Emergency: सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन ने कड़िया, रीतलाल और एके राय को बनाया नेता

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भारत में आपातकाल (Emergency) के दौरान, जयप्रकाश नारायण (Jayprakash Narayan)  के नेतृत्व में जेपी आंदोलन (सम्पूर्ण क्रांति) के बाद, 1977 में छठे लोकसभा चुनाव हुए थे। इससे पहले, सात पार्टियों का संघटन होकर भारतीय लोक दल (बीएलडी) का गठन हुआ था, जो इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ था।

14 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा

चुनाव के माध्यम से पूरे देश की भांति, झारखंड क्षेत्र की जनता ने भी आपातकाल के दौरान हुए सभी अत्याचारों का न्यायाधीनता किया। झारखंड क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 12 सीटों पर बीएलडी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। सिंहभूम से झारखंड पार्टी के बागुन सुम्ब्रई और धनबाद से निर्दलीय उम्मीदवार एके राय ने विजयी होकर कमाल किया था।

विशेष बात यह है कि रांची लोकसभा क्षेत्र की जनता ने केरल के मावेलिककारा शाही परिवार से जुड़े रवींद्र वर्मा को चुनकर लोकसभा भेजा। वे मोरारजी देसाई के निकटस्थ और भारतीय लोकदल के उम्मीदवार थे। चुनाव के बाद केंद्र में बनी मोरारजी देसाई सरकार में रांची के सांसद रवींद्र वर्मा को श्रम और संसदीय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

कांग्रेस विरोध की राजनीति के नए नेताओं का उदय हुआ

1977 के लोकसभा चुनाव में झारखंड क्षेत्र में कांग्रेस विरोध की राजनीति के नए नेताओं का उदय हुआ। कड़िया मुंडा, जगदंबी प्रसाद यादव, रीतलाल प्रसाद वर्मा और एके राय जैसे नेताओं ने अपनी पहचान बनाई।

रांची के रवींद्र वर्मा के साथ ही प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने अपने मंत्रिमंडल में खूंटी के सांसद कड़िया मुंडा को शामिल किया।

मुंडा इस्पात राज्य मंत्री बनाए गए थे। कड़िया मुंडा ने खूंटी, रीतलाल प्रसाद वर्मा ने कोडरमा और जगदंबी प्रसाद यादव ने गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से कई बार जीत दर्ज की। तीनों झारखंड क्षेत्र में भाजपा के बड़े चेहरा बनकर उभरे।

लोकसभा की सीटों में हुआ इज़ाफ़ा

बिहार के अविभाजित समय में, 1971 में हुए पांचवें लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड क्षेत्र में लोकसभा की 13 सीटें थीं। 1977 के चुनाव से पहले, सीटों पर सीमाबद्धीकरण किया गया। 1977 में, नए लोकसभा क्षेत्र के रूप में कोडरमा की स्थापना की गई। और तब, लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 14 हो गई।

कोडरमा में हुए पहले लोकसभा चुनाव में बीएलडी प्रत्याशी रीतलाल प्रसाद वर्मा को जीत मिली। 15 नवंबर, 2000 को झारखंड के अलग राज्य बनने के बावजूद, लोकसभा की सीटों में कोई वृद्धि नहीं हुई। आज भी राज्य में लोकसभा की केवल 14 सीटें हैं।

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