दलीय राजनीति से ऊपर उठकर प्रदीप यादव ने अपनी ही सरकार को क्यों घेरा, जानिए क्या है पूरा मामला?

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झारखंड विधानसभा के बजट सत्र  का आज सातवां दिन था. सातवें दिन सदन में पेयजल विभाग में राशि गबन का मामला खूब गरमाया. इसे मुद्दे पर कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने अपनी ही सरकार को घेरा.

उन्होंने  पेयजल विभाग में गबन मामले को लेकर कई आरोप लगाते हुए कहा कि रांची और लोहरदगा में एलएनटी कंपनी को होने वाले भुगतान कंपनी को न करके रकम फर्जी खाते के माध्यम से मुख्य अभियंता कार्यपालक अभियंता और अन्य कर्मियों ने मिलकर आपस में बंदर बांट कर लिया.

इसके अलावे उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि क्या मुख्य अभियंता प्रभात कुमार सिंह सहित दोषी अन्य अभियंताओं पर विभागीय कार्रवाई करने की बात कही गई?

वहीं उनके इस सवाल का जवाब देते हुए पेयजल मंत्री ने बताया कि यह मामला रांची का है. लोहरदगा का नहीं, कैशियर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है और वह जेल में हैं.  चीफ इंजीनियर और आरोपी के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई भी चल रही है. आरोपी जेल में है.  मामले की जांच एसीबी से करने के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है. दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

इस पर सत्ता पक्ष के स्टीफन मरांडी, रामेश्वर उरांव, मथुरा महतो और हेमलाल मुर्मू ने प्रदीप यादव का पक्ष लेते हुए कहा कि विभागीय जांच का मतलब लीपापोती करना है. इसलिए प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए क्योंकि इस मामले में सिर्फ कैशियर संतोष कुमार पर कार्रवाई हुई है.

आगे कहा कि जब प्रभारी मंत्री ने प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई तो प्रदीप यादव ने कहा कि ऐसी स्थिति में वे सदन में धरना पर बैठेंगे.  प्रभारी मंत्री के रवैय से ऐसा लग रहा है कि वे खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी मंशा पर सवाल उठता है.

वहीं हेमलाल मुर्मू ने कहा कि कार्यपाक अभियंता के बिना कैशियर गबन नहीं कर सकता. वहीं इस मामलेमें रामेश्वर उरांव ने कहा कि कार्रवाई तीन तरह से पेश की जाती है. एक फंसाना, दूसरा डुबाना और तीसरा दूध का दूध और पानी का पानी अलग करना.  उन्होंने कहा कि इस मामले में डुबाने का काम किया जा रहा है. इसका मतलब है अधिकारी को बचाना.

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