झारखंड में संताल परगना अलग राज्य की मांग फिर उठी है. दुमका को इसकी राजधानी बनाने की मांग की गई है. ये मांग एक बड़ी राजनीतिक हस्ती ने उठाई है. इस बड़े राजनीतिक शख्सियत का तर्क है कि संताल परगना अलग राज्य बनने से दुमका का घनघोर विकास होगा. इन्होंने केवल एक अलग राज्य ही नहीं बल्कि 2 विधानसभा की इच्छा भी जता दी है. कहते हैं कि एक सत्र रांची में चलेगा तो दूसरा दुमका में. अब झारखंड की जनता डिकोड करने की कोशिश में लगी है कि इन मांगों का अर्थ क्या है. क्या ये विशुद्ध राजनीतिक बयानबाजी है? क्या ये महज सियासी स्टंट है? क्या इसे नुक्कड़ वाली चाय की दुकान पर रोज सवेरे होने वाली बेबाक बकैती समझा जाए? क्या सियासत के बयानवीरों के शेमलेस ईगो का नतीजा है कि बात यहां तक पहुंच गयी.
भाजपा सांसद के बाद कांग्रेस के मंत्री ने उठाई मांग
कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस, इन दो सबसे बड़ी पार्टियों के दो सबसे चर्चित नेताओं के बयानों से झारखंड की सियासत पिछले एक हफ्ते से हिली हुई है. इसका अर्थ क्या निकाला जाए? आखिर क्यों संताल परगना को अलग करने की मांग उठी है? अलग संताल परगना राज्य का अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन क्या है? इसमें भारत के पड़ोसी राज्यों की क्या भूमिका है? ये कोरा गप्प है कि वाकई आने वाले तूफान के पहले का सन्नाटा? कौन है जो संताल परगना को झारखंड से अलग करके बांग्लादेश में मिलाना चाहता है? कौन जिसने संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ को हवा दी है? ऐसा क्या हुआ है कि एक बीजेपी सांसद खतरे का अंदेशा जता रहे हैं.
झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जिंदा हुआ
दरअसल, झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा नया नहीं है. लोकसभा चुनाव 2024 के पहले से ही भारतीय जनता पार्टी झारखंड और खासतौर पर संताल परगना में सरकारी संरक्षण में बांग्लादेशी घुसपैठ का दावा करती रही है. राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाती आई है. यूं कहना ज्यादा मुनासिब होगा कि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा और फिर विधानसभा का चुनाव बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर ही लड़ा. चुनाव खत्म हो गये. भाजपा को मुद्दे का सियासी फायदा हुआ है, ऐसा नतीजे से नहीं लगता. चुनाव खत्म हो गया लेकिन मुद्दा जिंदा है.
11 मार्च को लोकसभा में निशिकांत दुबे ने कही ये बात
11 मार्च को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए संताल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग कर दी थी. उनका तर्क था कि परिसीमन से संताल परगना में आदिवासी सीटों की संख्या घट जाएगी. बेहतर होगा कि मुस्लिम बहुल इलाकों को अलग कर दें और अलग संताल परगना राज्य का गठन करें. निशिकांत दुबे ने दावा किया कि संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से आदिवासियों की आबादी घट गयी है और परिसीमन में सीटें भी कम हो जायेगी.
मंत्री इरफान अंसारी ने दुमका को लेकर किया बड़ा दावा
अब हेमंत कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने भी ऐसी ही मांग रख दी है. डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि मेरी भी मांग है कि संताल परगना अलग राज्य बने. दुमका इसकी राजधानी बने. उन्होंने कहा कि ये हमेशा से उनके पिता फुरकान अंसारी का सपना था. मेरा भी सपना है कि दुमका का विकास हो. इरफान अंसारी यह भी दावा कर गये कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी यही चाहते हैं. इरफान अंसारी ने कहा कि दुमका सहित पूरे संताल परगना में ज्यादा फोकस के साथ विकास हो. वहां की जनता का बेहतर खयाल रखा जा सके. इसलिए हम चाहते हैं कि संताल परगना अलग राज्य बने. डॉ. अंसारी ने निशिकांत दुबे के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे खुद झारखंडी नहीं हैं. वह बिहार से आकर यहां बसे हैं. इरफान अंसारी ने निशिकांत दुबे पर झारखंडी भावनाओं को आहत करने और संताल परगना के आदिवासियों को अपमानित करने का आरोप लगाया है.
निशिकांत दुबे ने झारखंड के बारे में साजिश का दावा किया
इसी बीच निशिकांत दुबे का नया-ताजा बयान भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है. निशिकांत दुबे ने यह सनसनीखेज दावा किया है कि झारखंड को बांग्ंलादेश में मिलाने की साजिश की जा रही है. झारखंड के गिरिडीह में होली के दिन हुए सांप्रदायिक तनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए निशिकांत दुबे ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया. निशिकांत दुबे ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी की शह पर बांग्लादेशी घुसपैठियों ने संताल परगना में डेमोग्राफी बदल दी है. यहां आदिवासियों की आबादी तेजी से कम हो गयी है और मुस्लिम आबादी में वृद्धि हुई है. निशिकांत दुबे ने इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर चुनाव जीतने के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया.
निशिकांत दुबे ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने कहा था कि प्रदेश की 81 विधानसभा सीटों में से 30 में मतदान 50 फीसदी से बढ़कर 150 फीसदी तक पहुंच गया. इसकी वजह बांग्लादेशी घुसपैठिया हैं. उन्होंने कहा कि गिरिडीह जैसी घटना देवघर में भी हुई है. दुकानें जला दी गई. उन्होंने इन घटनाओं के लिए कांग्रेस की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने दावा किया कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में घुसपैठियों को रिहा किया गया था और नतीजा आज संताल परगना भुगत रहा है. यहां आदिवासियों की आबादी तेजी से कम हो रही है.
संताल परगना में डेमोग्राफी बदलाव का दावा कितना सच
बीजेपी सांसद ने कहा कि संताल परगना में जो आदिवासी आबादी पहले 45 फीसदी तक थी वह घटकर महज 22 फीसदी रह गई है वहीं मुस्लिमों की आबादी 9 फीसदी से बढ़कर 29 फीसदी तक पहुंच गयी है. उन्होंने कहा कि पूरा झारखंड वोट बैंक की राजनीति की चपेट में है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विरुद्ध यदि बड़ा जनांदोलन नहीं हुआ तो हम ये राज्य को देंगे. निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री को चुनाव जीतने से मतलब है और इसलिए यहां सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, महाशिवरात्रि, होली और ईद में ऐसी घटनाएं होती हैं. निशिकांत दुबे ने कहा कि यदि झारखंड में एनआरसी और परिसीमन लागू नहीं हुआ तो यहां अलग विधानसभा चुनाव होगा. अलग राज्य की मांग की जायेगी और फिर झारखंड को बांग्लादेश में मिला लिया जाएगा.
बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर झारखंड हाईकोर्ट का रुख
अब क्या हकीकत है औऱ क्या फसाना? क्या वाकई संताल परगना के 6 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ हुआ है. यदि हां तो कितना? आखिर किस हद तक बांग्लादेशी घुसपैठिये यहां नागरिक बनकर रह रहे हैं. पिछले साल हाईकोर्ट ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिया था कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान कर उनको डिपोर्ट करने के उपाय तलाश जाएं. झारखंड हाईकोर्ट में केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की हेमंत सोरेन सरकार के बीच लंबी जिरह हो चुकी है. आरोप-प्रत्यारोप भी हुये हैं. झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ की बात से इनकार करते हुए झारखंड की सत्तारुढ़ पार्टी झामुमो कहता है कि यदि ये सच है तो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा किसके जिम्मे है. यदि बांग्लादेशी घुसपैठ हुआ है तो साफ है कि केंद्रीय गृहमंत्रालय या मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा में सक्षम नहीं हैं. वहीं, भाजपा का तर्क है कि गंगा नदी के सहारे अवैध तरीके से भारत में घुस आये बांग्लादेशी प्रवासियों को राज्य की हेमंत सोरेन सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए दस्तावेज मुहैया कराकर बसा रही है.
जमशेदपुर के दिनेश ने हाईकोर्ट में दाखिल की थी याचिका
गौरतलब है कि जमशेदपुर के रहने वाले दिनेश दानियल नाम के व्यक्ति ने संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का दावा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उन्होंने दावा किया था कि संताल परगना के छह जिलों, पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, दुमका, देवघर और जामताड़ा में व्यापक पैमाने पर घुसपैठ हुआ है. इससे यहां तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है और आदिवासियों की आबादी घट गयी है. उन्होंने बताया था कि बांग्लादेश घुसपैठिये स्थानीय आदिवासी लड़कियों से वैवाहिक संबंध स्थापित कर उनकी जमीनों और स्थानीय निकाय पर कब्जा जमा रहे हैं. जैसे ही आबादी बढ़ती है, आदिवासियों को डरा-धमकाकर गांव से बाहर निकाल देते हैं. विधानसभा चुनाव के समय पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने ऐसे ही कई गांवों का उदाहरण दिया था.
अब मामला सच और दावों पर टिका है. इरफान अंसारी और निशिकांत दुबे, दोनों ने अलग संताल परगना राज्य की मांग की है. हालांकि, दोनों के तर्क अलग हैं. वैसे भी इन दो नेताओं को बयानवीर कहा जाता है. इनके बयान सियासी उबाल तो खूब मचाते हैं लेकिन इसे कौन कितनी गंभीरता से लेता है, ये अलग विषय है. इधर, बांग्लादेशी घुसपैठ भी सच और सबूतों के पेंडुलम में लटका है. कौन जिम्मेदार है इसका, ये भी बड़ा सवाल है. सवाल है कि ये चुनावी मुद्दा ही रहेगा या वाकई किसी में समाधान की कुव्वत भी है?