झारखंड में कुत्ते लोगों की परेशानी का कारण बन रहे हैं. आए दिन कुत्ते के काटने की शिकायत सामने आती रहती है ,डॉग बाइट के मामले में झारखंड काफी आगे बढ़ गया है .अब राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पहल शुरू की है. साथ ही झारखंड में रेबीज को अधिसूचित बीमारी घोषित करने का प्रस्ताव तैयार किया है.
आंकड़ों की बात करें तो झारखंड में हर एक लाख की आबादी में औसतन 30 लोग डॉग बाइट के शिकार हो रहे हैं. न सिर्फ आवारा कुत्ते बल्कि पालतू कुत्ते भी लोगों की परेशानी का सबब बन रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 में लगभग 16500 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए हैं. यानी हर माह राज्य में औसतन 2300 लोग कुत्ता काटने के शिकार हो रहे हैं. सात माह में राजधानी रांची में सबसे ज्यादा 3091 लोगों के कुत्ता काटने के मामले सामने आये हैं. वहीं गुमला में 2620, गिरिडीह में 1936 और देवघर में 1197 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए हैं.
केंद्र सरकार ने डॉग बाइट को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि आगामी 2030 तक रेबीज को खत्म करना है. केंद्र सरकार के निर्देशानुसार ह्यूमन रेबीज को नोटिफायबल डिजीज के रूप में झारखंड में अधिसूचित किया जाना है.