हेमंत सरकार उसूल की नहीं, बल्कि वसूली की सरकार रही है -सुदेश महतो

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आजसू पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने आज हेमंत सरकार की प्रशासनिक क्षमता पर तीखा प्रहार किया है। उनका कहना है कि चार वर्षों के कार्यकाल में न तो सरकार ने नियोजन और नीति में कोई ठोस कदम उठाए हैं और न ही उनमें कोई अच्छी नीयत दिखाई दी है।

शुक्रवार को, सुदेश ने हरमू स्थित पार्टी कार्यालय में दौरा किया और हेमंत सरकार के चार वर्षों का एक कड़ा आलेख प्रस्तुत किया। उन्होंने हेमंत सरकार की नाकामियों को गिनाया और खुलकर बताया कि कैसे यह सरकार उसूल की नहीं, बल्कि वसूली की सरकार रही है।

उन्होंने आगे कहा कि, इसने सरकारी पदों के लिए “पे फार पोस्ट” की अवधारणा खींचने का काम किया गया। अब कोई भी सरकारी कामकाज बिना रुकावट के नहीं होता। हर काम में पैसा लगता है। सुदेश महतो ने बताया कि नौकरीयां तो हैं, पर नौकरी मिलने में बड़ी दिक्कत हो रही है। सरकार की नौकरी देने की नीति में गड़बड़ी की वजह से सात लाख लोग सिर्फ सरकारी आंकड़ों में ही बेरोजगार बैठे हैं।

आठ लाख युवा झारखण्ड से पलायन कर गए। चार वर्षो से पारा शिक्षक सड़कों पर हैं धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने हर वादे पर यह सरकार फेल रही है। इस विश्वासघात का परिणाम अगले वर्ष विदाई वर्ष के रूप में होगा।

उन्होंने कहा कि यह सरकार बच्चों को साइकिल देने को अपनी उपलब्धि मान रही है, जबकि तीन वर्ष से यहां बच्चों के बीच साइकिल का वितरण ही नहीं हुआ क्योंकि इसकी खरीदारी नहीं हो सकी।

1932 के खतियान की दुहाई देने वाली सरकार रोजगार के दावे में भी फेल रही। उन्होंने कहा कि यह सरकार जनता से दूर है बल्कि अगले वर्ष सत्ता से भी दूर हो जाएगी।

कानून व्यवस्था को लेकर हमलावर होते हुए सुदेश ने कहा कि, सरकार के कार्यकाल में आपराधिक घटनाओं का रिकॉर्ड बना। सबसे अधिक अपराध होने की श्रेणी में झारखंड टॉप फाइव राज्यों में शामिल हो गया है। उन्होंने शिक्षा की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों के 90 हजार पद रिक्त हैं।

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