भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झामुमो के केंद्रीय महासचिव के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि देश में इमरजेंसी (Emergency in India) के जरिये तानाशाही लागू करने वाली कांग्रेस के साथ सत्ता भोग रहे झामुमो को आज वर्तमान सरकार में तानाशाही दिख रही है.
इमरजेंसी देश का सबसे काला अध्याय था
उन्होंने आगे कहा कि इमरजेंसी देश का सबसे काला अध्याय था, जब सभी संवैधानिक अधिकारों को सस्पेंड कर दिया गया था. लोगों को मीसा कानून के तहत बिना बेल के जेल में वर्षों तक रखा गया था. इसी काले कानून की याद में लालू प्रसाद ने अपनी बेटी का नाम मीसा रखा था. आज वह भी इस इंडिया गठबंधन में हैं.
झामुमो इमरजेंसी के नसबंदी के भी दौर को कैसे भूल सकती है
प्रत्यूल शाहदेव ने कहा कि यह इमरजेंसी का ही दौर था, जब राज्य और न्यायालयों की शक्तियों को संविधान में संशोधन करके छीनने का प्रयास किया गया था. इसी इमरजेंसी के दौर में सर्वोच्च न्यायालय के तीन वरीय न्यायाधीशों को सुपर सीड करके चौथे को मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया था. कहा कि झामुमो इमरजेंसी के नसबंदी के भी दौर को कैसे भूल सकती है, जब कांग्रेस ने तानाशाही का क्रूर चेहरा दिखाया था.
उन्होंने कहा कि सूरत से भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध क्या निर्वाचित हो गये, विपक्ष ने भूचाल खड़ा कर दिया और चुनाव आयोग पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया. इन्हें बताना चाहिए कि उस समय इन दलों के नैतिकता कहां गयी थी, जब 2012 में डिंपल यादव कन्नौज से निर्विरोध चुनी गयी थी. उनके खिलाफ खड़े दो प्रत्याशियों ने अंतिम दिन नामांकन वापस ले लिया था. इसके अतिरिक्त देश में 44 बार लोकसभा में प्रत्याशी निर्विरोध चुने गये हैं.