रिम्स में मॉर्चरी का हाल बेहाल, 10 महीने से फ्रीजर खराब ,सड़ रहे शव

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झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी रिम्स अपनी कुव्यवस्था के कारण हमेशा चर्चा में बना रहता है. कहने को तो अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिन जमीनी स्तर पर मामला कुछ और है. एक बार फिर रिम्स की खबरें अखबारों की सुर्खियां बन रही है. रिम्स से मानवता को शर्मसार करने का एक मामला सामने आया है.

रिम्स का हाल तो किसी से छुपा नहीं है अस्पताल में इलाज कराने गए लोगों को कभी बेड नहीं मिलता है तो कभी अस्पताल में साफ सफाई ही नहीं रहती. जीते जी तो अस्पताल में मरीजों को चैन नहीं ही मिलता है और अब मरने के बाद भी शांति नहीं मिल पा रही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक रिम्स का मॉर्चरी यानी मुर्दाघर जहां शवों को रखा जाता है. ऐसे में रिम्स के लगभग सभी फ्रीजर खराब हो चुके हैं. 50 में से केवल 4 फ्रीजर काम कर रहे हैं. जिसके कारण मॉर्चरी में रखी लाशें सड़ जा रही है. इतना ही नहीं आगे हम जो बताने जा रहे हैं वो सुन शायद आपकी रूह कांप उठेगी. मॉर्चरी के खराब होने की वजह से सिर्फ लाशें सड़ नहीं रही है बल्कि अब इन लाशों को कीड़े-मकौड़े खाने भी लगे हैं. और इन सड़ती शवों के कारण चारों तरफ दुर्गंध फैल गई है, जिससे आने जाने वाले लोगों को परेशानी भी हो रही है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मॉर्चरी का कूलिंग कंपार्टमेंट साल 2019 में लगभग 1 करोड़ 20 हजार रुपए की लागत से बनाया गया था. सिर्फ 4 सालों में ही मॉर्चरी का हाल बेहाल हो गया है. जानकारी के मुताबिक मॉर्चरी बीते 10 महीने से काम नहीं कर रही है.

बीते कुछ महीनों से राज्य की लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल खड़े हो ही रहे हैं अब राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की भी स्थिति दयनीय नजर आ रही है. अब सरकार के सामने विधि व्यवस्था के साथ स्वास्थ्य व्यवस्था को भी सुधारने की बड़ी चुनौती है. सरकार के साथ-साथ इसके पीछे अस्पताल प्रबंधन की भी बहुत बड़ी लापारवाही है. अखबार दैनिक भास्कर की रिपोर्ट की माने तो शवों की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण यह है कि रिम्स प्रबंधन के पास मॉर्चरी में खराब फ्रीजर की मरम्मत के लिए 8 लाख रुपए तक नहीं हैं. वहीं तीन दिन पहले अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग की फॉल सीलिंग के लिए 60 लाख का टेंडर निकाला गया है. लेकिन प्रबंधन इस फ्रीजर की मरम्मत के लिए 8 लाख रुपए नहीं खर्च कर पा रही है. सबसे हैरानी वाली बात ये है कि रिम्स की सालाना बजट तकरीबन 400 करोड़ का है, फिर भी अस्पताल की स्थिति काफी चिंताजनक है. रिम्स प्रबंधन के पास मॉर्चरी में फ्रीजर खराब होने की सूचना कई दिनों से है. इसके बाद भी इसे ठीक कराने की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गई है.

बीते फरवरी महीने में रिम्स की मॉर्चरी में शवों की स्थिति जानकर आप सकते में आ जाएंगे. बता दें कि फरवरी महीने तक कुछ शवों की स्थिति ऐसी थी कि उसका कुछ हिस्सा डिकंपोज होकर बह गया है. जिसके बाद शवों की पहचान कर पाना मुश्किल हो गया है.

फिलहाल राहत की बात यह है कि रिम्स के निदेशक डॉ आरके गुप्ता ने कहा है कि जो भी उपकरण खराब हैं, उनकी मरम्मत के लिए वर्क ऑर्डर हो चुका है. जल्द ही एजेंसी के इंजीनियर इसे दुरुस्त करेंगे. दोबारा कूलिंग कंपार्टमेंट खराब होते ही तत्काल दुरुस्त करा लिए जाएंगे.

हम उम्मीद करते हैं कि निदेशक अपनी बातों पर जरुर अमल करेंगे, न केवल फ्रीजर बल्कि पूरे रिम्स अस्पताल की व्यवस्था पर जल्द से जल्द सुधार हो ताकि इलाज की उम्मीद से दूर-दरान से पहुंचे मरीजों को अच्छी और सुविधाजनक इलाज मिल सके.

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