आम तौर पर सीटी बजाना अच्छी बात नहीं मानी जाती है। भारत में सीटी बजाने से जुड़ी कई नकरात्मक मान्यताएं है जिसके कारण अक्सर बढ़े-बुज़ुर्ग हमें सीटी बजाने से मना करते हैं। या सिटी बजाने पर डांट पड़ती है. लेकिन क्या हो अगर सीटी बजाना किसी सामाजिक अभियान का एक हिस्सा बन जाए? और स्कूली बच्चों को सिटी बजाते हुए स्कूल आने को कहा जाये.
कुछ ऐसा ही हुआ है झारखण्ड के सिमडेगा ज़िले में, जहाँ एक अभियान के तहत सीटी बजा कर स्कूली बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और ड्रॉपआउट बच्चों को वापस लाने की कोशिश की जा रही है.
आईये जानते हैं इस अभियान के बारे में,
दरअसल मामला कुछ यूँ है कि, सिमडेगा ज़िले के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में बच्चों की शत-प्रतिशत अटेंडेंस दर्ज कराने के लिए और ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए एक अनोखा अभियान चलाया है. इस अभियान का नाम है ‘सीटी बजाओ उपस्तिथि बढ़ाओ’ जिसके ज़रिये ज़िले के सभी ग्रामीण इलाकों में एक-एक बच्चों को सीटी दी जाती है. और इन बच्चों की ज़िम्मेदारी होती है कि वे करीब 20 से 25 बच्चों को स्कूल लाएंगे।
हर दिन सुबह 8 बजे स्कूल ड्रेस पहने बच्चें सीटी बजाते हुए स्कूल जाते है. ज़िले के सभी स्कूल के बच्चों को चार हाउस में बांटा गया है. जिसमें हर हाउस के कप्तान को सीटी दी जाती है. साथ ही हर क्लास के मॉनिटर को भी सीटी दी जाती है.
इससे इलाके के बाकि अभिभावकों को यह पता लग जाता है की स्कूल खुल चुका है. और उन्हें भी अपने बच्चों को स्कूल भेजना है. इस तरह से सीटी बजाना इलाके में अलार्म की तरह काम करता है. जो अभिभावक और बच्चे दोनों को स्कूल जाने को लेकर आगाह कर देती है.
इससे एक और फायदा यह होता है कि, बच्चें अभिभावकों से स्कूल बंद होने का बहाना नहीं मार पाते। सीटी बजाते हुए बच्चें उन घरों के आस-पास से होकर गुज़रते हैं जहाँ स्कूली बच्चे रहते हैं. ऐसे बड़ी सरलता से बच्चें अपने सहपाठियों को लेते हुए स्कूल पहुँचते है, जिसका असर स्कूल की उपस्थितियों में दिखाई दे रहा है.
अब सावल यह है कि अचानक जिला के शिक्षा विभाग को इतने अनोखे अंदाज़ में अभियान चलने की क्या ज़रूरत पड़ी? आईये जानते है-
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2023 में जैक बोर्ड की 10वीं एवं 12वीं के विज्ञान के रिजल्ट आये तब सिमडेगा जिला दोनों ही परीक्षाओं में राज्य में 23 वें स्थान पर रहा। खराब रिजल्ट को लेकर शिक्षा विभाग गंभीर हो गई और रिजल्ट का विस्तार में एनलिसिस किया गया। और एनलिसिस में पाया गया कि स्कूलों में छात्रों की कम उपस्थिति होने के कारण रिजल्ट ख़राब हुई है.
हिंदुस्तान की रिपोर्ट में बताया गया कि ऐसे छात्र जो हर दिन स्कूल आते हैं, उनका रिजल्ट बाकियों के मुकाबले काफी बेहतर रहा। इसके बाद छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए जो भी विकल्प पहले से मौजूद थे, उन्हें और भी कड़ाई से लागु किया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी बादल राज ने कहा कि, एक ऐसा भी विद्यार्थी वर्ग था , जिनके अभिभावक या तो स्कूल के बारे पुरे तरह से अनजान थे, या फिर वे ऐसे क्षेत्र में रहते है जहां नेटवर्क आसानी से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में शिक्षक और अभिभावकों के बीच कोई संपर्क नहीं बन पाता था। और बार-बार शिक्षकों का उनके इलाकों में पहुँच पाना भी संभव नहीं हो पा रहा था। इन सबको मद्दे नज़र रखते हुए पर जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान सिमडेगा व उत्क्रमित उच्च विद्यालय सिकरियाटांड़ ने एक जुट हो कर बच्चों के भविष्य के लिए एक ख़ास पहल की. इसके लिए स्कूल के प्रभारी प्राचार्य अरुण कुमार सिंह ने अपने टीम के साथ एक प्लान तैयार करते हुए सीटी बजाओ, उपस्थिति बढ़ाओ अभियान की शुरुआत की.
इस अभियान की एक और खास बात यह है कि, यह जिम्मेदारी जिस बच्चें को मिलती है, उस बच्चे में नेतृत्व कौशल यानि लीडरशिप क्वालिटी के साथ-साथ प्रबंधन कौशल यानि मैनेजमेंट स्किल्स का भी काफी विकास होता है. इसे बच्चें अपने आस-पास की चीज़ों की ज़िम्मेदारी लेने और और अपने सहपाठियों का नेतृत्व करने में सक्षम बनते है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों के अभिभावकों को यह पाता होता है कि अगर उन्हें स्कूल को लेकर कोई जानकारी चाहिए तो वह आराम से संबंधित छात्र से जानकारी ले सकता है.