झारखंड हाईकोर्ट ने किस आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दी जमानत समझिए

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Ranchi : कथित जमीन घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें रेगुलर जमानत दे दी ओर वे अब जेल से भी बाहर आ चुके है. कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए हेमंत को जमानत दी थी, साथ ही कोर्ट ने इस केस में उन्हें दोषी नहीं पाया है.

कोर्ट ने जमानत देते हुए आदेश में क्या कहा…

झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले मामले में नियमित जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा कि पीएमएलए, 2002 के सेक्सन 45 के तहत कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि याचिकाकर्ता कथित अपराध का दोषी नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि एजेंसी का आरोप है कि हेमंत सोरेन ने बड़गाईं में 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है. इसपर कोर्ट ने कहा कि सर्किल सब इंस्पेक्टर भानु प्रताप प्रसाद के परिसर से बरामद किसी भी दस्तावेज में हेमंत सोरेन या उनके परिवार के सदस्यों का नाम नहीं है. भानु प्रताप प्रसाद के बयान में भी याचिकाकर्ता का नाम नहीं है.

ईडी का आरोप है कि अशोक जायसवाल, शशि भूषण सिंह और बिष्णु कुमार भगत ने साल 1985 में जमीन खरीदने का दावा किया है, लेकिन हेमंत सोरेन और अन्य लोगों ने साल 2009-10 में उन्हें जबरन बेदखल कर दिया और पुलिस ने शिकायतों पर विचार नहीं किया.

आश्चर्यजनक बात ये है कि ये लोग जमीन कैसे खरीद सकते हैं

इसपर कोर्ट ने कहा कि आश्चर्यजनक बात ये है कि ये लोग जमीन कैसे खरीद सकते हैं, क्योंकि यह वास्तव में एक भुईंहरी जमीन है. इस नेचर की जमीन सीएनटी अधिनियम की धारा 48 के तहत हस्तांतरणीय नहीं है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ईडी के मुताबिक हेमंत सोरेन ने साल 2019 में 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया था. फिर चहारदीवारी का निर्माण कराया गया था. इसपर कोर्ट ने कहा कि केवल भानु प्रताप प्रसाद के कार्यकाल के दौरान ही संबंधित भूमि के सत्यापन की जरुरत थी. कोर्ट ने कहा कि संबंधित जमीन पर बिजली का मीटर भी हिलेरियस कच्छप के नाम से है.

वहीं कोर्ट ने ईडी के दावे का खंडन करते हुए कहा कि एसएआर केस नंबर 81/2023-24 में 29.01.2024 के आदेश का अवलोकन किया गया है. ऐसा लगता है राजकुमार पाहन और अन्य के पक्ष में भूमि बहाल करने का आदेश सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही दिया गया है. इसलिए एसएआर कोर्ट के आदेश को आधारहीन तर्कों से भरा आदेश नहीं माना जा सकता.

ईडी का क्या कहना है 

हेमंत सोरेन को जमानत मिलने पर ईडी का कहना है कि वे पुख्ता सबूत के आधार पर हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. अनुसंधान में कहीं कोई चूक नहीं हुई है. जब्त सबूत व दस्तावेज हेमंत सोरेन को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हैं.

ईडी हेमंत सोरेन की जमानत को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी

पीएमएलए कोर्ट में भी ट्रायल के दौरान ईडी पूरी मजबूती से सबूतों के साथ खड़ी रहेगी. दूसरी ओर ईडी के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि वे बहुत जल्द ही हाई कोर्ट के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.

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