कारोबारी अमित अग्रवाल और दिलीप घोष को भेजा गया भेजा, कल होगी रिमांड पर बहस

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सेना जमीन घोटाला मामले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार की शाम कारोबारी अमित अग्रवाल और दिलीप घोष को गिरफ्तार कर लिया गया था. आपको बता दें दोनों को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है. दोनों से ईडी की टीम ने पहले पूछताछ की, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. ईडी रांची की टीम के लिए ये बड़ी सफलता है. आज दोनों को ईडी कोर्ट में पेश किया गया. जांच एजेंसी ने कोर्ट में दोनों को रिमांड पर भेजने का आग्रह किया था. ताकि दोनों से जमीन घोटाले के मामले में पूछताछ किया जा सके. हालांकि, कोर्ट में आज बहस नहीं हो सकी, जिसके बाद दोनों को जेल भेज दिया गया. अब रिमांड पर कल बहस होगी.

पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं?

रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन के ठिकाने पर जब ईडी ने छापा मारा था. उस वक्त छवि रंजन पर ये आरोप था कि रांची के बरियातू स्थित सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन और चेशायर होम रोड की एक एकड़ जमीन की फर्जी तरीके से खरीद-बिक्री में उनकी संलिप्ता है. यानी छवि रंजन का भी हाथ है. उस वक्त फर्जी कागजात के आधार पर फर्जी रैयत बनाकर 2021 में प्रदीप बागची नाम के आदमी ने कोलकाता के जगतबंदु टी इस्टेट के मालीक दिलीप घोष को ये जमीन 7 करोड़ में बेची थी. इसी कंपनी में अमित अग्रवाल भी सहयोगी हैं. आपको बता दें कि जिस वक्त ये जमीन 7 करोड़ में बेचा गया था उस वक्त जमीन की सरकारी दर 20 करोड़ रुपए थी.

इस पूरे खरीद-बिक्री में दिलीप घोष ने प्रदीप बागची को मात्र 25 लाख रुपए ट्रांसफर किए थे. बाकी की राशि को फर्जी चेक के माध्यम से दिखाया गया था. इससे पहले भी दिलीप घोष को ईडी से समन जारी कर पूछताछ के लिए 10 मई को बुलाया था. लेकिन वो हाजिर नहीं हुए. ना ही पेश नहीं होने का कारण बताया और ना ही समय की मांग की थी.

ईडी ने इस घोटाले में अब तक रांची के बड़ागाईं अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, सेना के कब्जे वाली जमीन के फर्जी रैयत प्रदीप बागची, जमीन कारोबारी तल्हा खान, फैयाज खान, अफसर अली, इम्तियाज खान, और मोहम्मद सद्दाम को गिरफ्तार किया था. अब इस मामले में हुई दो बड़ी गिरफ्तारियों से ईडी ने केस और मजबूत कर दिया है.

कैसे खुला इस जमीन घोटाले का भेद?

पूर्व में प्रदीप बागची ने रजिस्ट्री के लिए जिस होल्डिंग नंबर के संबंध में दो अलग-अलग कागजात को लगाया था. वो जांच में फर्जी निकला था. जिसके बाद रांची नगर निगम ने इस मामले को लेकर बरियतू थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

दूसरी बार इस जमीन घोटाले की पोल तब खुली जब जमीन घोटाले में गिरफ्तार जमीन कारोबारी अफसर अली नें ईडी के सामने निलंबित आईएएस छवि रंजन की पोल खोल दी. अफसर अली ने ईडी को बताया कि प्रदीप बागची के पक्ष में फर्जी कागज बनवाने के लिए छवि रंजन ने अमित अग्रवाल व प्रेम प्रकाश की उपस्थिति में तत्कालीन बड़गाईं सीओ मनोज कुमार को आदेश दिया था.

अमित अग्रवाल पहले भी विवादों में रहे हैं. दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट के वकील राजीव कुमार ने अमित अग्रवाल के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. याचिका वापस लेने के लिए अमित अग्रवाल ने राजीव कुमार को कोलकाता बुलाया और रिश्वत की रकम 50 लाख रुपये देने से पहले ही उसे गिरफ्तार करा दिया. पुलिस की छापेमारी में राजीव कुमार पैसे के साथ पकड़े गए थे. अमित अग्रवाल और वकील राजीव कुमार के बीच रुपयों की लेन देन पिछले साल 31 जुलाई को पार्क सर्कस इलाके में हुआ था.

 

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