इस मुद्दे को लेकर झारखंड में गर्म हुई सियासत, भाजपा-झामुमो के बीच छिड़ी बहस

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बीते 22 सितंबर को संसद में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के द्वारा सांसद दानिश अली के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया गया इसे लेकर पूरे देश में राजनीति गर्मा गई है.

यह मुद्दा अब झारखंड में भी तूल पकड़ा दिख रहा है. इसे लेकर झारखंड में अब राजनीतिक पार्टियां झामुमो-भाजपा के बीच भी बहस शुरु हो गई है. झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है. साथ ही आरोप लगाया है कि भाजपा में गलत आचरण करने वाले नेताओं को संरक्षण मिलता है. झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि- संसद के नए भवन में आहूत विशेष सत्र के दौरान भाजपा की असलियत दिख गई.

सांसद रमेश बिधूड़ी ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. झामुमो के महासचिव ने कहा कि इसके बावजूद सदन नेता चुप रहे. यह भाजपा का पुराना रिकॉर्ड है. ऐसी जुबान वाले नेताओं को प्रोन्नति देकर कैबिनेट मंत्री या बड़ा ओहदा दिया जाता है. रमेश बिधूड़ी को भी कैबिनेट मंत्री या दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए तो आश्चर्य नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सदन में भाजपा नेताओं के बिगड़े बोल पर कार्रवाई नहीं होना समझ से परे है. दूसरे दलों के सांसदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करने वाले लोकसभा अध्यक्ष की ओर से इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं किया जाना भी सवाल खड़े करता है. झामुमो महासचिव ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की संकल्प यात्रा पर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी के करीबी रमेश पांडेय गो तस्कर हैं.

20 सितंबर को रमेश पांडे पकड़ा गया लेकिन वो भागने कामयाब रहा. बाबूलाल को इसका जवाब देना चाहिए कि गलत काम करने वाले सभी लोग उनके जानने वाले ही क्यों निकलते हैं. बाबूलाल को इस पर अपनी बात रखनी चाहिए.
इस पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने हेमंत सोरने पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद को कानून से ऊपर समझते हैं. तभी तो उनके प्रवक्ता यह कहते रहते हैं कि मुख्यमंत्री कोई आम आदमी नहीं हैं, जिनको जब चाहे जांच एजेंसी बुला ले. प्रतुल शाहदेव ने निशाना साधते हुए कहा कि कानून की नजर में राजा और रंक बराबर होते हैं, लेकिन वंशवादी पार्टियों के लोगों को यह बात समझ में नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि इनकी बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि जमींदारी और महाजनी प्रथा आज भी जीवित है. जिन पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र नहीं होता, वहां अक्सर ऐसी सोच आ ही जाती है. झामुमो को लगता है कि सोरेन परिवार के लोग खास हैं तो उनके लिए एक अलग कानून विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेज दें.

बता दें झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने शनिवार को कहा था कि- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जनता के चुने हुए नुमाइंदे हैं. उन्हें वह सामान्य आदमी नहीं मानते. जब चाहे तब बेबुनियाद आरोप पर उन्हें बुला लेना कहां तक उचित है. इससे पहले पूछताछ हुई तो जांच के घेरे में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास आ गए. उन्होंने इसे राजनीतिक लड़ाई बताते हुए कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करा रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा इसका मजबूती से जवाब देगी.

इसी बीच गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का भी एक ट्वीट वायरल हो रहा है जहां उन्होंने कहा कि कलियुग में झारखंड के शिशुपाल वध का समय आ गया है. अब सांसद अपने इस ट्वीट से किस तरफ इशारा कर रहे हैं ये फिलहाल साफ नहीं है. लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि निशिकांत दुबे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरफ संकेत कर रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बीते कल ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे और हाईकोर्ट का रुख किया है.

इस ट्वीट को लेकर जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इनकी भाषा इतनी खराब हो गयी है कि इस पर टिप्पणी करना बेकार है. सांसद हैं कम से कम भाषा की मर्यादा तो उन्हें रखनी चाहिए. अगर निशिकांत दुबे कुछ कहना चाहते हैं, तो इशारों में क्यों कह रहे हैं साफ – साफ कहें कि वह कहना क्या चाहते हैं. निशिकांत दुबे के इस ट्वीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ताओं ने भी किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि मामला हमारी पार्टी का नहीं है सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया है। अब इस ट्वीट के मायने क्या हैं। उनका इशारा किस तरफ है यह तो वही बता सकते हैं। इस मामले में निशिकांत दुबे किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.

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