झारखंड में शिक्षक नियुक्ति को लेकर भाजपा ने हेमंत सोरेन को घेरा,कहा…

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झारखंड के इतिहास में पहली बार एक साथ 26001 पदों पर सहायक आचार्यों की भर्ती होने वाली है. काफी लंबे इंतेजार के बाद झारखंड कर्मचारी चयन आयोग यानी जेएसएससी ने बीते बुधवार की देर शाम यानी 19 जुलाई को इस शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन जारी कर दिया है. विज्ञापन जारी होने के बाद राज्य में जहां कुछ अभ्यर्थी इसे लेकर खुश हैं तो वहीं कुछ ने नाराजगी भी जताई है. लेकिन अब यह शिक्षक नियुक्ति का मामला झारखंड में शैक्षणिक से बढ़कर राजनीतिक रुप लेता जा रहा है. इस नियुक्ति को लेकर भाजपा ने सीएम को घेरे में लिया है और विज्ञापन को लेकर कई सवाल दागे हैं.

दरअसल भाजपा के भवनाथपुर से विधायक भानु प्रताप शाही ने नियुक्ति विज्ञापन जारी होने के बाद पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि-सरकार पहले यह बताए कि इतनी संख्या में होने वाली बहाली किस नियोजन नीति के तहत होगी.
भानु प्रताप ने राज्य के युवाओं का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के युवा मुख्यमंत्री से यह जानना चाहते हैं कि यह बहाली 1932, 1985 या फिर 60-40 वाली नियोजन नीति पर होगी. भानु प्रताप का कहना है कि अगर सरकार 60-40 वाली नीति के तहत ही परीक्षा ले रही है तो वह बाहरियों के लिए द्वार खोल रही है.

बता दें कि राज्य के स्टूडेंट शुरु से ही वर्तमान हेमंत सोरेन की सरकार की 60-40 वाली नियोजन नीति का पुरजोर विरोध करते आ रहे हैं. 60-40 नियोजन नीति का मतलब है कि 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियां झारखंड के आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की होंगी, वहीं 40 प्रतिशत सीटें ‘ओपन टू ऑल’ है. इसका मतलब यह हुआ कि केवल 60 प्रतिशत आरक्षित सीटें ही ऐसी हैं, जिन पर झारखंड के ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है, बाकी के 40 प्रतिशत सीटों पर किसी भी राज्य के युवा झारखंड में रोजगार पा सकते हैं. इससे झारखंड के युवा सरकार से खासा नाराज हैं.

इसके साथ ही भानु प्रताप ने विज्ञापन में कई त्रुटियां भी गिनाई है. उन्होंने कहा कि विज्ञापन में यह स्पष्ट नहीं है कि किस नियोजन नीति से बहाली होगी, वहीं इसमें ऐसे कंडिशन लगाए गए हैं कि सिर्फ टेट पास अभ्यर्थी ही परीक्षा दे पाएंगे, ऐसे में बीएड और बीएलएड किये हुए राज्य के करीब 8 लाख अभ्यर्थी टेट पास नहीं होने के कारण परीक्षा से वंचित हो जाएंगे, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने बहालियों में भी तुष्टिकरण की पराकाष्ठा कर दी है. कुछ दिन पहले अल्पसंख्यक स्कूलों में टेट पास अभ्यर्थियों की सीधी बहाली हुई. लेकिन सामान्य स्कूलों में बहाली के लिए टेट पास अभ्यर्थियों को परीक्षा देना होगा.
भानु प्रताप ने मुख्यमंत्री को ठगों का राजा बता दिया, कहा कि सरकार के मंत्री ठग हैं और मुख्यमंत्री ठगों के राजा हैं. साथ ही भानु ने सीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम इन दिनों कह रहे हैं कि 1932 हमारा था, है और रहेगा मुख्यमंत्री के लिए संकल्प नहीं सिर्फ एक मुद्दा है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस इस विज्ञापन में अभ्यर्थियों को उम्र सीमा में 4 वर्ष की छूट मिलेगी. लेकिन अभ्यर्थी इस उम्र सीमा के प्रावधान से भी सरकार से नाराज हैं उनका कहना है कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियामावली के अनुसार, उम्र सीमा में सात वर्ष की छूट मिलनी चाहिए .वहीं विज्ञापन में यह भी कहा गया है कि राज्य में दो जून 2016 के पूर्व किसी भी स्तर से निर्गत स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र मान्य नहीं होगा. अंचलाधिकारी स्तर से 19 जुलाई 2019 के पूर्व का निवासी प्रमाण पत्र मान्य नहीं होगा. रिपोर्ट्स बता रहे हैं कि राज्य के 2016 के बाद बीएड और डीएलएड करने वाले अभ्यर्थी जो आवेदन करने से वंचित रह जाएंगे वे भी अब अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए तैयार हैं.

सिर्फ विज्ञापन जारी होते ही राज्य में सियासत गर्म होने लगी है, अब देखना होगा कि नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ने पर और यह मामला आगे क्या नये रुप लेगा.

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