राज्यपाल राधाकृष्णन ने मॉब लिंचिंग से जुड़ा विधायक राष्ट्रपति को भेजा, कहाँ फँस रहा पेंच

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झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड विधेयक 2021 (हिंसा और मॉब लिंचिंग की रोकथाम) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास समीक्षा के लिए प्र भेजा है। इसमें झारखंड सरकार द्वारा पारित कानून से जुड़े कुछ तकनीकी मुद्दे उठाए गए हैं। राजभवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में बताया कि विधेयक को मंगलवार को राष्ट्रपति के पास भेजा गया है।

सूत्रों के मुताबिक ‘यह विधेयक दो या अधिक हिंसक व्यक्तियों के समूह को भीड़ के रूप में परिभाषित करता है, जो कि भारतीय दंड संहिता में दी गई इसी शब्द की परिभाषा से अलग है, उसमें पांच या अधिक हिंसक व्यक्तियों के समूह को भीड़ के रूप में परिभाषित किया गया है।

भारतीय न्याय संहिता भी पांच या अधिक लोगों के समूह को ही भीड़ के रूप में परिभाषित करती है

केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई भारतीय न्याय संहिता (BNS) भी पांच या अधिक लोगों के समूह को ही भीड़ के रूप में परिभाषित करती है। बताया जा रहा है कि विधेयक में कुछ कानूनी उलझने हैं, इसी वजह से विधेयक को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा गया है।’

पिछले राज्यपाल ने बिल वापस भेज दिया था

पिछले राज्यपाल ने बिल वापस भेज दिया था, जिसे दिसंबर 2021 में झारखंड विधानसभा ने मंजूरी दी थी। जब उसे तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया, तो उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए 18 मार्च, 2022 को इसे पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया। साथ ही, उन्होंने विधेयक में दो गलतियों पर रौशनी डाली थी।

हिंदुस्तान ने राजभवन के अधिकारी के माध्यम से लिखा है कि, ‘बैस की पहली गलती उस समय हुई जब हिंदी अनुवाद में मिलावट हुई थी। इसके अलावा, दूसरी गलती उनकी भीड़ की परिभाषा के संबंध में थी। 27 जुलाई 2023 को विधेयक दूसरी बार से पारित होते ही, अनुवाद की गलती सुधार ली गई थी, लेकिन भीड़ की परिभाषा में कोई बदलाव नहीं किया गया था।’

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