अगर गाली देना है तो मुझे दो, मेरे आदिवासी समाज को नीचा मत दिखाओ : बाबूलाल मरांडी

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झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी अक्सर विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर बयानबाजी करते रहते हैं. इसी कड़ी में उन्होंने कुछ दिनों पहले जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी का एक वीडियो शेयर किया था. जिसमें उन्होंने ये आरोप लगाया था कि इरफान अंसारी उनके माथे पर लगे तिलक को पोंछ रहे हैं. इसके जवाब में इरफान अंसारी ने एक वीडियो अपने सोशल मीडिया से शेयर किया और उन्होंने कहा कि ज्यादा गर्मी होने की वजह से वो पसीना पोंछ रहे थे लेकिन टिका गलती से मिट गया. इसके बाद दोनों के बीच सोशल मीडिया पर खुब जुबानी जंग चली. लेकिन इसके बाद इरफान अंसारी ने झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में ऐसा कुछ कह दिया, जिसके बाद विवाद और बढ़ गया.

इरफान अंसारी ने सदन में क्या कहा?

विधायक इरफान अंसारी सदन में उसी वीडियो पर बात कर रहे थे. उन्होंने पहले बाबूलाल मरांडी पर वीडियो क्रॉप करके लगाने का आरोप लगाया फिर उन्होंने कह दिया कि एक आदिवासी इतना तेज कैसे हो सकता है. जिसके बाद से ही झारकंड की राजनीति गर्मा गई है. वहीं, अब इरफान के इस बयान पर बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर इरफान अंसारी और कांग्रेस पर सवाल खड़े किए हैं.

बाबूलाल मरांडी ने ये किया ट्वीट       

बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर लिखा “जब आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया तो कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें “राष्ट्रपत्नी” कहकर अपमानित किया. कांग्रेस के एक और नेता ने उन्हें “evil forces” कहा. अन्य विपक्षियों ने भी महामहिम राष्ट्रपति जी को बार-बार यह एहसास कराया कि उन्होंने शोषित-वंचित समाज में जन्म लेकर अपराध किया है. बाबूलाल मरांडी तो गरीब आदिवासी घर में जन्म लेने वाला भाजपा का एक अदना सा कार्यकर्ता है. अगर गाली देना है तो बाबूलाल मरांडी को दो, लेकिन कृपा करके मेरे आदिवासी समाज को नीचा मत दिखाओ. कांग्रेस और उनके सहयोगी मानसिक रूप से संभ्रांत और कुलीनवादी विचारधारा के प्रतिनिधि हैं. इन लोगों ने सदियों से गरीब आदिवासी, दलित, महिला और वंचितों को अपना गुलाम समझा है. विडंबना है कि हमारा समाज सदियों से इन राजाओं-राजकुमारों का कोपभाजन बनता आ रहा है. दुर्भाग्य यह भी है कि सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हमारे आदिवासी समाज के सामंती सोच से ग्रस्त कुछ अयोग्य एक्सीडेंटल उत्तराधिकारी भी उसी नक़्शेक़दम पर चल रहे हैं.”

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