म़़ानसून आने का साथ ही कई तरह के इनफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इस मानसून में देश के कई राज्य Conjunctivitis के मरीज पाए जा रहे हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि अब Conjunctivitis झारखंड में भी तेजी से पैर पसार रहा है. राजधानी रांची में पिछले 15 दिनों में इस बीमारी के 200 से भी ज्यादा मरीज इलाज के लिए अस्पलाल पहुंच चुके हैं. हर दिन रांची के दो सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स और सदर के आई ओपीडी ( EYE OPD) में 40 से 45 मरीज पहुंच रहे हैं. बीते कल रिम्स में 27 मरीज Conjunctivitis के पाए गए, वहीं सदर अस्पताल में 14 मरीज पाए गए.
वहीं, अगर सिंप्टमस की बात करें तो इस संक्रमण में कंजंक्टिवा में सूजन आ जाता है. कंजंक्टिवा आंख के सफेद भाग और पलकों की आंतरिक परत की झिल्ली को कहते हैं. आंख गुलाबी या लाल हो जाता है. पानी आता रहता है. मानसून में हाई ह्यूमिडिटी के कारण लोग बैक्टीरिया, वायरस के संपर्क में आते हैं, जिससे आई इंफेक्शन होता है. यह एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित व्यक्ति या उसके आंसुओं के संपर्क में आने से फैलता है. इसके अलावा यह आई कॉन्टैक्ट बनाने और संक्रमित व्यक्ति के खांसी के दौरान छींकने से भी फैल सकता है.
इस पर आंख के विशेषज्ञों से बात करने पर पता चला कि ये वायरस जानलेवा तो नहीं है, आई ड्राप का इस्तेमाल करने पर 5-7 दिनों में ठीक हो जाता है. लेकिन समय पर इलाज नहीं कराने पर आंखों में हैमरेज होने का खतरा रहता है. ये बीमारी खतरनाक एक ही स्थिति में हो सकता है. ये वायरस अगर और फैला तो इंफेक्शन म्यूटेट हो सकता है जो खतरनाक हो सकता है.
आपको बता दें बारिश के मौसम में ऐसे इंफेक्शन आम हैं, पहले भी इसके मामले आते थे, लेकिन इस साल Conjunctivitis के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. डॉक्टरों की मानें तो प्रति 100 मरीज में से 20-25 तो आई फ्लु के मरीज आ रहे हैं. अंत में आपको बताते हैं कि इस वायरस से कैसे बच सकते हैं.
थोड़े-थोड़े समय पर हाथों की सफाई करें. आंखों को बार-बार न छुएं. अपने आसपास सफाई रखें. अपनी आंखों को हर 2 घंटे में साफ पानी से धोएं. पीड़ित व्यक्ति से आई कांटेक्ट बनाने से बचें. संक्रमित व्यक्ति के बेड, तौलिया या कपड़े इस्तेमाल न करें. टीवी-मोबाइल से दूरी बनाए रखें.