कोडरमा लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इसका गठन 1977 में हुआ था. 1977 से 1999 तक रीतलाल प्रसाद वर्मा इस सीट से छह बार जीते और संसद में यहां की जनता का प्रतिनिधित्व किया.
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और कभी राष्ट्रीय जनता दल की कद्दावर नेता रहीं अन्नपूर्णा देवी को भारतीय जनता पार्टी ने अपने टिकट पर मैदान में उतारा. यह फैसला बीजेपी के लिए सही साबित हुए. भारतीय जनता पार्टी की अन्नपूर्णा देवी 62.3 फीसदी वोट के साथ विजयी रहीं. जबकि 2004 में भारतीय जनता पार्टी को पहली जीत दिलाने वाले और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, जिन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक से चुनाव लड़ा था, उन्हें सिर्फ 24.6 फीसदी वोट मिले.
2024 की तैयारी एक बार फिर शुरू हो गई है. राजनीतिक परिवर्तन बड़ा रूप ले चुका है. 2019 में अन्नपूर्णा देवी ने भारतीय जनता पार्टी से जबकि बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा से चुनाव लड़ा था. अन्नपूर्णा देवी को 62.3 फीसदी और बाबूलाल मरांडी को 24.6 फीसदी वोट मिले. अब जब बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बन गए हैं और अन्नपूर्णा देवी भी मोदी सरकार में मंत्री हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कोडरमा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी सुरक्षित है. अब देखना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता कोडरमा लोकसभा सीट से किस नेता को चुनकर लोकसभा भेजती है.
कोडरमा लोकसभा क्षेत्र झारखंड के 14 लोकसभा क्षेत्रों में से एक है. यह एक सामान्य श्रेणी की सीट है, जिसमें गिरिडीह और हजारीबाग जिलों के कुछ हिस्से और पूरा कोडरमा जिला शामिल हैं.
“यहां की साक्षरता दर 52.99% है. 2011 की जनगणना के अनुसार, कोडरमा में लगभग 14.1% अनुसूचित जाति के वोटर्स हैं, जो लगभग 2,63,250 हैं. वहीं, अनुसूचित जनजाति के वोटर्स की संख्या 1,10,154 है, जो कुल मतदाताओं का 5.9% है.
यहां पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 3,81,195 है, जो कुल मतदाताओं का 20.4% है.
“ग्रामीण क्षेत्र के वोटर्स की संख्या 17,43,799 है, जो कुल मतदाताओं का 93.4% है, जबकि शहरी क्षेत्र के वोटर्स की संख्या 1,23,223 है, जो 6.6% है.
कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 18,67,022 है.
इस सीट पर भाजपा ने दोबारा मंत्री अन्नपूर्णा देवी को मैदान में उतारा है तो वहीं महागठबंधन की ओर से विनोद कुमार सिंह को. बता दें कि अभ्रक नगरी में पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है, यहां से तीन नेशनल हाइवे गुजरते हैं, पटना और रांची इसी रास्ते में आते हैं. लेकिन विकास को लेकर लोगों में असंतोष है.