वर्षगांठ पर जश्न मना कर आदिवासी जनता के साथ क्रूर मज़ाक कर रही है हेमंत सरकार- प्रतुल शाहदेव

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भाजपा प्रदेश कार्यलय में  शुक्रवार को प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने प्रेस कांफ्रेन्स कर हेमंत सोरेन सरकार के चार वर्षो के कार्यकाल पूरा होने पर हेमंत सरकार पर हमला बोलाते हुए कहा कि जिस तरह से प्रदेश में महिला उत्पीड़न की घटना बढ़ी है, नौकरी मांगने पर युवाओं के ऊपर लाठीचार्ज, हक माँगने वालो को पीटा गया,झूठे केस में जेल भेज गया, जिस तरह से 20 लाख नौकरियां देने का वादा करने वाली सरकार हर मोर्चे पर विफल दिख रही है. कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. राज्य में बलात्कार, हत्या एवं अपराध रिकॉर्ड छू रही है. और ऐसा रिकॉर्ड की झारखंड को शर्मसार कर रही है. उन्होंने कहा कि 32 लाख किसानों का लोन माफी करने का वादा झूठा साबित हुआ. शाहदेव ने कहा कि पूरे प्रदेश में सरकार के भ्रष्ट आचरण के कारण आदिवासी मूलवासियों के चेहरे में निराशा छाई हुई है,फिर किस बात का जश्न मनाया जा रहा है?

आगे शाहदेव ने कहा कि आप जिस आदिवासी- मूलवासियों को हक़ देने की बात कर रहे उसे ही लाठी-डंडों से पीटा जा रहा है। संगीन के साये में मन रहा यह जश्न का क्या औचित्य है.  प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी ने राज्यपाल से मिलकर कहा था कि अब हेमन्त सोरेन के ऊपर कार्यवाई करने का वक्त आ गया है. क्योंकि एक मुख्यमंत्री कानून से भागता फिर रहा है इसलिए राज्य की जनता ने इस भगोड़ेपन के लिए दोषी मान लिया है. इस सरकार में ईमानदार अफसरों की कोई पूछ नही होती है.

सरकार बनने के चंद महीना बाद लोहरदगा में जब दंगा हुआ था तब विजेलेन्स के एक डीएसपी ने एक रिपोर्ट दी थी इस दंगा के पीछे रोहंगिया मुसलमान का हाथ है ,तो उसका रातों-रात ट्रांसफर कर दिया गया. फिर विजेलेन्स के दो बड़े अधिकारी का तबादला भी इसलिए कर दिया गया कि भाजपा के एक बड़े नेता के ऊपर कार्यवाई का दबाव बना रहे थे लेकिन उन दोनों ने मना कर दिया था. एक प्रशासनिक पदाधिकारी जो शीर्ष पर थे जिनका कुछ महीने में सेवानिवृत्त होते उनका भी तबादला इसलिए कर दिया गया कि मुख्यमंत्री के बातों को नही मानना.

आगे उनहोने कहा ताजा उदाहरण जेल अधीक्षक रॉबर्ट निशांत बेसरा का है. जिसको लेकर छह दिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी ने ट्वीट कर आशंका व्यक्त किया था इस संथाली आदिवासी बेटे का ट्रांसफर कर दिया जाएगा. क्योंकि वे मुख्यमंत्री जी के सत्ता के जितने करीबी लोग जो जेल में बंद है उसके सल्तनत को चलने नही दे रहे है.  बाबूलाल जी के आशंका के महज कुछ ही दिन बाद ही इस बेटे का ट्रांसफर कर दिया गया.

इस संथाली बेटे के साथ किस तरह का अन्याय हुआ कि क्रिसमस के दिन जेल में छापा मारा गया और खाने के नमूने लिए गए और जबरजस्ती आरोप लगाया गया कि नमूना निम्न स्तर का था. जबकि बाबुलाल जी ने पहले ही ट्वीट करके यह आशंका व्यक्त की थी सरकार कोई न कोई बहाना या झूठा आरोप लगाकर उसे वहां से तबादला करेगी.

शाहदेव ने कहा कि जेल से सरकार चलाने का जो खेल चल रहा था उसे इस आदिवासी संथाल बेटे ने पूरी तरह से अंकुश लगाने का काम किया था. मुख्यमंत्री जी के जितने भी काले सल्तनत के पात्र थे वे सभी को एक सामान्य कैदी की तरह रह रहे थे. जेल अधीक्षक के कमरे में बैठ कर सुख सुविधा पर पूरी तरह से अंकुश लगा दिया गया था।उनको मालिश कराने की इजाजत नही थे. पूर्व में जेल से तस्वीरे वायरल हुई थी कि किस तरह से प्रेम प्रकाश के लिए 4-5 लोग मिलकर बेड लगा रहे है। और वो वाकिंग कर रहे है.

इस तरह ने जेल के अंदर चलने वाले मनमाने राज को उस आदिवासी बेटे ने खत्म कर दिया था. तो सरकार आज किस बात का जश्न मना रही है की जब संथाली आदिवासी बेटे के साथ अन्याय हो रहा है, दोहरा व्यवहार किया जा रहा है की कैसे एक ईमानदार आदिवासी अधिकारी को बिना कारण के परेशान किया जा रहा है. सरकारे आती है, जाती है. जब भाजपा की सरकार आएगी तो इस तरह जेल से चलने वाली सरकार की जांच की सीबीआई जांच की अनुशंसा की जाएगी तब दूध का दूध और पानी का पानी होगा.

होटवार जेल में जेल मैन्युअल लागू नही था लेकिन निशांत बेसरा ने जैसे ही जेल मैन्युअल लागू किया उसका ट्रांसफर कर दिया गया.

शाहदेव ने कहा कि क्या यह 4 वर्षो का जश्न इसलिए मनाया जा रहा है कि 70 हज़ार करोड़ का घपला-घोटाला हुआ है?जश्न क्या इसलिए मनाया जा रहा है कि रिकॉर्ड संख्या में ट्रांसफर पोस्टिंग हुई?जश्न क्या इसलिए मना रहे है कि जितने बिचौलिया ने आपकी सरकार को चलाया वैसा कभी नही हुआ?जिस तरह से राज्य में वातावरण है उससे कानून व्यवस्था का राज ही अस्त-व्यस्त हो गया है.  कहा कि मुख्यमंत्री जी ने अपने शपथ में संविधान का पालन करने की कसम खायी थी लेकिन उसी संविधान के अंतर्गत प्रवर्तन निदेशालय का गठन किया है और करप्शन के केस में ईडी ने  लगातार छः समन दिया लेकिन मुख्यमंत्री उसका पालन नही करते है. और वे चाहते है प्रदेश की जनता कानून का पालन करे, यह हास्यास्पद स्थिति है. राज्य की पूरी संवैधानिक मशीनरी ध्वस्त हो चुकी है.

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