आलमगीर आलम

क्या आलमगीर आलम के साथ ही कांग्रेस से भी छीन गया मंत्रिपद ?

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जेल में बंद मंत्री आलमगीर आलम के सारे विभाग मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने वापस ले लिए हैं। आलमगीर आलम टेंडर कमीशन घोटाला मामले में जेल में बंद हैं। अब सीएम चंपई सोरेन उनके सारे विभाग से जुड़े सारे काम-काज देखेंगे।

इस स्तिथि में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या आलमगीर आलम के साथ साथ यह मंत्रीपद कांग्रेस से भी छीन लिया गया है ? क्या इसके साथ ही गठबंधन और कोंग्रेस विधायकों के बीच कुछ उठापटक हो सकती है ?

आलमगीर आलम से सारे विभाग वापस लेने को लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। विभागीय सचिव वंदना दादेल के हस्ताक्षर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार सीएम के पास पूर्व से आवंटित विभागों के अतिरिक्त खुद सीएम की सलाह से उसमें आंशिक संशोधन करते हुए संसदीय कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण राज्य कार्य विभाग और पंचायती राज विभाग आवंटित किया गया है। पूर्व से आवंटित सभी विभाग सीएम के पास यथावत रहेंगे。

आखिर चम्पई सोरेन को ऐसा करने की ज़रुरत क्यों पड़ी ?

दरअसल, जब से कैश कांड मामले में मंत्री आलमगीर आलम को गिरफ्तार किया गया है, तब से विभाग के काम लगभग ठप पड़े हैं। वहीं देश में चल रहे चुनाव की वजह से लागू आचार संहिता के कारण इस पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा था। अब आदर्श चुनाव आचार संहिता हट गया है। सीएम ग्रामीण विकास विभाग में तेजी से काम करना चाहते हैं इसलिए विभागों को अपने पास रख लिया हैं。

खबर यह भी है कि आलमगीर आलम के इस्तीफे की भी तैयारी हो रही है

गिरफ्तार किए जाने से जेल जाने तक के दौरान आलमगीर आलम ने इस्तीफा नहीं दिया है। इसे लेकर चर्चा भी चल रही थी। वहीं अब सूत्रों का कहना है कि अब आलमगीर आलम इस्तीफा दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि आचार संहिता की वजह से किसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता था, इसलिए वो मंत्री बने रहे। लेकिन अब वे इस्तीफा दे सकते हैं। चर्चा इस बात की भी है कि कांग्रेस मंत्री का अपना कोटा नहीं छोड़ना चाहता है, ऐसे में कांग्रेस कोटे से ही कोई मंत्री बनाया जा सकता है。

इन सभी विषयों के साथ साथ एक दफा इसपर भी नज़र डाल लेते हैं कि आखिर आलमगीर आलम आलम जेल क्यों गए ?

बता दें कि ED ने 6 मई को मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर रेड मारी थी। इसमें 32 करोड़ 20 लाख रुपये कैश की बरामदगी हुई थी।

पूछताछ के दौरान इस मामले में मंत्री को पीएस संजीव कुमार लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम को 6 मई की देर रात ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इन दोनों से 14 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ की गई है और दोनों को पिछले मंगलवार को कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।

इस मामले में 15 मई की शाम मंत्री आलमगीर आलम को ED ने गिरफ्तार किया था। इसके पहले उनसे 14 और 15 मई को कुल मिलाकर करीब 14 घंटे पूछताछ की गई थी। ED ने कोर्ट को बताया कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अधिकारी व मंत्री का एक संगठित गिरोह सक्रिय था।

ED ने नमूने के तौर पर जनवरी महीने में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी कोर्ट में जमा किया है, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपए लिए थे。

इस पुरे प्रकरण में जो सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है, वो ये है कि संसदीय कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण राज्य कार्य विभाग और पंचायती राज विभाग के सारे काम-काज जब मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन देखेंगे और आलमगीर आलम के सारे विभाग अब सीएम के नियंत्रण में हैं, तो क्या कांग्रेस कोटे की मंत्री पद अब कांग्रेस से छीन कर JMM के खाते में डाल दी गयी है。

इस मुद्दे पर आगे चर्चा करने से पहले एक बार यह समझ लेते हैं कि झारखण्ड में किस पार्टी के पास कितने मंत्रीपद हैं।

फिलहाल झामुमो के कोटे 6 मंत्री हैं वहीँ आलमगीर आलम को जोड़ कर झारखण्ड सरकार में कांग्रेस 4 मंत्री हैं और एक राजद के सत्यानंद भोगता मंत्री हैं। यानि झारखण्ड में सबसे ज्यादा मंत्री झामुमो के हैं। और कांग्रेस के पास पहले जहाँ चार मंत्री थे अब घट 3 रह गए हैं क्यूंकि आलमगीर आलम के सारे विभागों का नियंत्रण अब मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने लिया है।

इस स्तिथि में दो सवाल उठते हैं. क्या कांग्रेस खेमे से अब कोई मंत्री नहीं बनाया जायेगा ? क्या इस वजह से कांग्रेस के विधायक नाराज़ हो जायेंगे ? क्यूंकि कुछ दिन पहले जब आलमगीर आलम के मंत्री पद से इस्तीफे की चर्चा उठी थी तो साथ साथ में यह भी चर्चा होने लगी थी कि जामतारा विधायक इरफ़ान अंसारी या महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह को मंत्री बनाया जा सकता है। और यह फैसला लिया गया है कि चम्पई सोरेन ही सारे विभाग का काम काज देखेंगे। यह फैसल इसलिए भी लिया जा सकता है क्यूंकि कुछ ही महीने बाद झारखण्ड में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं तो कुछ ही महीने के लिए किसी नए मंत्री को क्यों नियुक किया जाये。

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