झारखंड में अपराधियों को सजा दिलवाने में क्यों फेल हो रही पुलिस ?

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विपक्ष ने झारखंड को एक नया नाम दिया है. नए नामांकरण में झारखंड का नाम विपक्षियों ने लूटखंड रखा है. पर मुल सवाल यह है कि क्या 23 साल का एक नया नवेला राज्य वाकई अपराधियों, भष्ट्राचारियों और सत्ता के सेवादारों से अपदस्त हो चुका है. इसका जवाब है शायद हां. और इस हां के पीछे का तर्क है दैनिक अखबार प्रभात खबर में छपी एक रिपोर्ट. जो बतलाती है कि कैसे झारखंड में रेप के 76.33 प्रतिशत आरोपी फिलहाल साक्ष्य के आभाव में बाहर घुम रहे हैं. झारखंड पुलिस के आधिकारीक वेबसाइट पर अगर साल 2023 के फरवरी महीने पर नजर डालें तो पता चलता है कि सिर्फ फरवरी महीने में ही राज्य भर में कुल 128 रेप हुए हैं, वहीं 112 लोगों की हत्या कर दी गई, और दंगों में 122 लोगों की जान गई है.

झारखंड में महिलाएं भले ही सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन अपराधी बिल्कुल सुरक्षित हैं, ये हम नहीं कह रहे हैं ये बता रही है एक रिपोर्ट. झारखंड में हर साल हजारों की संख्या में महिलाओं के साथ रेप हो रहे हैं. इसके अलावा महिला उत्पीड़न के भी हजारों केस पुलिस में दर्ज किए जा रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है इन हजारों अपराधियों में कितने लोगों को सही में सजा मिल पा रही है. इस सवाल का जवाब जानकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे और सरकार,पुलिस, प्रशासन से सवाल करने पर मजबूर हो जाएंगे.

ताजे रिपोर्ट्स के अनुसार झारखंड में पुलिस अपराधियों को तो हिरासत में तो ले रही है लेकिन उन्हें सजा दिला पाने में असमर्थ है. झारखंड पुलिस अपने कर्तव्यों और दायित्वों को निभाने में पिछड़ती जा रही है. खासतौर पर महिलाओं को न्याय दिलाने में झारखंड पुलिस फेल हो रही है. पुलिस की लापरवाही से अपराधियों को सजा नहीं हो पा रही है.यहां तक कि राज्य में रेप और पोक्सो एक्ट से जुड़े गंभीर मामलों के आरोपी भी बरी हो जा रहे हैं और खुलेआम सड़कों पर घूम रहे हैं.

आरोपियों को मिलने वाली सजा के आंकड़ों की बात करें तो झारखंड में पिछले एक साल में दहेज के लिए महिलाओं की हत्या के मामले में सजा सिर्फ 33.33 प्रतिशत अपराधियों को ही हो पाई है. जबकि रेप के केस में सजा का प्रतिशत 23.67 रहा. वहीं पोक्सो एक्ट के केस में 24.48 प्रतिशत अपराधियों को सजा दी गई. जबकि दहेज अधिनियम में सजा का प्रतिशत 6.35 ही रहा. महिला अत्याचार में 9.3 प्रतिशत और छेड़खानी के मामले में 12.93 प्रतिशत मामलों में ही पुलिस अपराधियों को सजा दिला पायी है.

झारखंड में कई केस ऐसे भी हैं जो ट्रायल के दैरान ही फेल हो गए. ट्रायल के दैरान केस फेल होने के आंकड़े भी आपको हैरान कर देंगे. साल 2022 में पुलिस द्वारा रेप, पोक्सो एक्ट, दहेज अधिनियम, महिला अत्याचार और छेड़खानी से जुड़े विभिन्न मामलों में कुल 2366 केस दर्ज किए गए. और ट्रायल के दौरान ये केस फेल हो गये . जिसके कारण केस से जुड़े 3662 आरोपी बरी हो गये, जबकि इन सभी आपराधिक घटनाओं से जुड़े सिर्फ और सिर्फ 529 केस में आरोपियों को पुलिस सजा दिलवा पाई.

लेकिन इसके पीछे कारण क्या है?

रिपोर्ट्स बताते हैं कि पुलिस इन केसों में अपराधियों के खिलाफ साक्ष्य ही नहीं जुटा पाई और कोर्ट में साक्ष्य नहीं प्रस्तुत करने के कारण कोर्ट ने इन पर कार्रवाई नहीं की. यह मामला राज्य के पुलिस बल पर कड़े सवाल खड़े करता है कि अगर जब अपराधियों के अपराध इतने संगीन है तो पुलिस इन्हें लेकर इतना लापरवाह कैसे हो सकती है.जब अपराधी ने जुर्म किया है तो उसे सजा दिलवाने तक भी पुलिस ही जिम्मेदार होती है. लेकिन झारखंड में पुलिस अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ते नजर आ रही है.

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