चतरा से सत्यानंद भोक्ता नहीं लड़ेंगे चुनाव, उनकी जगह अब किसे मिलेगा मौका ?

|

Share:


क्या चतरा से चुनाव नहीं लड़ेंगे सत्यानंद भोक्ता, क्या सत्यानंद भोक्ता अपनी बहु को सौंप देंगे अपनी राजनीतिक विरासत, क्या भाजपा चतरा में नहीं उतारेगी अपने प्रत्याशी, क्या भाजपा हम को दे देगी चतरा सीट.
बात करेंगे आज की इस वीडियो में चतरा विधानसभा सीट की.

चतरा विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. 2019 के चुनाव में यहां से राजद के सत्यानंद भोक्ता चुनाव जीतकर विधायक बने थे. लेकिन इस बार संभवतः सत्यानंद भोक्ता को चतरा सीट से चुनाव लड़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है,क्योंकि भोक्ता जाति को केंद्र सरकार की ओर से अब अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया गया है। ऐसे में सत्यानंद भोक्ता अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। ऐसी स्थिति में सत्यानंद भोक्ता किसी सामान्य या अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।अब चतरा सीट से सत्यानंद भोक्ता की जगह उनकी बहू रेशमी चुनाव लड़ेंगी, इसके पूर्ण आसार हैं. ये तो हुई इंडिया गठबंधन की बात.

अब एनडीए की बात करें तो . चतरा सीट पर भाजपा आजसू दोनों पार्टियां अपना उम्मीदवार उतारना चाहती हैं. हालांकि राजनीतिक हलकों में चर्चा है इस बार बीजेपी जीतन राम मांझी की हम पार्टी के एक सीट छोड़ सकती है। हम पार्टी के बीजेपी अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित चतरा सीट छोड़ सकती है। चतरा सीट बिहार के गया जिले से सटा है और गया संसदीय क्षेत्र में जीतन राम मांझी के प्रभाव को देखते हुए बीजेपी इस सीट को हम पार्टी के लिए छोड़ने पर विचार कर सकती है.

चतरा विधानसभा क्षेत्र 1951 में अस्तित्व में आया। पहली बार स्वतंत्रता सेनानी सुखलाल सिंह कांग्रेस टिकट पर विजयी रहे। लेकिन 1957 के चुनाव में राजा कामाख्या नारायण सिंह चुने गए। सत्यानंद भोक्ता इस सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं और अभी राज्य सरकार में मंत्री भी है.

झारखंड में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू पार्टी के बीच गठबंधन नहीं हो पाया था।जिसके कारण ही दोनों ही पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ा और बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई। इस कारण इस बार बीजेपी नेतृत्व की ओर से हर कदम फूंक-फूंक कर उठाया जा रहा है। सबसे पहले आजसू पार्टी के साथ तालमेल पर सहमति जताई गई। बाद में जेडीयू के साथ भी मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही गई। इस बीच चिराग पासवान की लोजपा-आर और जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ पार्टी की ओर से भी झारखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया.

हालांकि भाजपा और आजसू की तरफ से भी चतरा सीट को लेकर दावेदारी की जा रही है. अब यह सीट किस पार्टी को मिलेगी ये तो आलाकमान के ऐलान के बाद ही पता चल पाएगा.

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद चतरा विधानसभा सीट के इतिहास पर एक नजर डालें तो

2005 में यहां से भाजपा की टिकट पर सत्यानंद भोक्ता जीते थे.

2009 के चुनाव में राजद से जनार्दन पासवान ने जीत हासिल की.

2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से जय प्रकाश सिंह भोक्ता जीतकर विधानसभा पहुंचे.

2019 के चुनाव सत्यानंद भोक्ता राजद की टिकट से चुनाव जीते.

अब 2024 में चतरा में कौन बाजी मारेगा ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा.

Tags:

Latest Updates