पुण्यतिथि विशेष : फैक्ट्री मज़दूर से मंत्री तक सफर कैसे तय किया टाइगर जगरनाथ महतो ने

, ,

Share:

RANCHI : जगरनाथ महतो का जन्म बोकारो के अलारगो के बेहद गरीब परिवार में हुआ था. उनके बचपन का सपना था कि वह पढ़ाई करें, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. जिसके कारन उन्हें मेट्रिक के बाद शिक्षा को त्यागना पड़ा.

टाइगर जगरनाथ महतो ने भले ही इस दुनियों अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनका नाम आज झारखंड के हर कोने में गूंज रहा है. वे न केवल एक नेता थे, बल्कि एक समाजसेवी भी थे, जिनका जीवन संघर्ष और समर्पण, हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया. जगरनाथ दा गरीबों व शोषितों की आवाज़ बने और उनके हक़ों के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ते रहे.

उनकी कहानी में सबसे खास बात यह है कि एक मजदूर ने फैक्ट्री में खुद पर और बाकि मज़दूरों पर हो रहे अत्याचार के प्रति आवाज़ उठाई और फिर समाज में बदलाव लाने के प्रतिबद्धता के जज़्बे के साथ उस फैक्ट्री मज़दूर ने मंत्री तक का सफर तय किया.

टाइगर जगरनाथ महतो ने शिक्षा के क्षेत्र में अनगिनत योगदान दिया. वे हमेशा बच्चों को पढ़ने की प्रेरणा देते रहे और उनके लिए शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ते रहे और क्षेत्र में विकास के कई काम करते रहे, उन्होंने शिक्षा मंत्री के रूप में जगह-जगह पर स्कूल और कॉलेज की स्थापना करवाई.

जगरनाथ महतो की विरासत न केवल उनके राजनीतिक क्षेत्र में है, बल्कि आम जीवन में भी है. उनका समर्पण और निष्ठा एक मिसाल है, जो हम सभी को प्रेरित करता है. उनके समर्थन में हर कोई है, क्योंकि उन्होंने हमेशा गरीबों और असहाय लोगों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया.

जगरनाथ दादा के चाहने वाले यूं तो अनेकों है लेकिन बहुत कम लोगों को उनके जीवन की वो कहानी पता है जिसमें उन्होने एक आम आदमी, एक मजदूर से झारखंड के विधानसभा पहुंच कर गरीब गुरबों के लिए लड़ाई लड़ी. शायद यही लोकतंत्र की खूबसूरती है जहां छोटे से डुमरी से निकला एक नौजवान अपने संघर्ष से विधानसभा पहुंच कर शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य का भार संभाला.

मालूम हो कि जगरनाथ महतो जेएमएम के तेज-तर्रार नेता थे. उनही अपने क्षेत्र में बेहद अच्छी पकड़ थी. उनकी छवि जमीन से जुड़े नेता की थी. अपने शुआती दौर में जगरनाथ महतो ने जीविका के लिए मजदूरी का रास्ता चुना. नक्सल प्रभावित इलाके में रहकर भी पढ़ने की ललक उनकी कहीं मन में दबी रही. इसके बाद उन्होने समाज में बदलाव का बिगुल फूंका. मालूम हो जगरनाथ झारखंड आंदोलन से उपजे नेता थे.

जगरनाथ महतो ने शुरुआती दाैर में 10वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। ऐसे में ‘अयोग्य’ शिक्षा मंत्री कहे जाने के कलंक को दूर करने के लिए 2020 में उन्होंने 11वीं कक्षा में प्रवेश लिया था। इस दाैरान उनका कहना था कि एज इज नो मैटर ‘एज इज जस्ट ए नंबर’। यानि उम्र कोई रुकावट नहीं है. उम्र महज़ एक संख्या है.

अपनी आंदोलनकारी छवि और लोगों के अधिकार की लड़ाई के कारण दादा को कई बार जेल में कैद कर दिया गया. लेकिन दादा कभी डरे नहीं, कभी झुके नहीं. जगरनाथ दादा ने झारखंड आंदोलन से जुड़कर झारखंड में अपनी राजनीतिक पहचान कायम की. समय के साथ परिस्थितियों में बदलाव आया इसके बाद झारखंड अलग राज्य गठन के बाद साल 2000 में वो पहली बार डुमरी सीट से विधानसभा चुनाव लड़े.

साल 2005 में वो दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़े और इस बार उन्हें जनता का प्रेम, स्नेह, आशीर्वाद और वोट प्राप्त हुआ और दादा विधायक चुने गए. और यहाँ से उन्होंने झारखण्ड और झारखंडियत के लिए अपना पूरा जीवन झोंक दिया.

चाहने वालों के बीच ‘टाइगर’ के नाम से चर्चित डूमरी के विधायक और सूबे के शिक्षा व उत्पाद मंत्री जगरनाथ महतो झारखंड विधानसभा के ऐसे सदस्य थे, जो 1932 खतियान को लागू करने के सपने के साथ जीते रहे. मुखर व्यक्तित्व वाले जगरनाथ महतो राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू होने को लेकर आश्वस्त थे.

कई मंचों से जगरनाथ महतो ने कहा था कि झारखंडियों को झारखंड में हक नहीं मिलेगा तो कहां मिलेगा। उन्होंने कहा था कि 1932 का खतियान झारखंड विधानसभा से पास होकर रहेगा. इसे पारित होने से कोई नहीं रोक पायेगा. 1932 के खतियान को लेकर वो इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने पहले ही ‘1932 का खतियान हम झारखंडियों की यही पहचान’ लिखा चादर छपवा लिया था. जब विधानसभा में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति पारित हुआ तब उन्होंने यही चादर दिशोम गुरु शिबू सोरेन को ओढ़ाया था.

टाइगर दादा अपने राजनीतिक जीवन में वे वैसे नेता थे जो गिरिडीह और बोकारो दोनों जिले में समान रूप से पॉपुलर थे. और इसकी कई वजहें थी. मसलन , सितंबर 2020 में वह राज्य के 10 और कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के टॉपर्स को कार गिफ्ट करने वाले पहले शिक्षा मंत्री थे. अपने वादे के मुताबिक उन्होंने 2020 की जैक 10वीं और 12वीं की परीक्षा में टाॅप किए विद्यार्थी को अपने खर्च पर आल्टो कार गिफ्ट किया था.

अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के प्रति 24 घंटे तत्पर रहने वाले जागरनाथ दा ने पूरे विधानसभा क्षेत्र में विकास के कई काम किए. मालूम हो कि जो इलाका नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का गढ़ रहा. जहां विकास की योजनाओं को संचालित करना प्रशासन के लिए चुनौती रही, उस इलाके में सड़क-शिक्षा के साथ साथ अन्य व्यवस्था को दुरुस्त करने में दिवंगत शिक्षा मंत्री जुटे रहे.

अपने क्षेत्र की पूरी जानकारी रखनेवाले जगरनाथ दा को यह मालूम होता था कि जिस इलाके में वह जा रहे हैं, वहां किस-किस घर में बच्चा इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा दे रहा है. वह उसके घर पर दस्तक देते थे. और उनसे पढ़ने को कहते थे. आज डुमरी की बच्चियां सुरक्षित होकर अपने आसपास के इलाके में ही बेहतर शिक्षा पा सके इसे लेकर वे हमेशा तत्पर रहे. अपने क्षेत्र में कई उच्च विद्यालय, कॉलेज को स्थापित करवाया. कहा जाए तो जागरनाथ महतो अब नहीं रहे लेकिन उनकी यादें हमेशा कायम रहेंगी.

Tags:

Latest Updates