हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (HEC), इस कंपनी को मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज कहा जाता है. एचईसी ने ISRO के लिए भी कई बड़े उपकरण बनाए हैं. हाल ही में चांद की दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा चंद्रयान-3 का फोल्डिंग प्लेटफार्म और स्लाइडिंग डोर एचईसी में बना था. लेकिन एचईसी का भविष्य अब खतरे में नजर आ रहा है. क्योंकि एक कंपनी को चलाने वाले होते हैं वहां के कामगार और एचईसी जैसे संस्थान में काम करने वाले श्रमिकों को पूछने वाला कोई नहीं है. इन श्रमिकों को पिछले 18 महीने से वेतन नहीं मिला है.
इसको लेकर कई बार काम ठप रहा, कई धरने हुए. आंदोलन भी हुआ लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला. इतने दिनों में इन्हें कुछ मिला तो केवल आश्वासन. इस मामले का हल करने के लिए अब एचईसी के कर्मचारी लोग दिल्ली रवाना हो गए हैं. जो कर्मी दिल्ली रवाना हुए हैं वे अब दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना पर बैठेंगे. आपकी जानकारी के लिए बता दें एचईसी के 8 श्रमिक संगठनों के 16 प्रतिनिधि दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. जहां वे 21 सितंबर से धरने पर बैठेंगे. फिलहाल तो मार्च 2023 से एचईसी में उत्पादन का काम ठप है.
वेतन ना मिलने से श्रमिक इतने परेशान हैं कि काम ठप होने के बाद भी वे वेतन के आस में रोज एचईसी पहुंचते हैं. इन श्रमिकों पर इतना उधार हो गया है कि अब घर चलाने में दिक्कत होती है. बीते दिन बीबीसी हिन्दी में एक खबर छपी थी. जिसमें यह बताया गया था कि कैसे अपना जीवन यापन करने के लिए एक कर्मचारी रोड़ किनारे इडली बेचने लगा है. जंतर-मंतर के धरना से श्रमिकों को आस है कि उनकी बात सरकार तक पहुंच जाएगी.