2016 में झारखंड राज्यसभा चुनावों में, हॉर्स ट्रेडिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को क्लीन चिट मिल गई है. साथ ही, पुलिस ने तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को भी क्लीन चिट दी है. इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण, पुलिस ने इस केस को बंद कर दिया है. अनुराग गुप्ता वर्तमान में सीआईडी और एसीबी के डीजी हैं.पहले इस मामले में प्राथमिकी अनुराग गुप्ता और अजय कुमार के खिलाफ हुई थी, बाद में उस समय के मुख्यमंत्री रघुवर दास का नाम जोड़ा गया था.
पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में एसीबी कोर्ट को बताया है कि दोनों के खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं मिले। इसके साथ ही, पुलिस ने केस को बंद करने का कोर्ट से आग्रह किया है, हालांकि अदालत ने दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को अब तक स्वीकार नहीं किया है। पुलिस ने आगे यह भी लिखा है कि भविष्य में अगर कोई ठोस साक्ष्य मिलता है तो इस केस में फिर से जांच की जा सकती है.
हॉर्स ट्रेडिंग मामले में जगन्नाथपुर थाने में मार्च 2018 में गृह विभाग के अपर सचिव ने केस दर्ज कराया था। तत्कालीन जेवीएम सुप्रीमो और मौजूदा झारखण्ड भाजपा पदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भारत निर्वाचन आयोग को इसकी शिकायत की थी.आयोग ने आईपीसी की धारा 171बी व 171सी के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया था.
हटिया DSP राजा मित्रा ने इस मामले की सम्पूर्ण जाँच पूरी की है.इस जाँच के दौरान, हॉर्स ट्रेडिंग के किसी भी साक्षय का पता नहीं चला। डीएसपी ने इस पूरे मामले की जाँच के बाद अदालत में एक अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की है.केस के आइओ ने बताया है कि गवाहों के बयान, FSL की रिपोर्ट और कानूनी विशेषज्ञों की राय के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
कानून के एक्सपर्टों की सलाह भी यही थी कि इस मामले में कोई सबूत नहीं मिले है, इसलिए इसे लंबे समय तक टालना उचित नहीं है.आइओ ने केस से जुड़ी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग को हैदराबाद FSL को भेजा था.रिपोर्ट में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत ऑडियो रिकॉर्डिंग सही नहीं पाया गया है.इसमें आवाज को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
जांच के दौरान पता चला कि पूर्व विधायक निर्मला देवी ने उस मोबाइल फोन को जिसे उन्होंने कोर्ट में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया था, वह घटना के बाद ही सक्रिय हुआ था. इस मोबाइल और सीडी को विधि विज्ञान प्रयोगशाला गांधीनगर भेजा गया था जिसका उपयोग जांच के लिए किया गया था.रिपोर्ट में यह उजागर हुआ कि 9 जून 2016 से 11 जून 2016 के बीच मोबाइल में कोई कॉल रिकॉर्डिंग नहीं मिली, जबकि घटना इसी समय के दौरान हुई थी.उसी तरह, सीडी में मौजूद फाइल भी मोबाइल में नहीं मिली.
शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि बातचीत की रिकॉर्डिंग इसी मोबाइल फोन से की गई थी, लेकिन जांच में स्पष्ट हुआ कि उस मोबाइल में बताई गई तारीख की कोई ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं थी. 2016 में राज्यसभा चुनाव के समय, महेश पोद्दार एनडीए के प्रत्याशी थे। UPA की ओर से बसंत सोरेन उम्मीदवार थे.चुनाव के दौरान आरोप उठे कि एनडीए द्वारा तात्कालीन विधायक योगेंद्र साव को उनके वोट के लिए मैनेज किया जा रहा था. इसके अलावा, एक ऑडियो बातचीत भी सामने आई थी. चुनाव में, महेश पोद्दार ने बेहद कम मार्जिन से जीत हासिल की.तब JMM विधायक चमरा लिंडा ऑर्किड अस्पताल में भर्ती रहे थे, और उन्होंने वोट नहीं डाला था.
नवम्बर 2020 में राज्य सरकार ने इस मामले में पीसी एक्ट 1988 की धारा 7, 13 (1) (डी), और 13 (2) और आईपीसी की धारा 120 (बी) के तहत कार्रवाई करने की मंजूरी दी थी, लेकिन यह निर्धारित नहीं हुआ था कि क्या पीसी एक्ट के तहत अलग से ACB में मुकदमा दर्ज होगा, या फिर जगन्नाथपुर पुलिस ही इस भ्रष्टाचार संबंधी मामले का अनुसंधान करेगी.इस आदेश के बाद, रांची SSP ने अब तक हुई जांच का हवाला देते हुए पीसी एक्ट के तहत अनुसंधान करने की अनुमति मांगी थी.
राज्यसभा चुनाव के बाद, तत्कालीन जेवीएम सुप्रीमो जो अब भाजपा में हैं बाबूलाल मरांडी ने ऑडियो और वीडियो टेप जारी की थीं। उन कथित टेपों में एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, और उनके पति योगेंद्र साव के बीच हुई बातचीत का विवरण था। एक वीडियो क्लिपिंग में योगेंद्र साव, रघुवर दास, अजय कुमार, और अनुराग गुप्ता के साथ हुई बैठक का भी जिक्र किया गया था.
चुनाव आयोग के निर्देश पर, साल 2018 में जगन्नाथपुर थाना में हॉर्स ट्रेडिंग का मामला दर्ज किया था. इस मामले में, पूर्व डीजी अनुराग गुप्ता और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को प्राथमिक अभियुक्त घोषित किया गया था. जगन्नाथपुर थाना के प्रभारी ने इस मामले की जाँच की थी, लेकिन बाद में इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी अभियुक्त ठहराया गया.इसके साथ ही, पुलिस द्वारा मामले में PC एक्ट की धारा जोड़ी गई। बाद में, जाँच हटिया DSP को सौंपी गई थी. इस मामले में, पूर्व उप निर्वाचन पदाधिकारी राजेश रंजन, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, संयुक्त सचिव राम निवास यादव सहित कई अन्य व्यक्तियों का बयान लिया गया था.पूरी जांच के आधार पर तैयार रिपोर्ट में हटिया डीएसपी ने रिपोर्ट तैयार की थी.
हॉर्स ट्रेडिंग मामले में अनुराग गुप्ता को विभागीय जांच में भी क्लीन चिट दी गई थी. विभागीय जांच सितंबर 2021 में पूरी हुई. विभागीय कार्यवाही संचालन पदाधिकारी तत्कालीन डीजी एमवी राव ने 30 सितंबर 2021 को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.इसमें कहा गया था कि अनुराग गुप्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला.
BY- ASIF ASRAR