झारखंड में ईडी मंत्रियों पर बिन मौसम बरसात ही बरस रही थी, और अब तो मौसम ही सावन का है तो ईडी भी राज्य की मंत्री,नेताओं पर खुल कर बरस जा रही है. झारखंड में ईडी ने राज्य के मुख्यमंत्री तक को नहीं बख्सा और उन्हें भी समन दे दिया अब मुख्यमंत्री के करीबी और राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव पर भी इडी की गाज गिर चुकी है, ईडी ने रामेश्वर उरांव के घर में शराब घोटाला मामले को लेकर आज यानी 23 अगस्त को रेड डाली है. रिपोर्ट्स के अनुसार छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में रामेश्वर उरांव के बेटे रोहित उरांव की भी संलिप्तती पाई गई है. रोहित उरांव का राज्य के शराब कारोबार में बड़ा निवेश बताया जा रहा है. ईडी के सूत्रों की माने तो उसने योंगेंद्र तिवारी के माध्यम से इस व्यवसाय में बड़ी रकम लगाई है. बता दें योगेंद्र तिवारी झारखंड के बड़े शराब कारोबारी हैं. ईडी ने रोहित उरांव के शराब कारोबार के निवेश के बिनाह पर ही उसे घेरे में लिया है.
झारखंड में शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट की संलिप्तता भी सामने आई है.छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की ईडी जांच पहले से ही चल रही है.झारखंड में भी शराब कारोबार में सरकार ने छत्तीसगढ़ की सरकारी कंपनी को कंसल्टेंट बनाया था. जांच एजेंसी का मानना है कि छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में भी शराब कारोबार में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है.
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला
छत्तीसग़ढ में शराब के कारोबार में बड़ा घोटाला किया गया जिससे छत्तीसगढ़ के राजस्व में 2 हजार करोड़ रु का नुकसान हुआ . ये घोटाला पूरी प्लानिंग के तहत की गई है. इस घोटाले में होलोग्राम का महत्वपूर्ण रोल रहा है. आइए समझते हैं कैसे-
छत्तीसगढ़ के शराब के व्यापार में लगे लोगों और अधिकारियों की मदद से शराब के कारोबार की समानांतर व्यवस्था कायम की गयी थी. इस समानांतर व्यवस्था कायम करने और उसे चलाने के पीछे छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी CSMCL के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, होलोग्राम छापनेवाली ‘प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्यूरिटीज लिमिटेड नामक कंपनी और खुदरा दुकान चलाने के लिए मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनी मेसर्स सुमित फेलिसिटीज लिमिटेड का नाम शामिल है.
ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच में पाया कि राजनीतिक सहयोग से इन तीनों का नियंत्रण छत्तीसगढ़ का शराब कारोबारी अनवर ढेबर करता था और कमीशन की वसूली करता था.
रिपोर्ट की मानें तो छत्तीसगढ़ में 800 सरकारी शराब की दुकानें हैं और यहां प्राइवेट शराब दुकान खोलने की मनाही है. अब ईडी ने केस का खुलासा करने के लिए कुछ तरीके अपनाए , ईडी ने नियमसंगत हुई बिक्री शराब की बोतलों को ‘अकाउंटेड सेल’ और गलत तरीके से सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर हुई शराब की बिक्री को ‘अन अकाउंटेड सेल’ के रूप में चिह्नित किया. इडी ने ‘अकाउंटेड सेल’ की श्रेणी में शराब की उन बोतलों को शामिल किया है, जिन पर सरकार के माध्यम से उपलब्ध कराये गये होलाग्राम लगा कर खुदरा दुकानों में बेचा गया. वहीं, ‘अन अकाउंटेड सेल’ की श्रेणी में उन शराब की बोतलों को शामिल किया गया है, जिन बोतलों को प्रिज्म द्वारा होलोग्राम छाप कर सीधे शराब बनाने वाली कंपनियों को दे दिया जाता था.
इसके बाद शराब बनानेवाली कंपनियां ऐसी होलोग्राम लगी बोतलों को सीधे सरकार की खुदरा दुकान तक पहुंचा दिया करती थीं. इसका कोई हिसाब किताब सरकार के पास नहीं होता था. दुकानों में मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनी सुमित फैलिसिटीज ने अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रखी थी कि वे फैक्ट्री से सीधे दुकान पहुंचने वाली शराब की बिक्री पर ज्यादा ध्यान दें. सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर ‘अन अकाउंटेड सेल’ का पूरा पैसा शराब की समानांतर व्यवस्था कायम करने वाले लोगों के पास गया और इसे अफसरों और पॉलिटिशियनों में बांटा गया. छत्तीसगढ़ में गलत तरीके से शराब बेचकर फायदा कमाने के लिए ये पूरा खेल खेला गया.
ईडी की जांच में पता चला है कि जिस कंपनी को होलोग्राम का ठेका दिया गया था वो पात्र नहीं थी. लेकिन कंपनी ने अपनी पहुंच से छत्तीसगढ़ के तीन अफसरों से संपर्क साधा, जिन्होंने टेंडर प्रक्रिया के नियमों में संशोधन किया. इसके बाद होलोग्राम बनाने का ठेका प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्मस को मिला. साथ ही साथ कंपनी ने प्रति होलोग्राम में 8 पैसे का कमीशन भी दिया. ईडी की जांच में पता चला है कि जिस होलोग्राम को शराब की प्रमाणिकता के लिए इस्तेमाल किया जाना था. उसी के जरिए आम आदमी को बेवकूफ बनाया गया. सिंडिकेट ने डुप्लीकेट होलोग्राम कंपनी से हासिल करके सरकारी शराब दुकानों में खुद की बनाई शराब बेच डाली.
अब झारखंड के संदर्भ में बात करें तो झारखंड में उन्हीं लोगों को काम मिला है जो छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में फंसे हैं.
अरुणपति त्रिपाठी झारखंड में उत्पाद नीति व व्यापार के कंसल्टेंट रहे तो वहीं डुप्लीकेट होलोग्राम छापने वाली कंपनी प्रिज्म को ही झारखंड में होलोग्राम छापने का काम दिया गया. और तो और सुमित फैसिलिटीज को शराब की दुकान चलाने के लिए मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया. इस तरह छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के तीनों महत्वपूर्ण मोहरे झारखंड में स्थापित हो गये.
वहीं झारखंड में विपक्ष शराब घोटाले को लेकर हमेशा सरकार पर हमलावर रहा है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इसके खिलाफ आवाज भी उठाई थी और कहा था कि ने छत्तीसगढ़ की शराब नीति भ्रष्टाचार के लिए ही झारखंड में लागू की गयी. छत्तीसगढ़ की ही कंपनियों को यहां ठेका दिया गया.बाबूलाल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की कंपनियों को गलत तरीके से झारखंड में काम मिला. राज्य सरकार ने शुरूआत में 2300 करोड़ की राजस्व वसूली का दावा किया लेकिन बाद में पता चला कि नुकसान होने वाला है.मैंने गड़बड़ी की आशंका जताते हुए मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी. बाद में जब ईडी ने छत्तीसगढ़ में छापा मारा और मामला झारखंड से जुड़ा तो सरकार ने आनन-फानन में उत्पाद सचिव और आयुक्त को नोटिस जारी किया और 450 करोड़ रुपये की रिकवरी करने को कहा.शराब घोटाले में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई न करके उन्हें नोटिस देना बताता है कि सरकार ने अपनी चमड़ी बचाने के लिए पूरा चक्रव्यूह रचा.
झारखंड में हुए शराब घोटाले पर ईडी की रेड पर पत्रकार पंकज प्रसून ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से कई सवाल उठाए है, पंकज जी पूछते हैं कि क्या वित्त मंत्री रामेश्वर उरांवका बेटा रोहित उरांव बदनाम शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी की कंपनी में पार्टनर है.
योगेंद्र तिवारी दुमका, जामताड़ा मिहिजाम सिंडिकेट का महततवपूर्ण अंग है या नहीं.
रामेश्वर उरांव योगेंद्रतिवारी रोहित उरांव और दुमका,जामताड़ा,मिहिजाम सिंडिकेटके बीच बसंत सोरेन की भूमिका क्या है,
इन सबके बीच बिरसा कांग्रेस वाला एक फेल प्रोजेक्ट है .
अब ईडी की पूछताछ पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगा कि रोहित उरांव ने ईडी के सामने कौन कौन से राज खोले हैं. और इनमें से कितनी ही प्रश्नों का उत्तर मिल पाएगा.