लेकर गठबंधन के भीतर दबाव की राजनीति तेज हो गई है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले इंडिया गठबंधन में शामिल अहम घटक दल राजद ने 22 सीटों पर अपनी दावेदारी कर दी है. इतना ही नहीं!
राजद ने कहा है कि वो महागठबंधन के तहत ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगा. लेकिन सवाल है कि क्या राजद इस बार के चुनाव में अपनी खोई हुई पैठ वापस का पाएगा. आज हम बात करेंगे कि आखिर क्यों झारखंड में घटता चला गया राजद का जनाधार.
कभी झारखंड की राजनीति में अपना दबदबा रखने वाली पार्टी राजद आज अपना ही वर्चस्व हासिल करने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहा है. आखिर इसके पीछे क्या वजहें रही है.
कभी झारखंड में रहा था राजद का दबदबा
कभी झारखंड की धरती पर राजद का दबदबा था, एकीकृत बिहार में कभी राजद के 14 विधायक हुआ करते थे. फिर झारखंड अलग राज्य बनाने के बाद राजद के 9 विधायक बने. इसके अलावा पलामू, चतरा व कोडरमा लोकसभा सीट पर राजद का ही दबदबा हुआ करता था.
वहीं साल 2005 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या कम होकर सात पर आ गई. लेकिन साल 2009 के विधानसभा चुनाव में राजद के कोटे में केवल पांच विधायक ही विधानसभा पहुंचे. जिसके बाद साल 2014 के विधानसभा चुनाव में राजद का झारखंड से सुपड़ा साफ हो गया क्योंकि यह आंकड़ा शून्य पर आ गया था.
हालांकि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में राजद ने गठबंधन के तहत सात सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट पर चुनाव जीतने में सफल रहा.
बता दें कि कोडरमा से राजद की विधायक रही अन्नपूर्णा देवी का दल छोड़ना राजद को मंहगा पड़ गया . अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा का दामन थामा और फिलहाल केंद्रीय मंत्री है. झारखंड में राजद को अपने कद्दावर नेताओं की कमी झेलनी पड़ी. प्रदेश में मजबूत और प्रभावशाली नेतृत्व की कमी एक बड़ा कारण हो सकता है राजद के जनाधार कम होने का.
वहीं इसका खामियाजा यह रहा कि पिछले एक साल में प्रदेश नेतृत्व में एक भी बड़ा आयोजन नहीं कर सका. इतना ही नहीं पार्टी नेतृत्व को लेकर पार्टी में अंदरखाने असंतोष भी है.
दो खेमे में बंट गया है राजद ?
अभी हाल ही राजद को लेकर खबरे सामने आ रही थी कि पार्टी दो खेमे में बंट गया है, क्योंकि बीते कुछ दिन पहले पार्टी का एक खेमा पार्टी नेतृत्व के आवास पटना भी पहुंच कर विरोध जताया था, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांग की जा रही थी .
बहरहाल, आगमी विधानसभा चुनाव में 22 सीटों पर दावा ठोक रहा राजद को क्या महागठबंधन के तहत इतनी सीटें मिल पाएंगी. क्या राजद इस बार झारखंड में खोया हुआ वर्चस्व हासिल कर पाएगा. अगर राजद महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ना चाह रहा है तो क्या सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर पेंच नहीं फंसेगा, हालांकि ये सभी बातें तो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है.