झारखंड में सीएम के बयान पर हो रही सियासत गर्म, भाजपा ने सीएम से पूछे ये सवाल

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झारखंड में एक बार फिर से भाजपा ने हेमंत सोरेन की सरकार पर निशाना साधा है. बीते 9 नवंबर को सीएम ने झारखंड के विद्यार्थियों के लिए घोषणा की कि प्रतियोगिता परीक्षा के आवेदन शुल्क माफ कर दिए जायेंगे. सीएम के इस बयान के बाद राज्य में सियासत गर्म हो गई है. झारखंड भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर हमला बोला है.

झारखंड में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घोषणा वीर मुख्यमंत्री बताया है. प्रतुल ने कहा कि अब मुख्यमंत्री के कार्यकाल में चंद महीने रह गए हैं तो मुख्यमंत्री को आदिवासी,मूलवासी, छात्र, पिछड़ा वर्ग सब याद आ रहे हैं.प्रतुल शाहदेव ने सीएम से जवाब मांगते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि छात्रों का वे शुल्क माफी करने की घोषणा 4 वर्ष बाद क्यों कर रहे हैं?

इन छात्रों को झामुमो के संकल्प पत्र में किए वादे के अनुसार 4 वर्षों तक बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं मिला? झामुमो ने स्पष्ट रूप से अपने मेनिफेस्टो में रोजगार नहीं मिलने तक बेरोजगार ग्रैजुएट्स को ₹ 5000 प्रति माह और पोस्ट ग्रेजुएट को ₹ 7000 प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की थी.

प्रतुल ने कहा की मुख्यमंत्री को यह भी बताना चाहिए आदिवासी मूलवासी के हित में उन्होंने एक सरकारी संकल्प से 1932 के खतियान को क्यों नहीं लागू किया? उसे भूल भुलैया में क्यों फसाने का प्रयास किया? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार 4 वर्षों में 20 लाख सरकारी नौकरियां हो जानी चाहिए थी. पर अब तो हालत यह है कि सरकार मात्र 70 – 80 नियुक्तियों के भी बड़े-बड़े पोस्टर, बैनर लगाकर सूचना देती है.

मुख्यमंत्री को अचानक पिछड़ा वर्ग भी याद आने लगा है.जबकि उनको आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने को अधिसूचित पिछड़ा वर्ग आयोग अभी तक अध्यक्ष विहीन है. प्रतुल ने कहा कि मुख्यमंत्री सिर्फ घोषणाएं करते हैं और जब लोग उन्हें अपनी पुरानी घोषणा की याद दिलाते हैं तो वह नई घोषणा करके एजेंडा बदलते हैं.प्रदेश की आदिवासी,मूलवासी जनता और युवा आगामी चुनाव में बैलट के जरिए इस वादा खिलाफी के लिए हिसाब बराबर करने को तैयार है.

वहीं झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी ट्वीट कर सीएम सोरेन पर तंज कसा है. बाबूलाल ने ट्वीट लिखते हुए कहा कि
हेमंत सोरेन प्रतियोगी परीक्षा का शुल्क माफ करने का ढिंढोरा पीट रहे हैं लेकिन झारखंड में जब प्रतियोगी परीक्षा ही नहीं होगी, तो शुल्क कहां से लगेगा? हेमंत जी, एक बार आपने युवाओं को झांसे में ले लिया है लेकिन काठ की हांडी बार-बार नहीं चढती! आपने चार साल डींग हांकने में बीता दिया, अब झारखंड का युवा आपसे पूछेगा : – नियुक्ति नियमावली कब बनेगी? – पारदर्शी प्रतियोगी परीक्षा कब होगी? – 5 लाख लोगों को नौकरी कब मिलेगा? – बेरोजगारी भत्ता कब मिलेगा? – JPSC को JMM के पारिवारिक लोगों से मुक्ति कब मिलेगा?

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