मन की बात : 100वें एपिसोड कॉन्क्लेव में झारखंड के शिक्षक डॉ सपन पत्रलेख हुए शामिल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ कॉन्क्लेव का आयोजन नई दिल्ली में किया जा रहा है. दिल्ली में चलने वाले सप्ताह भर तक के कार्यक्रम के लिए विशेष तौर पर झारखंड के शिक्षक डॉ सपन कुमार पत्रलेख को आमंत्रित किया गया है. डॉ सपन देश के उन शख्सियतों में शामिल है, जिनकी चर्चा पीएम ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में किया है.

झारखंड के सभी लोगों के लिए सम्मान की बात : सपन पत्रलेख

मन की बात कॉन्क्लेव के लिए बुलाए जाने पर डॉ सपन पत्रलेख ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा जो सम्मान मिला है यह झारखंड के सभी लोगों, सभी शिक्षकों और स्टूडेंट के लिए सम्मान की बात है.

99 प्रतिशत लोग मेट्रिक की शिक्षा नहीं प्राप्त की

उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे दुर्गम सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक हैं, जहां पहुंचना काफी कठिन है. वह ट्राइब क्षेत्र और ट्राइब में भी वे एक ऐसे ट्राइब है, जहां 99 प्रतिशत लोगों ने मेट्रिक या उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं की है. अधिकांश लोगों ने कॉपी-कलम तक नहीं छुआ है. इस क्षेत्र के बच्चों के लिए दुमका सबसे बड़ा शहर हुआ करता था. वे दिल्ली, जापान, अमेरिका को नहीं जानते थे.

समुदाय के लोगों का मिला सहयोग : डॉ सपन

वैसी परिस्थिति में भी सपन पत्रलेख ने हार नहीं मानी और प्रधानमंत्री के एक भारत श्रेष्ठ भारत और बापू के ग्राम स्वराज के सपने को पूर्ण करने का प्रयास किया. इस प्रयास में समुदाय के लोगों ने भी उनका सहयोग किया. चाहे कोरोना के समय की बात हो या कोरोना के बाद की.

दीवारों पर ही ब्लैकबोर्ड बना दिया

उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा आया जब ब्लैकबोर्ड बाजार से नहीं खरीदकर लोगों ने आपसी सहयोग से गांव की दीवारों पर ही ब्लैकबोर्ड बना दिया. जरुरत की डस्टर, झाड़ू, चटाई का निर्माण गांव में ही किया गया. वहीं, गांव के लोग ग्राम स्वराज के स्वालंबन के सपने को गांव में पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं. डॉ सपन के इस प्रयास के बाद आज वहां के स्कूलों के बच्चे अमेरिका, जापान को भी जानते हैं.

PM मोदी ने की थी मन की बात में चर्चा

वहां के बच्चें अब देश के साथ कदम से कदम मिलाकर भारत को श्रेष्ठ बनाने के लिए आगे बढ़ भी रहे हैं. डॉ सपन, एक अत्यंत पिछड़े क्षेत्र के शिक्षक हैं, जहां शिक्षा की रोशनी जलाने का प्रयास किया जा रहा है. बता दें कि कोरोना काल में लॉकडाउन के समय डॉ सपन ने समुदाय के सहयोग से गांव के सभी दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बनाकर किताब के पाठों को लिखकर, फोटो बनाकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखी थी. जिसकी चर्चा देश के प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी किया था.

डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया

बता दें कि नई दिल्ली के विज्ञान भवन में भारत के उपराष्ट्रपति ने “मन की बात” कॉनक्लेव का उद्घाटन किया. इस मौके पर सूचना प्रसारण मंत्री, रेल मंत्री, किरण बेदी, आमिर खान, रवीना टंडन और मन की बात में प्रधानमंत्री द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों के सपन के साथ 100 विशेष अतिथि शामिल हुए. इस मौके पर टेबल कैफे बुक, डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया. बता दें कि 30 अप्रैल को “मन की बात” के 100वें एपिसोड के मौके पर राजभवन में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे और इन्हें सम्मानित किया जाएगा.

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