झारखंड में हो रहे IAS-IPS अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर सरयू राय ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, मांगा इस सवाल का जवाब

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झारखंड में आईएएस और आईपीएस अफसरों का तबादला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते चार महिनों में लगभग हर महिने राज्य में अफसरों का तबादला किया गया है. आंकड़ों की मानें तो बीते 28 जून को लगभग 10 अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया वहीं 26 जुलाई को 7 आईपीएस का,21 अगस्त को 14 आईएएस का और 2 दिन पहले यानी 8 सितंबर को 18 आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है.

लेकिन अब यह मामला झारखंड में प्रशासन तक सीमित नहीं रहा है अब यह राजनितिक रुप ले जा रहा है. अब इन अफसरों के ट्रांसफर के पीछे राज्य सरकार का अपना स्वार्थ बताया जा रहा है. ये हम खुद नहीं कह रहे है बल्कि राज्य सरकार के इस फैसले पर झारखंड में सियासत गर्म होती जा रही है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है.

बीते 8 सितंबर को इन अधिकारियों के हुए ट्रांसफर में जमशेदपुर के एसएसपी प्रभात कुमार का ट्रांसफर तूल पकड़ता जा रहा है,अब विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस मामले में पत्र लिखकर कहा है कि इस ट्रांसफर से राजनीतिक हस्तक्षेप की बू आ रही है और साथ ही सीएम से जवाब भी मांगा है कि समय पूरा होने से पहले एसएसपी प्रभात कुमार का ट्रासफर क्यों और कैसे किया गया . बता दें झारखंड सरकार ने सिर्फ 13 महिने में ही जमशेदपुर के एसएसपी को बदल दिया.जबकि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अनुसार 2 साल के कार्यकाल से पहले किसी भी अफसर को नहीं हटाया जा सकता है.

इसे लेकर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कड़ी आपत्ति जतायी है और सीएम को पत्र लिखकर जवाब भी मांगा है. सरयू राय ने पत्र में लिखा कि – अफ़सोस है कि राज्य सरकार एतद संबंधी दायित्व का पालन करने के प्रति गंभीर नहीं प्रतीत हो रही है. इससे पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों का मनोबल टूटेगा , वे हतोत्साहित होंगे जिसका प्रतिकुल प्रभाव जनहित पर होगा . विधायक सरयू राय ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछा है कि उनको यह जानकारी दें कि किन कारणों से दोनों ही अधिकारियों का तबादला किया गया और बोर्ड की मीटिंग में क्या कारण अंकित किये गये हैं.

अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि क्या पुलिस पदाधिकारियों के समय पूर्व स्थानांतरण में विधिक प्रक्रिया का पालन किया गया है? यदि किया गया है तो क्या आप इससे उनको अवगत कराने अथवा इसे सार्वजनिक करने की कृपा करेंगे.
सरयू राय ने अपने पत्र में कहा है कि , निहित स्वार्थ प्रेरित अनुचित राजनीतिक दबाव मे पुलिस एवं प्रशासन के ज़िम्मेदार पदाधिकारियों के समय पूर्व स्थानांतरण पर रोक लगाएं और सुनिश्चित करें कि बोर्ड इस बारे में समुचित प्रक्रियाओं का पालन करे.

उन्होंने सीएम सोरेन से अनुरोध किया है कि झारखंड में हाल में हुए अपरिपक्व स्थानांतरणों को स्थगित करें तथा भविष्य के स्थानांतरणों में सिविल सर्विसेज़ बोर्ड के नियमों का अनुपालन हो यह सुनिश्चित करें.

इस मामले में बाबूलाल मरांडी ने भी सीएम सोरेन को घेरा है , बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा कि- लगता है जेल जाने के डर से परेशान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अब राज्य के डायरेक्ट आईपीएस अफ़सरों पर भरोसा कम हो गया है. यही वजह हो सकता है कि महत्वपूर्ण ज़िलों में डायरेक्ट अफ़सरों को दरकिनार कर चुन-चुन कर राज्य सेवा से प्रोमोटेड आईपीएस अफ़सरों को पोस्ट किया गया है. सरकार इतनी बेचैन और हड़बड़ी में है कि दो साल की अनिवार्य तैनाती के नियम को भी तार-तार कर दिया गया है. वैसे मुझे उम्मीद है कि सरकारी लठैत एवं लुटेरे की तरह काम करने वालों का हश्र देखकर ये कुछ प्रोमोटेड अफ़सर भी आगे सत्ता के इशारे पर ग़ैर क़ानूनी काम करने की गलती कर खुद के लिये संकट को निमंत्रण नहीं देंगे.

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