झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाकर संताल परगना को अलग राज्य बनाने की तैयारी!

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क्या संताल परगना केवल एक प्रमंडल नहीं रह जायेगा. क्या संताल परगना एक अलग राज्य बनने जा रहा है. क्या 24 साल पहले बिहार से अलग हुए झारखंड के भी दो टुकड़े हो जाएंगे. क्या, झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाकर, संताल परगना को 30वां राज्य बनाने की कवायद शुरू हो जाएगी. क्या, हेमंत सोरेन सरकार संकट में है. क्या, झारखंड में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी चली जाएगी. आखिर क्यों ये सवाल उठ रहे हैं. क्यों, संताल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग उठी है. किसने उठाई है ये मांग. वह कौन से सांसद हैं जो चाहते हैं कि झारखंड के दो टुकड़े हो जाएं? क्या अलग संताल परगना राज्य की राजधानी दुमका होगी जो अभी झारखंड की उपराजधानी है. ऐसे कई सवालों का जवाब आज हम इस वीडियो में आपको देने का प्रयास करेंगे.

शून्यकाल के दौरान निशइकांत दुबे ने कहा-

मामला बुधवार का है. लोकसभा में शून्यकाल के दौरान गोड्डा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने कुछ ऐसा कहा कि पूरे देश में भूचाल आ गया. निशिकांत दुबे ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए संसद में ऐसी मांग कर दी कि सियासी बवाल उठ गया. लोग, निशिकांत दुबे की मांग को डिकोड करने की कोशिश करने लगे. निशिकांत दुबे के इस मांग पर न केवल सदन सन्न रह गया बल्कि झारखंड के सियासी गलियारों में भी तेज हलचल हुई. निशिकांत दुबे ने केंद्र सरकार के सामने मांग रख दी कि संताल परगना को क्यों न अलग राज्य बना दिया जाये. हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐसी मांग रखी हो लेकिन, 12 मार्च को निशिकांत दुबे ने शब्दों पर जोर देकर जो भी कहा, उसे पूरे देश ने बड़े गौर से सुना. इस पर लोगों की अलग-अलग राय भी है. गौरतलब है कि देश में लोकसभा चुनाव को हुए 9 महीने बीत गये हैं.

बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा अभी भी ज्वलंत है

राज्य में विधानसभा चुनाव को 4 महीने बीते लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा अभी भी ज्वलंत है. निशिकांत दुबे ने इस मुद्दे को ज्वलंत बनाए रखा है. अभी इस पर मत जाइये कि इसके राजनीतिक मायने क्या हैं. बस इतना समझिए कि निशिकांत दुबे ने जो कहा है उसके मायने क्या हैं? आखिरकार निशिकांत दुबे ने संताल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग क्यों की. निशिकांत दुबे क्यों झारखंड में राष्ट्रपति शासन चाहते हैं. आखिर, किस आधार पर 81 में से 56 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड जनादेश हासिल करने वाली हेमंत सोरेन सरकार को हटाया जा सकता है. क्या ऐसा करना वाकई संभव होगा.

6 जिलों में डेमोग्राफी असंतुलित हो गई है

12 मार्च यानी बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान निशिकांत दुबे ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया. निशिकांत दुबे ने कहा कि पश्चिम बंगाल के रास्ते अवैध तरीके से भारत में प्रवेश कर बांग्लादेशी नागरिक झारखंड के संताल परगना प्रमंडल अंतर्गत पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, दुमका, देवघर और जामताड़ा में बस गये हैं. इसकी वजह से संताल परगना के सभी 6 जिलों में डेमोग्राफी असंतुलित हो गई है. निशिकांत दुबे ने तर्क दिया कि वर्ष 1951 से लेकर 2011 तक पूरे देश में मुस्लिम आबादी महज 4 फीसदी बढ़ी लेकिन इसी दौरान संताल परगना में मुस्लिमों की आबादी में 15 फीसदी तक का इजाफा हुआ. निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि ऐसा बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से हुआ है. उन्होंने इसकी पुष्टि करने के लिए एक और तर्क दिया. समझाने का प्रयास किया कि कैसे बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से संताल परगना में आदिवासियों की आबादी खतरे में है. निशिकांत दुबे ने कहा कि वर्ष 1951 में संताल परगना में आदिवासियों की आबादी करीब 45 फीसदी थी लेकिन ये 2011 में कम होकर महज 28 फीसदी रह गयी.

बढ़ गई मुस्लिम आबादी

चूंकि इसके बाद जनगणना नहीं हुई है इसलिए इस संख्या में और कमी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. निशिकांत दुबे ने कहा कि इसी अवधि में संताल परगना में मुस्लिमों की आबादी 9 फीसदी से बढ़कर 24 फीसदी हो गयी है. यहीं, निशिकांत दुबे ने कहा कि संताल परगना में परिसीमन की आवश्यक्ता है. उन्होंने केंद्र सरकार के सामने मांग रखी है कि परिसीमन कर बांग्लादेशियों को अलग कर दीजिए. यहि संभव है तो उस पूरे इलाके को अलग प्रदेश बनाया जा सकता है. निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ जितनी तेजी से हो रहा है, वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिये.

दानियल दानिश ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका 

गौरतलब है कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा नया नहीं है. जमशेदपुर निवासी दानियल दानिश ने हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी. उन्होंने इस याचिका में संताल परगना के सभी 6 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से डेमोग्राफी में बदलाव का मुद्दा उठाया था. उन्होंने मांग की थी कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. दानियल दानिश ने अपनी याचिका में दावा किया था कि 1951 में संताल परगना जहां आदिवासियों की आबादी करीब 46 फीसदी थी वह 2011 में 28 फीसदी से भी कम हो गयी. दानियल दानिश ने आरोप लगाए थे कि सीमापार से आये बांग्लादेशी स्थानीय आदिवासी युवतियों से विवाह कर रहे हैं. आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. आदिवासी आरक्षित सीटों पर अपनी आदिवासी पत्नी को चुनाव लड़वाकर स्थानीय निकाय पर कब्जा कर लेते हैं. अवैध तरीके से आधार और वोटर कार्ड बनवाकर स्थानीय नागरिकों के साथ घुलमिल जाते हैं. उन्होंने यह भी दावा किया था कि संताल परगना की डेमोग्राफी में तेजी से बदलाव आया है.

हाईकोर्ट ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से जवाब तलब किया था. इस मसले पर कई सुनवाइयां हुईं. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि संताल परगना में अवैध तरीके से बांग्लादेशी नागरिकों की बसाहट हुई है. उन्होंने स्थानीय संसाधनों पर कब्जा किया है. केंद्र सरकार ने पिछले साल हाईकोर्ट में यह भी जानकारी दी थी कि राज्य सरकार के साथ मिलकर एक फैक्ट फाइंडिंग कमिटी का गठन किया गया है. इस कमिटी को झारखंड के देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, दुमका और जामताड़ा में अवैध घुसपेठियों की पहचान कर अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की व्यवस्था करने का सुझाव देना था.हाईकोर्ट ने तब सभी जिलों के उपायुक्तों को यह भी निर्देश दिया था कि जमीनों का भौतिक सत्यापन किए बिना दस्तावेज न जारी किए जायें. आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी सघन जांच के बाद ही जारी किए जाएं. गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इसे मुख्य चुनावी मुद्दा बना लिया था. चुनाव बाद अब भी यह मुद्दा जिंदा है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने तो 23 मार्च से बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ उलगुलान करने का ऐलान किया है. गौर कीजिए कि यह वही चंपाई सोरेन हैं जिन्होंने झामुमो की ओर से मुख्यमंत्री रहते ट्विटर के जरिये सवाल किया था कि यदि बांग्लादेशी घुसपैठ हुआ है तो केंद्र जिम्मेदार है. बांग्लादेशी संताल में बसे हैं क्योंकि बॉर्डर क्रॉस किया है. अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा तो केंद्रीय गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी है तो फिर राज्य सरकार दोषी कैसे? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तो इसे भाजपा द्वारा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता चुके हैं. सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ से साफ इनकार करती है.

इस बीच निशिकांत दुबे के ताजा बयान ने झारखंड में नई बहस को जन्म दे दिया है. उन्होंने सीधे संताल परगना को अलग प्रदेश बनाने की मांग कर डाली है. उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने तक की मांग कर दी है. निशिकांत दुबे अक्सर अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं. अतीत में उनकी टिप्पणियों पर खूब सियासी घमासान हो चुका है. इस बयान पर भी ऐसी ही संभावना है. देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड की सियासत में आगे ये बयान क्या रंग दिखाता है.

Reported By-Suraj Thakur

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