झारखंड में अपराधियों का खौफ खत्म होता दिख रहा है. राज्य में लगातार हत्या,गोलीकांड, छिनतई, धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं. इस पर राज्य सरकार ने अधिकारियों को कड़े कदम उठाने के सख्त आदेश जारी किए हैं लेकिन फिर भी राज्य में अपराध का ग्राफ गिरता नहीं दिख रहा है. अब अपराधियों की ताकत इतनी बढ़ गई है कि अब ये राज्य के प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश करते जा रहे हैं.
दरअसल रिपोर्ट्स की मानें तो बोकारो स्टील प्लांट में अपराधी अब श्रमिक के रुप में प्रवेश ले रहे हैं. अखबार दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार बोकारो स्टील प्लांट में अपराधी बतौर ठेका श्रमिक काम कर रहे हैं.
बोकारो स्टील प्लांट झारखंड का गौरव है. बता दें यह कारखाना देश का पहला स्वदेशी इस्पात कारखाना है. यह कारकाना सोवियत संघ के सहयोग से साल 1965 में प्रारम्भ हुआ था. शुरु में इसे 29 जनवरी 1964 को एक लिमिटेड कम्पनी के तौर पर निगमित किया गया और बाद में सेल के साथ इसका विलय हुआ. पहले यह सेल की एक सहायक कम्पनी थी और बाद में सार्वजनिक क्षेत्र लोहा और इस्पात कम्पनियां अधिनियम 1978 के अंतर्गत एक यूनिट बनाई गई. जिसके बाद कारखाने का निर्माण कार्य 6 अप्रैल 1968 को प्रारम्भ हुआ. बौकारो स्टील प्लांट में हॉट रोल्ड प्लेट , कोल्ड रोल्ड शीट,पी शीट जी.सी शीट
पाइप , टयुब, एलपीजी सिलेण्डर आदि का उत्पादन भारी मात्रा में किया जाता है.
अब खबर पर आएँ तो ,बीते बुधवार जीआरपी यानी GOVERNMENT RAILWAY POLICE की टीम ने प्लांट के रेलवे यार्ड मे गश्त कर रही थी. जीआरपी ने गश्ती के दौरान कुछ संदिग्ध लोगों को पकड़ा. जीआरपी ने लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने स्वयं को बीएसएल का ठेका श्रमिक बताया. जब जीआरपी ने उन्हें पहचान पत्र दिखाने की मांग की तो उन्होंने पहचान के तौर पर गेट पास दिखाया. इनमें कई ऐसे लोग थे, जिन्हें जीआरपी ने पहले भी पकड़ा था और जेल भेजा था. जिसके बाद ही जीआरपी ने इनकी पहचान अपराधियों के रुप में की. जीआरपी की कार्रवाई के बाद प्लांट में 15 अपराधियों की पहचान की गई. जीआरपी ने इन अपराधियों की पहचान कर इसकी जानकारी सीआईएसएफ यानी Central Industrial Security Force के अधिकारियों को दी.
बता दें जीआरपी ने जिन अपराधियों की सूची कांड संख्या के साथ सीआईएसएफ को दी है उन अपराधियों पर चोरी, लूट समेत कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इतना ही नहीं इनमें से कुछ अपराधियों पर बीएसएल में भी चोरी करने का आरोप है.
प्लांट के सूत्रों ने बताया कि बीएसएल में करीब 9,700 ठेका श्रमिक काम करते हैं. ये उत्पादन समेत कई महत्वपूर्ण विभागों में कार्यरत हैं. इनमें करीब 50 ऐसे ठेका श्रमिक हैं, जिन पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. कई श्रमिक जमानत पर छूटकर भी प्लांट में काम करने आए हैं. बताया जा रहा है कि इन ठेका श्रमिकों को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति अलग-अलग विभागों के इंजीनियर इंचार्ज के स्वीकृति के बाद ही मिली है. विभागों के इंजीनियरों की स्वीकृति के बाद ही इन श्रमिकों के गेट पास बनाने की स्वीकृति दी गई.
सीआईएसएफ ने बीएसएल प्रबंधन को ऐसे अपराधियों का गेट पास बनाने की स्वीकृति देने वाले इंजीनियर इंचार्ज पर कार्रवाई करने को कहा है.बीएसएल के सीआइएसएफ सौगत राय ने पूरे मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीएसएल में अपराधियों का गेट पास कुछ अधिकारियों की स्वीकृति से बनाया गया है. इसकी जांच कर रहे हैं. पुलिस अधीक्षक से पत्राचार कर अपराधियों का रिकार्ड मांगा गया है. जल्द ही ऐसे ठेका श्रमिक हमारी गिरफ्त में होंगे.
अब सीआईएसएफ अधिकारियों ने निर्देश जारी किया है कि बिना पुलिस सत्यापन किसी भी ठेका श्रमिक का गेट पास नहीं बनाया जाएगा.