अब कोर्ट में जज के सामने वकील नहीं, रोबोट करेगा बहस!

|

Share:


वकील रोबोट ने अपना पहला केस फरवरी में सफलतापूर्वक लड़ा था, फैसला आने में अभी थोड़ा और वक्त लग सकता है. बता दें कि यह एक चैटबॉट है जो की एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से लेस है, और काफी तेज और समझदार है. इससे बातचीत करने और किसी भी सवाल का तुरंत जवाब देने के लिए ट्रेंड किया गया है.

इस रोबोट को 2015 में अमेरिका के  “डू नॉट पे”  नाम की संगठन ने पहली बार बना कर तैयार किया था. इसके सीईओ “जोशुआ ब्राउडर” हैं.

2015 में ये लोगों को ट्रैफिक नियम कानून बताने के साथ-साथ ट्रैफिक चालान के नियमों से रुबरु करवाने के लिए तैयार किया गया था. रोबोट लोगों की बात सुनने के बाद सटिक जवाब भी देता है.

रोबोट को वकील बनाने का क्या था उद्देश्य !

रोबोट को वकील बनाने का आइडिया साल 2015 में ही आ गया था, पर उस वक्त रोबोट को सिर्फ ट्रैफिक के नियमों से रुबरू करवाने भर की ट्रेनिंग दी गई थी.

“जोशुआ ब्राउडर” ने एक इंटरव्यू में बताया “महंगी कानून फीस और अच्छे वकील हायर करने के लिए क्लाइंट फीस नहीं दे पाते हैं. जिसके कारण कभी-कभी क्लाइंट अपना जीता हुआ केस हार जाता है. इस रोबोट को बनाने का उद्देश्य यह है कि कम फीस में क्लाइंट आसानी से इस “रोबोट वकील” को हायर कर पाएंगे.”

रोबोट वकीलपर क्यों दायर हुआ मुकदमा

फरवरी में वकील की जगह रोबोट वकील ने जज के सामने खड़ा होकर केस लड़ा था. “डू नॉट पे” के लिए यह मुकदमा एक सफल परीक्षण साबित हुआ. ये बात कुछ लॉ फर्म को हजम नहीं हुई. जिसके बाद शिकागो के “एडल्सन” नामक लॉ फर्म ने 3 मार्च को “डू नॉट पे” संगठन के “रोबोट वकील” के उपर मुकदमा दायर कर दिया.

उन्होंने लिखा “रोबोट वकील” के पास कोई लॉ की डिग्री नहीं है, बिना डिग्री के कैसे काम कर रहा है ये केवल एक रोबोट है. उन्होंने ये भी लिखा छोटे काम करवाने में सफल है जैसे डिमांड लेटर तैयार करवा सकते हैं किन्तु अदालत के कुछ अपने नियम-कानून होते है जिसमें रोबोट को दखलांदाजी करना उचित नहीं है.  इस सभी के बावजूद वकील के रुप में पेश किया जा रहा है. वकालत के लिए लॉ डिग्री का होना आवश्यक होता है.

मुकदमे के बाद डू नॉट पेके सीईओ जोशुआ ब्राउडरने बताया

बता दें कि मुकदमे के बाद “डू नॉट पे” के सीईओ “जोशुआ ब्राउडर” ने ट्वीट कर लिखा –

“अमेरिका के सबसे अमीर वकील जे एडल्सन मेरे डू नॉट पे संगठन पर मुकदमा कर रहे है, यह एक एआई प्रोडक्ट को खत्म करने की कोर्ट से गुहार कर रहे है.” देखना यह है कि इस पेचीदा मुकदमे का जोशुआ ब्राउडर किस तरह से सामना करते हैं?

 रिपोर्ट : अभिषेक कुमार, रांची

 

 

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Updates