Ranchi : क्या कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक चल रहा है. आखिर ये सवाल अब क्यों उठने लगे हैं. आखिर ऐसा क्या हो गया है कांग्रेस खेमे में.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है. पार्टी के भीतर अंदरुनी कलह है. जो आज नहीं तो कल खुलकर सामने आएगी. इस चर्चा की 2 वजह है. पहला तो ये कि मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले कांग्रेस विधायक दल की बैठक प्रदेश मुख्यालय में चली.
इस बैठक में विधायकों के बीच सामान्य चर्चा हुई. वहीं इस बैठक में बेरमो विधायक अनूप सिंह और पाकुड से नवविर्वाचिक विधायक निशात आलम की उपस्थिति नहीं दिखी. विधायक दल की बैठक से अनूप सिंह और निशात आलम की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बन गयी.
बता दें कि अनूप सिंह का नाम बुधवार की रात तक मंत्रिमंडल में संभावित नामों में शामिल था. हालांकि, उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. बताया जाता है कि नाराजगी व्यक्त करने के लिए अनूप सिंह विधायक दल की बैठक में नहीं आए. जबकि आलमगीर आलम की पत्नी निशात आलम के नहीं आने को लेकर ऐसी ही अटकलें लग रही थी.
बहरहाल, अब कांग्रेस कोटे में विधायक दल के नेता का चयन होना है. इसका चयन केंद्रीय नेतृत्व करेगा. केंद्रीय नेतृत्व से 2 दिन के अंदर विधायक प्रदीप यादव के नाम पर सहमति मिलने की संभावना है.
दूसरा अनुभवी चेहरा डॉ. रामेश्वर उरांव का है. उनके नाम की भी चर्चा है. लेकिन कांग्रेस पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए प्रदीप यादव का नाम आगे बढ़ा रही है. हालांकि, पिछड़ा वर्ग से ही विधायक दल का नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का होना पार्टी के लिए मुसीबत खड़ा करेगा. जिसके कारण अन्य वर्ग के लोगों को सवाल उठाने का मौका मिल जाएगा. कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन विधानसभा सत्र की शुरुआत से पहले हो जाएगा.
ओबीसी कोटे को मंत्रिपद में जगह नहीं
दूसरी चर्चा की वजह है कांग्रेस कोटे से किसी ओबीसी को मंत्रिपद नहीं देना. इसे पार्टी की कथनी और करनी में अंतर के तौर पर देखा जा रहा है. कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि इससे पार्टी की इमेज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
यही नहीं! इससे पार्टी की आगे की राजनीति भी प्रभावित होगी. बता दें कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी वर्ग को आग रखकर राजनीति शुरू की. आपको याद होगा चुनाव से पहले भी कांग्रेस के नेताओं ने हेमंत सोरेन से पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बनने की मांग रख दी थी.
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस ने ओबीसी को छोड़कर अन्य सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व दिया है. पार्टी को मंत्रिमंडल विस्तार में 4 पद मिले हैं जिसमें 2 महिला विधायकों का भी नाम शामिल है. वहीं ओबीसी को जगह नहीं देने को लेकर दल के भीतर आवाज उठने की भी संभावना है.
इससे पहले मंत्रिमंडल में कांग्रेस से मंत्रियों में ओबीसी से हिस्सेदारी रही है. पूर्व में बन्ना गुप्ता को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.
कांग्रेस पर BJP ने बोला हमला…
वहीं दूसरी ओर किसी ओबीसी को कांग्रेस कोटे से मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद भाजपा को कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. भाजपा के राज्यसभा सदस्य और प्रदेश प्रभारी डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि राहुल गांधी की कथनी और करनी में अंतर है। झारखंड कैबिनेट में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के नाम से यह स्पष्ट हो गया है.
अब देश की जनता को देख लेना चाहिए कि हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और हैं. खैर ! अब देखना होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर आगे क्या कुछ रणनिति तैयार करती है.